अजब है मोदी के मंत्री ....!

फतेहपुर सांसद ने पाँच साल में 14.63 करोड़ के प्रस्तावों की नहीं दी सहमति
अपनी भूमिका के प्रति गम्भीर नहीं डीआरडीए, कार्यान्वयन अधिकारी भी सत्ता के दबाव में
निरंजन ज्योति ने चुनावी खुन्नस में पूर्व कार्यकाल के तीन और प्रस्तावों को किया खारिज
मैडम सांसद के भतीजे/प्रतिनिधि राजेन्द्र निषाद से जुड़े मामलों की भी है लम्बी फेहरिस्त

प्रमोद श्रीवास्तव
फतेहपुर।


मोदी सरकार सबका साथ सबका विकास और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह क्यूँ न “हम राजनीति का सत्ताईकरण करने नहीं आये है” का ढिंढोरा पीटते हो किन्तु उनकी सरकार के मंत्री व्यवस्था में खलल और उद्देश्य में पलीता लगाने में पीछे नहीं है। उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले की सांसद निरंजन ज्योति जो केन्द्र में मंत्री भी है और भाजपा की स्टार प्रचारक के क्रिया-कलाप कही से पार्टी और सरकार के दाँवों से मेल नहीं खाते है! मैडम सांसद के कार्यालय का हाल यह है कि पिछले कार्यकाल के पाँच सालों में एक सैकड़ा से अधिक निर्माण कार्यों से सम्बंधित 14.63 करोड़ के प्रस्ताव तो डीआरडीए को भेजे गये किन्तु अरसा गुजर जाने के बावजूद सम्बंधित प्रस्तावों पर सहमति नहीं मिल पाई। इन प्रस्तावों के परिपेक्ष्य में स्टीमेट आदि तैयार करने में सरकारी कार्यदाईं संस्था आरईएस को न सिर्फ आर्थिक क्षति उठानी पड़ी बल्कि काफी समय भी ज़ाया हुआ..!
उधर डीआरडीए अपनी भूमिका के प्रति कतई गम्भीर नहीं और सांसद निधि के कार्यान्वयन अधिकारी (डीएम) भी सत्ता के दबाव में है। वही किसी ने भी जरा सी मुखालफत की सोची भी तो उसे तुरंत गिरफ्तार कराने में माहिर मैडम सांसद (निरंजन ज्योति) ने चुनावी खुन्नस में पूर्व कार्यकाल के तीन और प्रस्तावों को खारिज करने का पत्र डीआरडीए को भेजकर तुरन्त अमल के निर्देश दिये है। क्योंकि  मैडम का इन दिनो रुतबा इस कदर गालिब है कि सिस्टम के जिम्मेदार अच्छे बुरे सारे आदेश पर बगैर आगे-पीछे सोंचे अमल का फरमान सुना देते है। ऐसे में कई मामलों में हलक सूखने की भी नौबत आ जाती है। बावजूद इसके आदेश की नाफरमानी की कोई हिम्मत नहीं जुटा पाता..!  
उल्लेखनीय है कि तमाम तमगे हासिल करने वाली मैडम सांसद निरंजन ज्योति केंद्र में बड़े विभाग की राज्य मंत्री होने के साथ साथ भाजपा की स्टार प्रचारक और निरंजनी अखाड़े की महामंडलेश्वर भी है। उनकी फितरत बसपा सुप्रीमो मायावती से काफी कुछ मिलती जुलती कही जा सकती है। भाजपा मायावती पर तो भाई और भतीजे से प्रभावित होने का आरोप लगाती रही है किन्तु अपने मंत्री का भतीजे के आवरण से बाहर न निकल पाने और मूल भाजपाईयो से लगातार बढ़ती दूरी से कोई गुरेज नहीं है। यहाँ पर यह कहना गलत न होगा कि “मोदी के मंत्री है, वो जो करे सब जायज है”! फतेहपुर की मैडम सांसद ने पिछले माह अपने पूर्व कार्यकाल के तीन और प्रस्तावों का निरस्तीकरण आदेश (पत्र) जारी कर दिया। बड़ी बात यह है कि इनमे एक अधिवक्ताओ से सम्बंधित है, जिसकी वित्तीय सहमति भी डीआरडीए भेज चुका है और आरईएस काम भी शुरू करवा चुका है। देखने वाली बात यह होगी कि अति भ्रष्ट डीआरडीए के जिम्मेंदारो का इस पर क्या रूख होता है और कार्यान्वयन अधिकारी (डीएम) इसमें क्या करते है। फिलहाल इस पत्र को लेकर डीआरडीए में ऊहापोह की स्थिति बनी है।
