विद्युत पारेषण परियोजनाओं में 20,000 करोड़ रुपये के निवेश की योजना : ऊर्जा मंत्री

लखनऊ।


प्रदेश में औद्योगिक निवेश को बढ़ाने के लिए रविवार को इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान, लखनऊ में आयोजित दूसरी ग्राउण्ड ब्रेकिंग सेरेमनी के 6वें सत्र 'पावर एण्ड रीन्यूएवल एनर्जी' को संबोधित करते हुए प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा ने कहा कि निवेशकों को बेहतर सुविधाएं व सुरक्षा उपलब्ध करायी जायेगी। उनकी समस्याओं का समुचित समाधान किया जायेगा। बिजली उद्योग की बैकबोन है। उद्योगपतियों को 24 घण्टे निर्बाध बिजली आपूर्ति मिलेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश की पहचान अब अंधेरा नहीं, उजाला है। प्रदेश सरकार वर्ष 2032 की मांग को ध्यान में रखकर योजनाओं पर कार्य कर रही है। सभी कार्यो को शीघ्रता व पारदर्शिता के साथ तय लक्ष्य के अनुरूप पूरा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बिना निवेशकों के कोई भी प्रदेश या देश आगे नहीं बढ़ सकता। जैसे दुनिया में भारत एक बड़ा बाजार है उसी प्रकार भारत में उत्तर प्रदेश है। 
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि उपभोक्ताओं को निर्वाध बिजली आपूर्ति मिले इसलिए सरकार बिजली के उत्पादन, पारेषण एवं वितरण क्षेत्र में विशेष कार्य कर रही है। बिजली उत्पादन इकाइयों की क्षमता बढ़ाने तथा उत्पादन लागत को घटाने पर कार्य किया जा रहा है। आज उत्पादन इकाइयों का प्लाण्ट लोड फैक्टर 2017 के सापेक्ष 13.8 प्रतिशत से बढ़कर 78.83 प्रतिशत हो गया है। वर्ष 2016 में ग्रिड की क्षमता 18000 मेगावाट थी, जो कि अब बढ़कर 24000 मेगावाट से ऊपर हो चुकी है। इसी प्रकार वर्ष 2017 में ग्रिड की आयात क्षमता 8700 मेगावाट थी, जो कि अब बढ़कर 12850 मेगावाट हो गयी है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2021 तक ग्रामीण क्षेत्रों के सभी उपभोक्ताओं के यहां प्रीपेड मीटर तथा शहरी क्षेत्रों में स्मार्ट मीटर लग जायेगा। बिजली चोरी रोकने के 31 अगस्त, 2019 तक हर जिले में एक बिजली थाना स्थापित हो जायेगा। उन्होंने कहा कि अब तक 60 हजार करोड़ लागत की 81 विद्युत परियोजनाओं का शिलान्यास किया जा चुका है। प्रदेश में दो साल के भीतर सौभाग्य योजना के तहत 1.08 करोड़ घरों को रोशन किया गया तथा 1,78,168 मजरों को बिजली पहुंचायी गयी। 2 वर्षों में पारेषण क्षमता को 15,000 एमवीए से बढ़ाकर 24,000 एमवीए की गयी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में वर्ष 2016 में जहां बिजली की पीक मांग 16500 मेगावाट थी अब बढ़कर 22000 मेगावाट हो गयी है, जोकि वर्ष 2024 में 30,000 मेगावाट तक पहुंच सकती है। प्रदेश में अगले 5 वर्षों में विद्युत पारेषण परियोजनाओं में 20,000 करोड़ रुपये के निवेश की योजना है।



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