रेल मंत्रालय ने विश्व पर्यावरण दिवस मनाया
रेल मंत्रालय ने आज 6 जून, 2019 को राष्ट्रीय रेल संग्रहालय में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया। इस अवसर पर सदस्य (रोलिंग स्टॉक) श्री राजेश अग्रवाल, सदस्य (स्टाफ) श्री एस.एन. अग्रवाल, सदस्य (सामग्री प्रबंधन) श्री वी. पी. पाठक, सदस्य (एसएंडटी) श्री एन. काशीनाथ, ऊर्जा एवं संसाधन संस्थान (टेरी) के महानिदेशक डॉ. अजय माथुर और वरिष्ठ रेल अधिकारीगण भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर सदस्य (रोलिंग स्टॉक) श्री राजेश अग्रवाल ने कहा, 'रेलवे बड़े पैमाने पर पर्यावरण की निरंतरता के प्रति अत्यंत कटिबद्ध है। पिछली सरकार में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में स्वच्छता पर विशेष जोर दिया जाता रहा है। स्वच्छता अभियान के नतीजे स्पष्ट नजर आ रहे हैं। रेलवे ने 'गेम चेंजर' की भूमिका निभाई है क्योंकि रेलगाड़ियों में जैव-शौचालयों के इस्तेमाल से पूरे देश में रेल पटरियां बदबू मुक्त हो गई हैं। इसके अलावा, रेलवे अपने समस्त नेटवर्क में स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए आगे भी निरंतर प्रयासरत रहेगी। रेलवे ने हरित पर्यावरण और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए तेज गति से विद्युतीकरण सुनिश्चित करने और रेलवे के परिसरों में सोलर पैनल लगाने जैसे अनेक कदम उठाए हैं। रेलवे पर्यावरण अनुकूल प्रौद्योगिकियां सुनिश्चित करने के लिए टेरी के साथ गठबंधन करने को लेकर आशान्वित है।' श्री राजेश अग्रवाल ने यह भी कहा कि 'रेलवे की ओर उन्मुख हों' अभियान समय की मांग है क्योंकि इससे लॉजिस्टिक्स ढुलाई लागत में काफी कमी आएगी और इसके साथ ही पर्यावरण संरक्षण भी सुनिश्चित होगा।
पर्यावरण दिवस के अवसर पर भारतीय रेलवे की पर्यावरण प्रबंधन उपलब्धियों के बारे में पर्यावर्णीय स्थिरता रिपोर्ट 2018-19 जारी की गई। पर्यावरण के क्षेत्र में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली इकाई का पुरस्कार रेल व्हील फैक्ट्री, येलंहका को दिया गया। इस अवसर पर मुख्य ट्रेनों में ऑन बोर्ड हाउस कीपिंग सेवाओँ के लिए मोबाइल एप को लांच किया गया।
ऊर्जा का मुख्य उपभोक्ता होने के कारण रेलवे ने ऊर्जा दक्षता और ऊर्जा संरक्षण सुधारने की दिशा में व्यवस्थित कार्यक्रम शुरू किए हैं। इनमें ऊर्जा के नवीकरण स्रोतों का उपयोग और इसके ऊर्जा मिश्रण में वैकल्पित ईंधनों का उपयोग शामिल हैं। हरित भवन की पहल के कार्यक्रम के रूप में 8 उत्पादन इकाइयों और 12 प्रमुख कार्यशालाओं को आईएफओ 14001 प्रमाणित किया गया है। 38 डीजल शेड, 8 इलेक्ट्रिक लोको शेड, 3 एमईएमयू/डीईएमयू कार शेड, 2 इंजीनियरिंग कार्यशालाएं और एक स्टोर डिपो को भी प्रमाणित किया जा चुका है। कई स्टेशनों पर सैनेट्री नेपकिन वैंडिंग मशीनें और इनसिनेरेटर भी लगाए जा रहे हैं। कार्बन सिंक बढ़ाने के लिए रेलवे की खाली पड़ी भूमि पर पेड़ लगाने के लिए राज्यों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। 20 माइक्रोन से कम मोटी प्लास्टिक की पैकिंग पर प्रतिबंध लगाया गया है। 128 स्टेशनों पर प्लास्टिक की बोतलें तोड़ने वाली 166 मशीनें लगाई गई हैं। वाटर रिसाइकिलिंग संयंत्रों और वर्षा के पानी के संचयन के अलावा अनेक पुराने और बेकार जल निकायों को दोबारा ठीक किया गया है। आईआरसीटीसी को स्टेशनों पर वाटर वैंडिंग मशीनें लगाने के लिए अधिकृत किया गया है।
भारतीय रेलवे भारत की एनडीसी की प्रमुख कंपनी है। यह 2030 तक ताजे पानी की खपत में 20 प्रतिशत कमी करने और आधार वर्ष 2005 की तुलना में कार्बन उत्सर्जन 32 प्रतिशत तक कम करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए रेल कर्षण और ईंधन दक्षता में सुधार लाना अपेक्षित है। भारतीय रेलवे ने अपनी प्रतिबद्धता और स्थिरता पूरा करने के लिए अनेक पहलों की योजना बनाई है।