भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया शाह का मठ.! रसूखदार संतों के आगे नतमस्तक हुआ प्रशासन

फतेहपुर।


यूपी में योगी सरकार आने के बाद लग था कि सूबे में भ्रष्टाचार का खात्मा होना निश्चित है। पिछली सरकारों की गलतियां गिनाते हुए जिस प्रकार से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंच से और मीडिया के सामने भाषण देते दिखाई देते हैं उससे तो यही लग रहा था कि रामराज्य यहीं है लेकिन अभीतक लोगों को न राम मिले ना ही उनके जैसा शासित राज्य। सबका साथ सबका विकास के नारे के साथ चुनाव लड़ने वाली भाजपा के लिए शायद इसका मतलब उन रशूखदार लोगों से है जो किसी भी परिस्थिति को अपने अनुकूल करने में सक्षम हैं।
ताजा मामला जनपद के शिवजी विराजमान मठ का है जहां पिछले एक वर्ष से अधिक समय से आश्रम और विद्यालय भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है। जहां आरोप लगाया जा रहा है कि वर्तमान के सर्वराहकार अमर चौतन्य को मठ से पूरी तरह बेदखल कर प्रयागराज के संत वासुदेवानंद सरस्वती ने कब्जा कर लिया है। बताया जा रहा है कि इनके खिलाफ कई बार अमर चौतन्य ने शासन और जिला प्रशासन को शिकायती पत्र भी दिया लेकिन उनकी किसी भी बात को प्रशासन सुनने को तैयार नहीं है। वर्तमान में मठ के आधीन संचालित विद्यालय स्वामी गोविंदपुरी इंटर कॉलेज के तथाकथित प्रबंधक जितेंद्र तिवारी उर्फ जितेन्द्रानंद ने विद्यालय के प्रधानाचार्य ओम प्रकाश द्विवेदी को बिना किसी कारण निलंबित कर दिया है।और उनकी जगह कार्यवाहक के रूप में किरण देवी को प्रधानाचार्य बना दिया गया।अध्यापकों ने बातचीत के दौरान बताया कि डीआईओएस ने प्रशासन के बल पर जबरन हमसें 30 जून की मीटिंग में हस्ताक्षर करवाए।
विद्यालय की प्रबंध समिति ने किया तथाकथित प्रबन्धक का विरोध- 25 जून को विद्यालय पहुंचे शिक्षकों ने जब कार्यालय में ताला लगा देखा तो उन्होंने इसका विरोध किया और इसकी शिकायत डीएम जिला विद्यालय निरीक्षक से की 30 जून को डीआईओएस ने प्रबंधक समेत शिक्षकों को विद्यालय में बुलाया जहां पर बैठक से पहले समित के कई सदस्यों ने जितेन्द्रानंद का विरोध किया और उनको प्रबधंक न मानने की बात कहीं।
बिना कारण के निलंबित कर दिए गए प्रधानाचार्य..क्या कहता है नियम-रजिस्ट्रार चिट फंट सोसाइटी के नियमानुसार प्रबंधक प्रधानाचार्य या किसी भी अध्यापक को बिना प्रबंध समिति के संस्तुति के निलंबित या हटा नहीं सकता है। लेकिन यहां बिना कारण बताए और बिना समिति की मन्त्रणा के ही प्रधानाचार्य को पद से हटा दिया गया।
