होमगार्डों को नौकरी से बाहर कर देने का फैसला जनविरोधी कदम : सीपीआई-एम
लखनऊ।
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) उ.प्र. राज्य सचिव मण्डल ने भाजपा की योगी सरकार द्वारा ठीक दीपावली से पहले 25000 होमगार्डों को नौकरी से बाहर कर देने के फैसले का तीव्र विरोध करते हुए इसे अमानवीय और जनविरोधी कदम कहा है। इससे केवल 25000 होमगार्डों पर ही नहीं बल्कि इनके परिवारों पर भी इसका बुरा असर पड़ेगा। सरकार ने 99000 कार्यरत होमगार्डों के प्रतिमाह कार्य दिवस को भी घटाकर 25 से 15 दिन कर दिया है। इससे इनके सामने भी परिवार चलाने की और मुश्किलें बढ़ेंगी।
पार्टी के राज्य सचिव डॉ0 हीरालाल यादव ने आईपीएन को दिए अपने बयान में कहा कि उ.प्र. में बेरोजगारी वृद्धि सबसे ज्यादा है। भाजपा सरकार उसे और बढ़ाने का काम कर रही है। इस सरकार ने प्राथमिक विद्यालयों को निजी हाथों में देने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अध्यापकों की भी नौकरी खतरे में है। होमगार्डों को नौकरी से बाहर करने के पीछे प्रदेश सरकार बजट कम होने का रोना रो रही है जबकि मठों, मंदिरों और पूजा-पाठों में वह बेशुमार धन खर्च कर रही है। पार्टी ने निकाले गये सभी होमगार्डों को ड्यूटी पर वापस लेने तथा सुप्रीमकोर्ट के फैसले के अनुसार उन्हें पुलिस कांस्टेबिल के बराबर वेतन और प्रतिदिन ड्यूटी देने की मांग की है।
पार्टी के राज्य सचिव डॉ0 हीरालाल यादव ने आईपीएन को दिए अपने बयान में कहा कि उ.प्र. में बेरोजगारी वृद्धि सबसे ज्यादा है। भाजपा सरकार उसे और बढ़ाने का काम कर रही है। इस सरकार ने प्राथमिक विद्यालयों को निजी हाथों में देने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अध्यापकों की भी नौकरी खतरे में है। होमगार्डों को नौकरी से बाहर करने के पीछे प्रदेश सरकार बजट कम होने का रोना रो रही है जबकि मठों, मंदिरों और पूजा-पाठों में वह बेशुमार धन खर्च कर रही है। पार्टी ने निकाले गये सभी होमगार्डों को ड्यूटी पर वापस लेने तथा सुप्रीमकोर्ट के फैसले के अनुसार उन्हें पुलिस कांस्टेबिल के बराबर वेतन और प्रतिदिन ड्यूटी देने की मांग की है।