15वें राज्य वित्त आयोग ने पंचायतीराज, नगरीय निकाय, राजनीतिक दलों, उद्योग एवं व्यापार के प्रतिनिधियों संग की बैठक
प्रदेश में विकास को गति के लिए विभिन्न बिन्दुओं पर चर्चा कर मांगे सुझाव
लखनऊ।
15वें वित्त आयोग ने आज यहां योजना भवन में प्रदेश के विभिन्न विभागों के साथ बैठक कर विकास कार्यों में आ रही कठिनाइयों पर चर्चा की एवं विभागों द्वारा अवगत करायी गयी विविध जानकारियों एवं अन्य समस्याओं को सुना।
वित्त आयोग के अध्यक्षएन.के. सिंह ने सर्वप्रथम पंचायतीराज संस्थाओं के प्रतिनिधियों को सुना। प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से आये पंचायतीराज संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने अपने-अपने ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों एवं जिला पंचायतों के विकास कार्यों को और अधिक गति प्रदान करने के लिए अधिक बजट का आयोग से अनुरोध किया। निदेशक पंचायतीराज ने बताया कि राज्य वित्त आयोग द्वारा आवंटित धनराशि पीएफएमएस के माध्यम से संस्थाओं को अंतरित कर उनका पारदर्शिता के साथ व्यय सुनिश्चित कराया जा रहा है। गांवों में आधारभूत सुविधाओं पंचायत भवन, आंगनबाड़ी केन्द्र, प्राथमिक विद्यालय, उच्च प्राथमिक विद्यालयों आदि का 14वें वित्त आयोग एवं राज्य वित्त आयोग से आवंटित धनराशि से कायाकल्प किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालयों का निर्माण कर प्रदेश को ओडीएफ मुक्त घोषित किया जा चुका है। सालिड वेस्ट एवं प्लास्टिक से मुक्ति के लिए सभी ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों एवं जिला पंचायतों के स्तर पर अभियान को विस्तृत रूप से चलाया जा रहा है।
वित्त आयोग के साथ नगरीय निकायों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में विभिन्न क्षेत्र के नगर पंचायत, नगर पालिका परिषद एवं नगर निगमों के प्रतिनिधियों ने अपने सुझाव रखे। अधिकांश प्रतिनिधयों ने नगरीय संस्थाओं में विकास कार्यों को और अधिक गति प्रदान करने के लिए धन आवंटन की राशि को बढ़ाने की मांग की। प्रतिनिधियों द्वारा आयोग को अवगत कराया गया कि पर्यटक स्थलों एवं औद्योगिक नगरों में फ्लोटिंग जनसंख्या पायी जाती है। जहां स्थानीय निवासियों में अतिरिक्त फ्लोटिंग जनसंख्या होती है। जिसकी मूलभूत आवश्यकता की पूर्ति करनी होती है। अतः इस फ्लोटिंग जनसंख्या के आधिक्य को देखते हुए आयोग द्वारा धन के आवंटन में वृद्धि की जानी वांछनीय है।
नगर निकायों द्वारा आयोग को अवगत कराया गया कि जल संकट को देखते हुए तालाब, पोखरों का जीर्णोद्धार, एसटीपी से शोधित जल को उपयोग करने, विद्युत तारों को भूमिगत करने आदि जनोपयोगी एवं विकास कार्यों हेतु अतिरिक्त धन की आवश्यकता बताई गई। सेटेलाइट सर्वें के माध्यम से नगरों को विकसित, अल्पविकसित व अविकसित वर्गों में विभाजित किया जाय, जिससे अपेक्षित विकास किया जा सके। विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने भी अपने सुझाव आयोग के समक्ष रखे। पार्टियों के प्रतिनिधियों ने प्रदेश के क्षेत्रफल एवं जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य, शिक्षा विशेषकर प्राथमिक शिक्षा एवं रोजगार आदि पर बल देते हुए प्रदेश को धन आवंटन में वरीयता प्रदान करने की सिफारिश आयोग से की।
उत्तर प्रदेश के विभिन्न औद्योगिक संगठनों ने अपने बहुमूल्य सुझावों से आयोग को अवगत कराते हुए बताया कि प्रदेश में औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित की गयी हैं, जिसका लाभ उद्यमियों को मिल रहा है। एसोचैम, सीआईआई, आईआईए, एफआईसीसीआई तथा लघु उद्योग भारती औद्योगिक संगठन के पदाधिकारियों ने प्रदेश में औद्योगिक विकास को और तीब्र गति देने के लिए आयोग का विशेष रूप से ध्यान आकर्षित किया।
बैठक में आयोग के सचिव अरविन्द मेहता, सदस्य अजय नारायण झा, डा0 अनूप सिंह, डा0 अशोक लाहिरी, डा0 रमेश चन्द्र एवं अपर मुख्य सचिव वित्त उ0प्र0 संजीव मित्तल एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।