गौरतलब है कि सांसद एवं केन्द्रीय मन्त्री निरंजन ज्योति ने 14.63 करोड़ के जिन प्रस्तावों पर बारबार स्मरणपत्रों के बावजूद सहमति पत्र डीआरडीए को नहीं भेजी उनमें अकेले 47 प्रस्ताव चुनावी वित्तीय वर्ष (01 अप्रैल 2018 से 22 फरवरी 2019 तक) के है। जबकि 2014, 2015, 2016, 2017-18 में सीसी रोड आदि से सम्बंधित 51 प्रस्ताव डीआरडीए को भेजे गये और उसमें आरईएस व कुछ अन्य कार्यदाई संस्था ने बाकायदे समय व धन जाया कर स्टीमेट भी तैयार कर भेजा किन्तु सांसद कार्यालय से सहमति पत्र नहीं भेजा गया। बताते चले कि निरंजन ज्योति सांसद तो फतेहपुर की है किन्तु यहाँ के लिये वह अभी भी अप्रवासी है। वे जब यहाँ आती भी है तो आगे पीछे लगभग सारा तन्त्र हमीरपुर का होता है! यानी उनकी रूह क्यों न फतेहपुर में रहे आत्मा हमीरपुर में ही रहती है! इसके अलावा सारे जरूरी काम मूसानगर (हमीरपुर) स्थित उनके आश्रम से निष्पादित होता है। शायद यही कारण है कि मैडम की सांसद निधि के कांट्रेक्टर लगभग सारे हमीरपुर के है। काम सिर्फ उन्ही को मिलता है! हाँ इतना जरूर है कि कांट्रेक्ट मिलने के बाद फिर स्थानीय उन पेटी कांट्रेक्टरो को कुछ काम मिल जाता है जिन पर सांसद (निरंजन ज्योति) के प्रतिनिधि/भतीजे राजेंद्र निषाद की कृपादृष्टि हो जाती है!
वैसे ऐसे पेटी कांट्रेक्टरो की संख्या भी उँगलियों में गिनी जा सकती है, जिन्हें सांसद निधि से काम मिला! कुछ एक का अपवाद छोड़ दिया जाये तो शायद ही किसी स्थानीय भाजपाई का नाम इसमें शामिल मिले! इतना ही नहीं सांसद कार्यालय के कम्प्यूटर आपरेटर योगेन्द्र सिंह की भी कृपा दृष्टि काफी मायने रखती है, उनपर भी आरोपो की लम्बी फेहरिस्त है। वैसे भी मोदी और योगी राज में मूल भाजपा कार्यकर्ताओं की पूछ न होने के आरोप लगते रहे है। शायद निरंजन ज्योति सरीखे के जनप्रतिनिधि इसके लिये ज्यादा जिम्मेदार है। जिनकी आत्मा आज भी फतेहपुर में रम नहीं पाई है और न ही उनका परदेशीपन दूर हो पाया है। सांसद निधि में गड़बड़झाले से सम्बंधित मामलों के बारे में जब सांसद निरंजन ज्योति से सम्पर्क करने का प्रयास किया गया तो उनसे सम्पर्क नहीं हो पाया। वही डीआरडीए के पीडी अशोक कुमार निगम का कहना था कि सांसद निधि का पूरा दारोमदार सांसद के प्रस्ताव पर निर्भर है, वह जैसा ठीक समझे करे। उन्होंने सारा कुछ डीएम पर डाला। जबकि आरईएस का कोई भी जिम्मेदार वर्जन के लिये तैयार नहीं हुआ और इसके लिये अधिकृत न होने की बात कही।



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