दयाराम की हत्या के केस में मोतिगरपुर पुलिस पर उठा सवाल



कोर्ट ने बुआ-भतीजी की मांग पर केस दर्ज करने का दिया था आदेश
अदालत के आदेश के बाद एक पक्ष से अचानक तहरीर लेकर पुलिस ने दर्ज किया मुकदमा
सुलतानपुर।

दयाराम की हत्या को लेकर भतीजी व बुआ ने एक-दूसरे पर आरोप लगाते हुए थाने से लेकर एसपी दफ्तर तक दौड़ लगाई। फिर भी मुकदमा नहीं दर्ज हुआ तो अदालत का दरवाजा खटखटाया। जहां से सीजेएम हरीश कुमार ने दोनों की अर्जियों पर संज्ञान लेते हुए मुकदमें दर्ज कर निष्पक्ष जांच का आदेश दिया। कोर्ट के आदेश पर केस दर्ज करने के बजाय इसी के बाद एक पक्ष से तहरीर लेकर मुकदमा दर्ज कर आरोपियों को आनन-फानन में जेल भेजने का सामने आया। पूरे मामले में पुलिसिया भूमिका सवालों के घेरे में है।
मामला मोतिगरपुर थाना क्षेत्र के भैरवपुर गांव से जुड़ा है। जहां के रहने वाले दयाराम सुत दरगाही की बीते सात जनवरी को हत्या कर दी गयी। मृतक दयाराम की बहन गेना निवासिनी नसेड़ी थाना महरूआ अम्बेडकर नगर ने सम्पत्ति हड़पने की लालच में हत्या कर देने का आरोप भतीजी सुशीला व उसके बेटे नीरज व सहआरोपी प्रगति पत्नी रामयज्ञ पर लगाया। वहीं सुशीला ने उसी सम्पत्ति की लालच में दयाराम की हत्या करने का आरोप बुआ गेना सहआरोपी सुरेश पांडेय, वंशराज प्रधान, राजेन्द्र निषाद, रूदल, दिनेश वर्मा पर लगाया। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर केस दर्ज कराने को लेकर थाने पर तहरीर दी। सुनवाई न होने पर एसपी को भी सूचना दी। वहां से भी केस न दर्ज हो सका तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सीजेएम कोर्ट ने गेना व सुशीला की अर्जी पर थानाध्यक्ष से रिपोर्ट भी तलब की। जिस पर थाने से दोनों अर्जियों पर अभियोग न पंजीकृत होने की रिपोर्ट भी भेजी गयी। जिसके पश्चात सीजेएम हरीश कुमार ने दोनों की अर्जियों व थाने से मिली रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए गेना व सुशीला की अर्जी स्वीकार कर दोनों पक्षों के खिलाफ केस दर्ज कर निष्पक्ष जांच के लिए बीते पांच सितम्बर को मोतिगरपुर थानाध्यक्ष को आदेशित किया। कोर्ट के इस आदेश की प्रति भी थाने भेजी गयी। बावजूद इसके दोनों अर्जियों पर हुए आदेशों पर केस दर्ज होने के बात सामने नहीं आयी, बल्कि बीते 11 सितम्बर की तारीख में दयाराम की हत्या के सम्बंध में उसकी बहन गेना से तहरीर लेकर भतीजी सुशीला उसके पति मोहन, बेटा नीरज व सहआरोपी अनिल कुमार के खिलाफ हत्या सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज करने का मामला सामने आया। गेना की तहरीर पर दर्ज हुए इस मुकदमें में आरोपी सुशीला के अलावा प्रकाश में आये आरोपी आनन्द प्रकाश को गिरफ्तार कर जेल भेजने की कार्यवाही भी की गयी।घटना के करीब सवा आठ माह पूर्व हुई दयाराम की हत्या के मामले में पहले थाने से लेकर एसपी तक सूचना देने के बाद भी एफआईआर न दर्ज होने, कोर्ट से मांगी गयी रिपोर्ट में अभियोग पंजीकृत न होने की सूचना भेजने, कोर्ट के आदेश के बाद भी मुकदमा दर्ज करने में देरी करने एवं अचानक एक पक्ष से तहरीर लेकर हत्या का केस दर्ज कर आरोपियों को आनन-फानन में जेल भेजने की कार्यवाही से पुलिसिया जल्दबाजी को लेकर मामला संदेहो से घिरा है।
सवाल यह उठता है कि जिस पुलिस को वही साक्ष्य मौजूद होने पर मुकदमा दर्ज करने में इतने महीनों लग गये, उसी पुलिस ने आखिर कैसे कुछ ही घण्टो में केस दर्ज कर साक्ष्य भी जुटा लिया और आरोपियों को जेल भेजने की कार्यवाही भी कर दी। इस मामले में थानाध्यक्ष रतन शर्मा की भूमिका को लेकर चर्चाए तेज हैं। उच्चाधिकारी भी अपनी पुलिस के इस खेल से अंजान बने हुए है।



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