डीआईओएस पर समिति के लोगों ने लगाया आरोप-शिक्षकों के विवाद में आए जिला विद्यालय निरीक्षक महेंद्र प्रताप सिंह पर समिति के कई सदस्यों ने आरोप लगाते हुए कहा कि वो जितेन्द्रानंद के प्रतिनिधि के रूप में यहां आए हुए हैं जबकि उन्होंने हम लोगों से बात तक नहीं की।उन्हें यहां तक कि उनको किसी भी अध्यापक को उसके पद से हटाने का अधिकार ही नहीं है। वहीं डीआईओएस का कहना है कि उनका कार्य बिना अवरोध के विद्यालय को संचालित कराना है। कई मामलों में जांच कराई जा रही है। जबकि कई प्रश्नों का उन्होंने सही से जवाब नहीं दिया जब इस मामले में जितेन्द्रानंद से उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया।
वर्तमान की प्रबंध समिति की लिस्ट में कौन-कौन हैं सदस्य-रजिस्ट्रार चिट फंड सोसाइटी से मिली लिस्ट में पंद्रह लोग शामिल हैं जिनमें से एक सदस्य शिवमोहन पांडेय का लगभग एक वर्ष पहले निधन भी हो चुका है। समिति के कई सदस्यों ने यह भी कहा कि तथाकथित प्रबन्धक उनके भी हस्ताक्षर फर्जी तरीके से बना रहा है। इस मौके पर वासुदेवानंद, अशोक कुमार सिंह, जितेन्द्रानंद, रज्जो प्रसाद तिवारी,अमर चौतन्य,बच्छराज गुप्ता,शिवमोहन पाण्डेय,अमर नाथ मिश्र, शिव प्रकाश शुक्ला,प्रेम नारायण गुप्ता,यशवंत मौर्य, आनंद मौर्य, रहस बिहारी श्रीवास्तव,ओम प्रकाश शुक्ला,प्रेम बहादुर विश्वकर्मा आदि शामिल रहे।
प्रबंध समिति के चुनाव कार्यवाही पत्र में दिखा फर्जीवाड़ा-चुनाव कार्यवाही पत्र को ध्यान से देखने पर उसमें फर्जीवाड़ा दिखाई पड़ा। जिसके तहत जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय द्वारा 01/08/2015 को समिति के लोगों के चुनाव कार्यवाही में हस्ताक्षर प्रमाणित किए गए जबकि चुनाव 14/10/2015 को कराए गए जो कि नियम विरुद्ध है। जबकि पहले चुनाव कराए जाते हैं उसके बाद हस्ताक्षर को प्रमाणित किया जाता है।
मठ में कब्जे के विरुद्ध बोर्ड ऑफ रेवेन्यू से लगा है स्टे..और रजिस्टार चिट फंड एंड सोसायटी में कमेटी है विवादित-शाह में जबरन कब्जे के खिलाफ प्रयागराज बोर्ड ऑफ रेवेन्यू में 9 जुलाई तक स्टे है और रजिस्ट्रार चित फण्ट सोसाइटी में कई सदस्यों ने हलफनामा दाखिल करके कमेटी के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव दायर किया है जिसमें फर्जी रूप से हस्ताक्षर करने की बाद की गई है जिसकी अगली तारीख 22 जुलाई को है।
पूर्व डीएम आञ्जनेय कुमार ने बनाई थी तीन सदस्यीय जांच कमेटी- तत्कालीन डीएम आञ्जनेय कुमार सिंह ने तीन सदस्यीय कमेटी जिसमें एसडीएम, तहसीलदार और सीओ को शामिल करते हुए एक टीम बनाई थी लेकिन उनके जाने के बाद न तो टीम रही और न उसने कभी जांच की। शाह स्थित मठ का कौन हो सकता है।
सर्वराकार और कौन बन सकता विद्यालय का प्रबंधक-शाह स्थित मठ की सन 1963 में बनी डीड के अनुसार गुरु शिष्य परम्परा के अंतर्गत आने वाला संत ही इस मठ का सर्वराहकार होगा। साथ ही तत्कालिक सर्वराहकार ईश्वरानंद ने सन 1984 में मठ के आधीन जब स्वामी गोविंद पुरी विद्यालय की स्थापना की तो उसके बाइलॉज में इस बिंदु का जिक्र किया कि हो मठ का सर्वराहकार होगा वहीं विद्यालय का अध्यक्ष होगा और वहीं इसमें प्रबंधक की नियुक्ति करेगा।


 


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