“चमड़ा उद्योग क्षेत्र में अगले 5 वर्षों में 2 मिलियन रोजगार सृजित करने की क्षमता है”-डॉ महेन्द्र नाथ पांडे, केन्द्रीय मंत्री

कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री ने प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत आरपीएल प्रशिक्षुओं को प्रमाण पत्र प्रदान किया


देश भर में 2 मिलियन से अधिक उम्मीदवारों को पीएमकेवीवाई (20162020) के तहत आरपीएल प्रमाणन दिया गया


मोची स्वाभिमान पहल - एक राष्ट्रव्यापी प्रयास जिसमें एलएसएससी चमड़े पर आधारित सेवाएं प्रदान करने वाले मोची समुदाय- की शुरूआत का समर्थन करेगा, सीएसआर सहायता द्वारा यह सुनिश्चित करना कि वे सम्मानजनक तरीके से काम करें


माननीय कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री (एमएसडीई), भारत सरकार, डॉ महेन्द्र नाथ पांडे ने  आज चेन्नई में एक समारोह, जहां चमड़े के क्षेत्र में एक हजार से अधिक उम्मीदवारों को पूर्व अर्जित ज्ञान की स्वीकृति (आरपीएल) प्रमाण-पत्र प्रदान किया गया, में बोलते हुए कहा, चमड़ा क्षेत्र एक निर्यात संचालित क्षेत्र है और अगले 5 वर्षों में इसमें 2 मिलियन रोजगार सृजित करने की क्षमता है। भारत सरकार ने हाल ही में 2019 के बजट में घोषणा की थी कि इस क्षेत्र में  कच्चे और अर्ध-तैयार चमड़े के लिए निर्यात शुल्क को तर्कसंगत बनाया जाएगा।


डॉ पांडे ने कौशल भारत के प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) के तहत स्नातक प्रशिक्षुओं को पूर्व अर्जित ज्ञान की स्वीकृति (आरपीएल) प्रमाण-पत्र वितरित किए, जिन्हें चमड़ा क्षेत्र कौशल परिषद (एलएसएससी) ने चमड़े की कंपनियों में उनके मौजूदा कौशल पर प्रशिक्षित, मूल्यांकित और प्रमाणित किया था। इस प्रमाणन समारोह के अवसर पर तमिल भाषा, तमिल संस्कृति और पुरातत्व मंत्री श्री के. पंडियाराजन भी उपस्थित थे।


कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) के तहत एलएसएससी के साथ मिलकर काम करता है जो कौशल प्रशिक्षण को प्रोत्साहित कर युवाओं में रोजगार और उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए कौशल विकास को प्रोत्साहित करता है।


पीएमकेवीवाई के तहत पूर्व अर्जित ज्ञान की स्वीकृति (आरपीएल), अनौपचारिक रूप से अर्जित कौशल को प्रमाणित करता है और युवाओं को आकांक्षात्मक नौकरी के लिए प्रेरित करता है। साथ ही यह उद्योग के लिए, कर्मचारियों के कौशल को औपचारिक रूप से उपलब्ध कौशल, कौशल अंतराल और वांछनीय गुणवत्ता और उत्पादकता प्राप्त करने के लिए उन्नयन की आवश्यकता के बारे में एक स्पष्ट तस्वीर पेश करेगा। समारोह के दौरान आरपीएल के तहत प्रमाणित उत्कृष्ट उम्मीदवारों को बेस्ट इन क्लास एम्प्लॉयर स्कीम और एचआरडी स्कीम प्रमाण-पत्र भी दिए गए।


पिछले सप्ताह तक, देश भर में 2 मिलियन से अधिक उम्मीदवारों ने पीएमकेवीवाई (2016-20) के तहत आरपीएल प्राप्त किया है। नवीनतम रिपोर्ट (17 सितंबर) के अनुसार, नामांकित 2.78 मिलियन उम्मीदवारों में से, 2.70 मिलियन को प्रशिक्षित किया गया है जबकि 2.15 मिलियन का मूल्यांकन किया गया है और 2.03 मिलियन को प्रमाण पत्र दिया गया है।


