अजब हैं मोदी के मंत्री....! 

 


सांसद निधि के व्यापक दुरुपयोग की कहानी बयान करते सामुदायिक मिलन केन्द्र


ज्यादातर की साल भीतर हो गई जर्जर हालत
गाइड लाइन के विपरीत हुआ 13 सीसी मार्गों का निर्माण
25 में 24 करोड़ के सिर्फ तीन हिस्सेदार, एक को मिले 15, दूसरे को 06 तीसरे के हिस्से में 3.64 करोड़
मामला हाईप्रोफाइल होने से कार्यान्वयन अधिकारी (डीएम), डीआरडीए, आरईएस ने साधी चुप्पी


प्रमोद श्रीवास्तव
फतेहपुर।


देश की जनता ने केंद्र में भारतीय जनता पार्टी को लगातार दूसरी बार बहुमत के साथ सत्ता तो सौंपी किन्तु क्या सरकार के नुमाईन्दे जनमानस की सोंच पर खरा उतर पाये, जवाब शायद नहीं! फतेहपुर में तो दावे के साथ नहीं...! इस सीट का लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर रही केन्द्रीय मन्त्री निरंजन ज्योति की सांसद निधि का व्यापक दुरुपयोग एक अबूझ पहेली बना हुआ है। कुल 53 में 41 सामुदायिक मिलन केंद्रो की हालत निर्माण के एक साल के अंदर जर्जर हो जाना कार्यदाई संस्था के साथ साथ जनप्रतिनिधि की भूमिका पर भी सवाल खड़े करता है।
गौरतलब है कि सम्बंधित सांसद द्वारा अगर वीटों भी लगाया जाता है तो भी पूर्व में निर्मित किसी मार्ग पर सांसद निधि से उस पर पुनः निर्माण नहीं हो सकता। सांसद स्थानीय विकास निधि की गाइड लाइन के मुताबिक अगर ऐसा होता है तो निधि के कार्यान्वयन अधिकारी (डीएम) समेत कार्यदाई संस्था व डीआरडीए की पूर्ण रुपेण जिम्मेदारी होती है ! बावजूद इसके सांसद निरंजन ज्योति के प्रस्ताव पर उनकी निधि से 13 ऐसे मार्गों पर सीसी निर्माण या तो हो चुका है या फिर कार्य प्रगति पर है! इसी कड़ी में फतेहपुर शहर के शादीपुर नाका के निकट सांसद निधि से सरकारी कार्यदाई संस्था (आरईएस) द्वारा निर्माण कार्य प्रगति पर है, उस पर पूर्व में तत्कालीन विधायक राधेश्याम गुप्ता की विधायक निधि और फिर लगभग चार वर्ष पूर्व नगर पालिका परिषद द्वारा सीसी रोड का निर्माण कराया जा चुका है, जिसपर दोनो ओर नाली का निर्माण भी हुआ था। बनी रोड पर पुनर्निर्माण किन परिस्थितियों में किया जा रहा है यह बड़े गड़बड़झाले की स्वतः कहानी कहता है।
सांसद निरंजन ज्योति के अलग-अलग प्रस्तावों पर जनपद में पिछले पाँच सालों के दरमियान डीआरडीए ने सरकारी कार्यदाई संस्था आरईएस के जरिये 53 सामुदायिक मिलन केंद्रो का निर्माण कराया व कुछ कार्य प्रगति पर है, जिनके निर्माण में गुणवत्ता/मानको के साथ जमकर खिलवाड़ हुआ। नतीजतन इनमे अधिकांश की हालत निर्माण के एक साल के अंदर अत्यंत जर्जर हो जाना कार्यदाई संस्था के साथ साथ जनप्रतिनिधि की भूमिका पर भी कही न कही सवाल खड़े करता है! यहाँ पर गौरतलब है कि इस मद में समय-समय पर कार्यान्वयन अधिकारी (डीएम) के स्तर पर भी हुई शिकायतों पर भी कार्यवाही का न किया जाना पहेली बन चुका है।
ज्ञातव्य रहे कि कुछ माह पूर्व असोथर कस्बे में सांसद निधि से पद्मा कंस्ट्रक्शन द्वारा बनवाया जा रहा सामुदायिक मिलन केंद्र निर्माण के समय ही ढह गया था, जिसमें कुछ श्रमिक भी घायल हुए थे किन्तु मामला हाईप्रोफाइल होने के कारण गुणवत्ता/मानको की जाँच कराना भी उचित नहीं समझा गया। इस मामले में शिकायतों का दौर भी सबल दबा दिया गया। पिछले पाँच सालों में निरंजन ज्योति की सांसद निधि के 25 करोड़ में लगभग 24 करोड़ रुपये से हुए निर्माण कार्यों के टेंड़र सिर्फ तीन फर्मों के हिस्से में जाना ई-टेंडरिंग में भी सेटिंग-गेटिंग की कहानी कहते है। इनमे हमीरपुर की फर्म मे० अरुण कुमार सचान को लगभग 15 करोड़ के काम मिले। इसके अतिरिक्त हमीरपुर की ही एक अन्य फर्म मे० लालाराम निषाद को लगभग 06 करोड़ के टेंडर मिले, एक अन्य फर्म पद्मा कंस्ट्रक्शन के हिस्से में 3.64 करोड़ के काम आये। इसके अलावा एकमुश्त मोटी रकम नोयडा की एक फर्म को सोलर लाइट के लिये मिले। ये सोलर लाइटें कहां और कब लगीं और लगी भी तो किस स्थिति में हैं इसके बारे में किसी को कुछ भी जानकारी नहीं है।
बताते चले कि सांसद निधि से हुए निर्माण का भविष्य भगवान भरोसे है। पूर्व में बन चुके सीसी मार्गों में गुणवत्ता/मानको से इस कदर खिलवाड़ हुआ कि अधिकांश छः माह के भीतर उखड़ गई और मिलन केंद्रो की छतों से न सिर्फ पानी टपकता है बल्कि अधिकतर की दीवारों में लम्बी-लम्बी दरारें पड़ गई है। कुछ के तो शौचालय व दरवाजे अभी तक अपूर्ण है! जनपद के वरिष्ठ अधिवक्ता कांग्रेसी नेता सुधाकर अवस्थी ने केंद्रीय मंत्री निरंजन ज्योति की सांसद निधि में व्यापक गड़बड़झाले की शिकायत राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, ग्रहमंत्री/अध्यक्ष भाजपा, नोडल अधिकारी (सांसद निधि) भारत सरकार, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल व मुख्यमंत्री को भेजकर इसे गम्भीर विषय बताते हुए जाँच कराने व कार्यवाही करने की पुरजोर माँग की है।


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