शासन की मांग कोर्ट में स्वीकार, भाजपा नेताओं पर दर्ज केस वापसी की दी अनुमति

सुलतानपुर।


दिन-दहाड़े पुलिस की गाड़ी तोड़ी गयी। डीएम कार्यालय में घुसकर कमरो की खिड़किया, गमले व अन्य सामान भी ईंट पत्थरों से क्षतिग्रस्त किये गये एवं राहुल गांधी की फ्लीट पर भी बाधा पहुंचाकर सड़क जाम किया गया, लेकिन पुलिस इन सब के सम्बंध में सटीक सबूत ही नहीं जुटा सकी और सरसरी तौर पर आरोप पत्र दाखिल कर दिया। भाजपा नेताओं के खिलाफ दर्ज इन मुकदमों को राजनीति से प्रेरित एवं कमजोर बताते हुए शासन की तरफ से केस वापसी की पहल की गयी। एसीजेएम पंचम हरीश कुमार ने मुकदमें से जुड़े सबूतों को कमजोर, राजनीति से प्रेरित एवं केस वापसी को जनहित में मानते हुए अर्जी मंजूर कर ली। जिससे भाजपा नेताओं को बड़ी राहत मिली है।
मालूम हो कि वर्ष 2006 में कोतवाली देहात थाना क्षेत्र की रहने वाली एक लड़की के साथ हुए बलात्कार व उसके बाद हुई हत्या को लेकर शहर के तिकोनिया पार्क पर घटना के विरोध में धरना प्रदर्शन का आयोजन किया गया। इस दौरान भाजपा पार्टी के नेताओं ने तत्कालीन सरकार के खिलाफ जमकर भाषणबाजी की और उपद्रव मचाया। इसी घटना के सम्बंध में प्रशासनिक अधिकारी हौसिला प्रसाद ने 29 जुलाई 2006 को सुरक्षा व्यवस्था में लगी सरकारी जीप को क्षतिगस्त करने एवं ईंट पत्थर फेंककर सरकारी कमरों की खिड़किया, गमले आदि क्षगिग्रस्त करने के सम्बंध में कोतवाली नगर में मुकदमा दर्ज कराया। इस मामले में भाजपा नेता विजय त्रिपाठी, भावना सिंह, वीरेन्द्र सिंह, सूर्यभान निषाद के खिलाफ नामजद एवं 150 अज्ञात लोगों के विरूद्ध बल्बा, तोड़फोड़ व सरकारी काम में बाधा पहुंचाने समेत अन्य आरोपों में मुकदमा दर्ज हुआ एवं आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल हुई।
दूसरा मामला में तत्कालीन नगर कोतवाल वीरेन्द्र सिंह ने 26 मार्च 2010 की घटना बताते हुए केस दर्ज कराया। जिनके आरोप के मुताबिक भाजपा नेता रामचन्द्र मिश्र, रवीन्द्र त्रिपाठी, अशोक कसौंधन, उमाशंकर अग्रहरि, रेखराज गुप्ता, मेवालाल व 15-20 अन्य ने एक मुकदमें में चोटहिल की मृत्यु के बाद धारा बढोत्तरी को लेकर सड़क जाम कर दिया और राहुल गांधी की फ्लीट को रोककर उनके कार्यक्रम में बाधा पहुंचाया। इस मामले में नगर कोतवाल की तहरीर पर भाजपा नेताओं पर मुकदमा दर्ज हुआ एवं भाजपा नेता रामचन्द्र मिश्र, रवीन्द्र त्रिपाठी, अंजनी कसौंधन, उमाशंकर अग्रहरि, मेवालाल के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल हुआ। दोनों ही मामलों का विचारण मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में कई वर्षों से लम्बित रहा। इसी बीच वर्तमान सरकार की तरफ से भाजपा नेताओं के खिलाफ दर्ज मुकदमें को राजनीति से प्रेरित, कमजोर सबूत से घिरा हुआ बताते हुए केस वापसी की पहल की गयी। शासन की पहल पर अभियोजन अधिकारी विजय कुमार ने दोनों ही मुकदमों में अर्जी देकर सीजेएम कोर्ट से केस वापसी की अनुमति दिये जाने की मांग की। इसी बीच सीजेएम पर अविश्वास जाहिर करते हुए निष्पक्ष न्याय न मिलने का संदेह व्यक्त कर भाजपा नेता रामचन्द्र मिश्र की तरफ से दोनों मुकदमों को अन्य अदालत में ट्रान्सफर करने की मांग को लेकर जिला जज की अदालत में अर्जी दी गयी। जिला जज ने बीते 17 मई को मुकदमा स्थानान्तरित कर सुनवाई के लिए एसीजेएम पंचम हरीश कुमार की अदालत पर भेज दिया। दोनों ही मामलों में सुनवाई के दौरान यह तथ्य सामने लाया गया कि पुलिस के जरिए तमाम सबूत जुटाये ही नहीं जा सके है और सरसरी तौर पर चार्जशीट दाखिल की गयी है। अभियोजन पक्ष को कमजोर, मुकदमें को राजनीति से प्रेरित एवं केस वापसी को जनहित में मानते हुए न्यायाधीश हरीश कुमार ने मुकदमा वापसी सम्बंधी अर्जी मंजूर कर ली। अदालत का मानना है कि केस वापसी न होने से आरोपी बनाये गये लोगों के साथ अन्याय होने एवं न्यायालय का बहुमूल्य समय नष्ट होने की प्रबल सम्भावना है। इन प्रमुख बिंदुओं पर विचार करते हुए अदालत ने मुकदमा वापसी को उचित माना। अदालत के इस फैसले से भाजपा नेताओं को बड़ी राहत मिली है। मालूम हो कि इसके पूर्व में भी पूर्व सांसद ताहिर खां, सपा विधायक राकेश प्रताप सिंह सहित अन्य की तरफ से भी शासन की पहल पर कोर्ट से केस वापसी की मांग की गयी थी। फिलहाल तत्कालीन न्यायाधीशों ने उनकी अर्जी को जायज न मानते हुए केस वापसी की मांग ठुकरा दी थी।


 


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