एलएसएससी के प्रयासों की सराहना करते हुए माननीय कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री (एमएसडीई), भारत सरकार, डॉ महेन्द्र नाथ पांडे ने कहा, “विश्व स्तर पर, भारत चमड़े के कपड़े और जूते का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है और इस अभूतपूर्व बाजार क्षमता के साथ, यह क्षेत्र आने वाले वर्षों में सबसे ज्यादा संभावना वाला क्षेत्र लगता है। जब हम अपने अतीत को देखते हैं, तो भारत की चमड़े के शिल्प जैसे जूते और इससे संबंधित सामान में समृद्ध विरासत रही है। ये आगरा, कानपुर, अंबुर और अन्य क्षेत्रों के विभिन्न समूहों के उच्च कुशल कारीगरों द्वारा तैयार किए गए थे। आज, इन कौशलों को संरक्षित करने की आवश्यकता है और ऐसे लोगों को उन्हें स्थायी आजीविका का साधन बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। मुझे उद्योग जगत के साथ किए गए आपके आरपीएल कार्यक्रमों के परिणाम देखकर बहुत खुशी हुई। मैं उन सभी उम्मीदवारों को बधाई देता हूं जो आज अपना प्रमाण पत्र प्राप्त कर रहे हैं और आने वाले समय में उनके निरंतर सीखने और करियर के विकास के बेहतर अवसरों की कामना करता हूं। मैं आप सभी की सफलता की कामना करता हूं और एलएसएससी टीम एवं उनके सभी सहयोगियों को बमारा समर्थन इसी तरह निरंतर जारी रहेगा।


उन्होंने आगे कहा, “भारत सरकार ने इस क्षेत्र में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति दी है एवं कच्चे और अर्द्ध-तैयार चमड़े पर निर्यात शुल्क को भी तर्कसंगत बनाया है। इस क्षेत्र के कर्मचारियों की संख्या 2.5 मिलियन से भी अधिक है और इसमें अगले 5 वर्षों में 2 मिलियन नौकरियां सृजित करने की क्षमता भी है।”


भारत का विश्व में चमड़े के उत्पादन एवं जूते और चमड़े के उत्पाद में लगभग 13% हिस्सा है। चमड़ा और चमड़ा उत्पाद उद्योग भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 1% से कम का योगदान देता है और जूता उद्योग भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 2% योगदान देता है। भारतीय चमड़ा उद्योग में निर्यात की भारी संभावना है। यह 2020 5.85 बिलियन अमरीकी डालर वर्तमान स्तर से से बढ़कर 9.0 बिलियन अमेरिकी तक पहुंच सकता है। भारत ने जापान, कोरिया, आसियान, चिली आदि के साथ व्यापार समझौते किए हैं, और यूरोपीय देशों, ऑस्ट्रेलिया आदि के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर बातचीत कर रहा है।


डॉ. पांडे ने कहा, “फैशन और ट्रेन्ड का इस उद्योग पर बहुत प्रभाव है। पारंपरिक चमड़े के व्यापार और चमड़े के सामानों के अन्य वैकल्पिक रूपों के क्षेत्र में कई अवसर हैं। हमें निर्यात की व्यापक संभावनाओं के साथ बुनियादी जरूरतों को भी पूरा करना होगा। इस अवसर पर, मैं लघु और मध्यम उद्यमों (एसएमई) और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को सलाह दूंगा कि वे उत्पादन की गुणवत्ता और कुशल पेशेवरों द्वारा अपव्यय में कमी के संदर्भ में अपनी विनिर्माण प्रक्रियाओं की समीक्षा करें। मुझे “मोची स्वाभिमान पहल” की घोषणा करने में भी खुशी हो रही है, जो एक देशव्यापी गतिविधि है, जिसमें एलएसएससी सीएसआर फंडों के साथ चमड़ा आधारित सेवाएं प्रदान करने वाले मोची समुदाय को समर्थन देगा और कियोस्क के जरिए उन्हें बेहतर काम का माहौल देकर उनके कौशल का सम्मान करेगा। सरकार भी इस विचार का समर्थन करेगी और सुनिश्चित करेगी कि वे गरिमापूर्ण तरीके से अपना काम कर सकें।” 


मंत्री ने कहा, “प्रौद्योगिकी का हर उद्योग पर व्यापक प्रभाव पड़ा है और चमड़ा उद्योग भी इससे अछूता नहीं है। जबकि आपके विनिर्माण और कारखाने के परिसर को त्वरित उन्नयन की आवश्यकता है, इसके साथ ही आपको आज के ई-कॉमर्स परिदृश्य पर भी ध्यान देना चाहिए। इस चमड़ा उद्योग को भी डिजीटल क्रांति से जोड़ना होगा क्योंकि उन्हें ऑनलाइन सिस्टम एवं वैश्विक ग्राहक आधार के साथ बातचीत करने के लिए उपयुक्त डिजिटल कौशल की आवश्यकता होगी। मुझे आशा है कि आप अपनी वैश्विक पहुंच बनाने के लिए पहले से ही इस दिशा में ये कदम उठा रहे हैं।”



Popular posts from this blog

भारत विदेश नीति के कारण वैश्विक शक्ति बनेगा।

स्वरोजगारपरक योजनाओं के अंतर्गत ऑनलाइन ऋण वितरण मेले का किया गया आयोजन

अपनी दाढ़ी का रखें ख्याल, दिखेंगे बेहद हैंडसम