हाय...हाय..बिजली  गुल औ...पानी भी...!

लखनऊ |


गर्मी का कहर 45 डिग्री से ऊपर की सीढ़ी चढ़ने को बेताब है और आसमान से पानी की जगह आग बरस रही है | नीचे गजब की तपन से धरती की छाती जगह-जगह से फट रही है | चारो ओर हवा और पानी की नामौजूदगी से हाहाकार मचा है | आदमी की जात से लेकर परिंदे, चरिंदे, चींटी,पतंगे और चौपाये हलकान हैं | ऐसे में सूबे में बिजली, पानी की बदइन्तजामी का आलम ये है कि 'बिजली दो, पानी दो वरना गद्दी छोड़ दो' के नारों के साथ लोगों को धरना-प्रदर्शन करके पुलिस की लाठियों का शिकार होना पड़ रहा है | मजे की बात है कि बिजली-पानी की आवाजाही की तरह सूबे के मुख्यमंत्री भी लोकसभा चुनाव की जीत के जश्न में शामिल होने की व्यस्तता के बीच सूबे में आते-जाते रहते हैं |


दूर-दराज के इलाकों की बात दरकिनार करिये राजधानी लखनऊ में बिजली गई तो गई | आई तो ट्रिपिंग चालू हो जाती है जिससे बिजली के महंगे उपकरण फुंक जाते हैं | आमतौर पर बिजली की आना-जाना करीबी मेहमानों की तर्ज पर या मुख्यमंत्री,मंत्रियों के चुनाव अभियानों के बीच से सूबे में वापसी जैसा ही है | बतादें राजधानी के कई इलाके तीन-चार दिन बगैर बिजली के भीषण गर्मी में पीड़ित हैं और इनकी गुहार भी कोई नहीं सुनने वाला | हां, बिजली मंत्री जरूर  बिजली आपूर्ति के रिकार्ड बनाने का बयान देकर अपनी पीठ अपने ही हाथों ठोक रहे हैं |    


बिजली नही तो पानी नहीं , लेकिन जहां कहीं पानी की सप्लाई हो रही है वहां भी अधिकांश गन्दा और न पीने लायक ही पानी मिल रहा है | पिछले दो महीनों में जल संस्थान के 70 नमूने फेल पाए गये जिससे स्वास्थ विभाग चिंतित होकर नगर निगम को पत्र लिखकर चेता चूका है | राजधानी के किसी इलाके में नंगी आंखों से देखा जा सकता है, लोगों के हाथों में लटकी प्लास्टिक की बाल्टियां,बोतलें या कंटेनर , जिन्हें वे जलकल की भूजल से जुड़ी टंकी से या किसी के निजी समरसेबल पंप से भरने जा रहे होते हैं | कई इलाकों में पानी को लेकर मार-पीट के साथ जलकल कर्मियों, आला अधिकारियों से मारपीट की ख़बरें भी आ रही हैं | इन सबके बीच पानी बेचने का धंधा बखूबी परवान चढ़ रहा है | इस बार जेठ के चार मंगल बीत गये लेकिन पीने के पानी की पौशालाएं सड़कों से नदारद हैं | यही नहीं लोगों के बीमार होने और अस्पतालों के बिस्तर से लेके इमरजेंसी तक में मारामारी की भी ख़बरें हैं |


राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश प्रवक्ता सुरेन्द्रनाथ त्रिवेदी ने कहा कि इस भीषण गर्मी के प्रकोप से प्रदेश की जनता त्राहि त्राहि कर रही है परन्तु जिला प्रशासन की लापरवाही के फलस्वरूप राजधानी में प्रदूषित पानी की सप्लाई हो रही है। यदि तत्काल इस सन्दर्भ में प्रभावी कदम न उठाये गये तो निष्चित रूप से राजधानीवासी भयंकर बीमारियों की चपेट में आ जाएंगे। श्री त्रिवेदी ने यह भी कहा कि अब तक नगर निगम द्वारा अपने चहेते ठेकेदारों के द्वारा केवल नाममात्र को नाला सफाई की गयी और करोडों रूपया भुगतान किया जा रहा है। शहर की पुरानी और घनी बस्तियों में नालियों की सफाई की ही नहीं गई न ही कीटनाशकों का छिडकाव किया गया ,ऐसे में शहर को बीमारी की चपेट में आने से कैसे बचाया जा सकेगा ? 
ऐसे हालातों को सूबे के मुख्यमंत्री कैसे नजरअंदाज कर सकते हैं ?  उनके लिए सूबा उत्तर प्रदेश की जनता महज कीड़े-मकोड़े की श्रेणी में है ?  








राम प्रकाश वरमा  








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