मधुमेह से हैं परेशान तो अपनाएं यह आसान योगासन


प्राणायाम मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। खासतौर से, भ्रामरी और भ्रस्रिका प्राणायाम तो डायबिटिक लोगों को जरूर करना चाहिए। इनके नियमित अभ्यास से स्ट्रेस लेवल कम होता है और शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है।


भारत में आज लगभग हर घर में आपको कोई न कोई मधुमेह का रोगी मिल ही जाएगा। वैसे तो आमतौर पर लोग इस बीमारी को कोई खास तवज्जो नहीं देते लेकिन एक बार इस बीमारी की जद में आ जाने के बाद इससे छुटकारा पाना बेहद मुश्किल हो जाता है। साथ ही यह एक ऐसी बीमारी है कि जिसके बाद मनुष्य को बहुत सी चीजों से किनारा करना पड़ता है। इतना ही नहीं, कुछ समय पहले तक जहां यह एक उम्र के बाद ही लोगों को अपनी चपेट में लेता था, वहीं गलत खान−पान व जीवनशैली के कारण वर्तमान में कम उम्र के लोग भी इससे पीड़ित हो रहे हैं। ऐसे में यह बेहद आवश्यक है कि कुछ ऐसे उपाय किए जाएं, जिससे आपका शुगर कंट्रोल में रहे। मधुमेह को नियंत्रित रखने में योग आपके काफी काम आ सकता है। तो आईए जानते हैं मधुमेह को कंट्रोल करने वाले कुछ योगासनों के बारे में−


पश्चिमोत्तानासन−
इस आसन से शरीर का पाचनतंत्र मजबूत होता है और शरीर में रक्त का संचार तेजी से होता है, जिससे व्यक्ति को डायबिटीज से लड़ने में आसानी होती है। यह आसन करने के लिए पैर सीधे फैलाकर बैठ जाएं। फिर दोनों हाथों को ऊपर उठाएं और सांस भरते हुए पैरों के तलवे को पकड़ने की कोशिश करें। घुटने से माथा सटना चाहिए। फिर सांस छोड़ते हुए हाथ ऊपर करके सामान्य हो जाएं। इस प्रक्रिया को दो से तीन पर बार दोहराएं।


सर्वांगासन−
यह शरीर का संपूर्ण व्यायाम है। इसे करने से थॉयराइड और पैराथॉयराइड ग्रंथियों को मजबूती मिलती है। इसे करने के पहले सीधे लेट जाएं, फिर पैरों को धीरे−धीरे उठाते हुए 90 डिग्री का कोण बनाएं। हाथों से कमर को सहारा दें। इस आसन में शरीर का सारा भार गर्दन पर पड़ना चाहिए। पैरों को सीधा रखें।


अर्ध मत्स्येन्द्रासन−
यह आसन यकृत व मूत्राशय को सक्रिय बनाता है। जिन लोगों के शरीर के भीतर इंसुलिन का उत्पादन नहीं होता या जिन्हें मधुमेह की बीमारी होती है, यह अभ्यास उनके शरीर में अग्नाशय को सक्रिय बनाकर इंसुलिन के उत्पादन में सहयोग देता है, इसलिए यह मधुमेह के उपचार के लिए रामबाण दवा है। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले सामने की ओर दोनों पैरों को फैलाकर बैठ जाएं। अब दाहिने पैर को मोड़ते हुए बाएं घुटने के बगल में बाहर की ओर रखें। इसके बाद बाएं को दाहिने ओर मोड़िए। एडी दाहिने नितम्ब के पास रहें। बाएं हाथ को दाहिने पैर के बाहर की ओर रखते हुए दाहिने पैर के टखने या अंगूठे को पकड़ें। दाहिना हाथ पीछे की ओर कमर में लपेटते हुए शरीर को दाहिनी ओर मोड़ें। अंतिम अवस्था में पीठ को अधिक से अधिक मोड़ने की कोशिश करें। एक मिनट इस अवस्था में रूकने के बाद धीरे−धीरे सामान्य अवस्था में आ जाएं। अब इसी क्रिया को विपरीत दिशा में करें। गर्भावस्था के दौरान व हृदय रोगियों को यह आसन नहीं करना चाहिए।


प्राणायाम−
प्राणायाम मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। खासतौर से, भ्रामरी और भ्रस्रिका प्राणायाम तो डायबिटिक लोगों को जरूर करना चाहिए। इनके नियमित अभ्यास से स्ट्रेस लेवल कम होता है और शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है। भ्रामरी प्राणायाम करने के लिए पद्मासन में बैठ जाएं। अंगूठे से कान बंद करें और ऊपर की तीन उंगलियों को आंखों पर रखें। अब गहरी सांस लेते हुए गले से उच्चारण करें। भस्रिका प्राणायाम के लिए पद्मासन में बैठ जाएं। गहरी सांस लें और उसे जल्दी−जल्दी छोड़ें। इस प्रक्रिया में मुंह बंद रखें और सांस की सारी प्रक्रिया नाक से ही करें।

सूर्य नमस्कार−
अगर आपके पास सभी आसनों को करने का पूरा समय नहीं है तो रोज दो से तीन बार सूर्य नमस्कार अवश्य करें। सिर्फ इस आसन को करने से भी आप काफी हद तक इस रोग को नियंत्रित कर सकेंगे। इससे श्वास, पेट और प्रतिरोधी क्षमता को लाभ पहुंचता है।

इन बातों का रखें ख्याल-
अगर आप योग द्वारा मधुमेह का उपचार कर रही हैं तो कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखें। सर्वप्रथम हमेशा खाली पेट ही योग क्रिया करें। साथ ही ढीले, हल्के व आरामदायक वस्त्र पहन कर ही योग करें। ऐसा जरूरी नहीं है कि आप सभी योगासन करें लेकिन जो भी करें, उसे सही ढंग से करें। साथ ही इसे चंद दिनों की चांदनी न बनाएं बल्कि जीवन पर्यन्त हमेशा करने की आदत डालिए। योगासन के अतिरिक्त अगर संभव हो तो सप्ताह में एक दिन नेती क्रिया या कुंजल क्रिया अवश्य करें। इन क्रियाओं को शुरूआत में किसी विशेषज्ञ की देख−रेख में ही करें। जब आप इस अभ्यास में पारंगत हो जाएं तो इन्हें घर पर अकेले भी कर सकते हैं।


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