राज्य की कानून-व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त, अपराधों पर लगा प्रभावी नियंत्रण : मंत्री
अपराधियों के विरुद्ध कार्रवाई एवं सजा दिलाये जाने में उत्तर प्रदेश काफी बेहतर
लखनऊ।
लखनऊ।
उत्तर प्रदेश के जल शक्ति मंत्री डॉ0 महेन्द्र सिंह ने बुद्धवार को लोक भवन में आयोजित एक प्रेस वार्ता में कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य की कानून-व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त हुई है और अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण लगा है। अपराध और अपराधियों के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति अपनायी गयी है। इससे अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण हुआ है और राज्य में कानून का राज स्थापित हुआ है। अब महिलाएं भी सुरक्षित महसूस कर रही हैं।
डॉ0 महेन्द्र ने प्रेस वार्ता के दौरान एनसीआरबी द्वारा जारी आंकड़ों के विश्लेषण की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि क्राइम इन इण्डिया 2017 के अनुसार भारतवर्ष में कुल 30,62,579 आईपीसी के अपराध पंजीकृत हुए, जिनमें से 3,10,084 आईपीसी के अपराध उत्तर प्रदेश में घटित हुए, जो कि देश में ऐसे पंजीकृत अपराधों का 10.1 प्रतिशत है। जबकि जनसंख्या के आधार पर उ.प्र. की आबादी देश की आबादी का 17.65 प्रतिशत है। इस रिपोर्ट के आधार पर कुछ समाचार पत्रों द्वारा कुल अपराधों की दृष्टि से उ0प्र0 राज्य में विभिन्न शीर्षक के अन्तर्गत अपराधों का अधिक होना या बढ़ा हुआ बताया जा रहा है।
डॉ0 सिंह ने कहा कि अपराध की स्थिति को समझने के लिए क्राइम रेट एक बेहतर एवं विश्वसनीय संकेतक है। एनसीआरबी के मुताबिक सम्बन्धित वर्ग की प्रति एक लाख जनसंख्या के सापेक्ष अपराधों की संख्या को अपराध दर (क्राइम रेट) के रूप में परिभाषित किया गया है। यह एक स्थापित वास्तविक संकेतक है, जो राज्य के आकार और जनसंख्या में वृद्धि के प्रभाव को संतुलित करता है। अतः क्राइम रेट ही अपराधों की सही स्थिति समझने के लिए एक प्रामाणिक संकेतक है।
जलशक्ति मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो नई दिल्ली के अद्यावधिक आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2017 में विभिन्न अपराध शीर्षकों में देश के राज्यों के सापेक्ष उत्तर प्रदेश की वर्तमान स्थिति डकैती में 26वां, लूट में 16वां, हत्या में 22वां, नकबजनी में 31वां, बलात्कार में 22वां तथा महिला सम्बन्धी अपराध में 16वां स्थान कुल 24वां स्थान है।
डॉ0 सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो नई दिल्ली के अद्यावधिक आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2017 में प्रदेश पुलिस द्वारा अपराधियों के विरुद्ध की गयी कार्यवाही में देश के अन्य राज्यों एवं केन्द्रशासित प्रदेशों के सापेक्ष उत्तर प्रदेश की वर्तमान स्थिति भा0द0वि0 के अपराधों में गिरफ्तारी में तीसरा, गिरफ्तार अभियुक्तों में से दोषसिद्ध में तीसरा, महिला सम्बन्धी अपराधों में दोषसिद्ध में पहला, साइबर अपराधों में दोषसिद्ध में पहला, शस्त्रों का जब्तीकरण में पहला, जाली मुद्रा के जब्तीकरण में अपराध पंजीयन में पहला तथा सम्पत्ति की बरामदगी में 5वां स्थान है।
डॉ0 सिंह ने कहा कि अपराधों के सम्पूर्ण आंकड़ों के साथ में यह भी देखना आवश्यक है कि हिंसात्मक अपराधों की स्थिति क्या है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2016 में राज्य में 65090 हिंसात्मक अपराधों की तुलना में वर्ष 2017 में 64450 दर्ज हुए हैं, जो कमी दर्शाता है। जबकि वर्ष 2015 के सापेक्ष वर्ष 2016 में हिंसात्मक अपराधों में 27 प्रतिशत से भी अधिक वृद्धि हुई थी। अपराधों के अलग-अलग मदों के विश्लेषण से स्पष्ट है कि वर्ष 2017 में वर्ष 2016 के सापेक्ष हत्या में 11.5 प्रतिशत, डकैती में 7.4 प्रतिशत, लूट में 9 प्रतिशत, उगाही में 54 प्रतिशत, फिरौती हेतु अपरहण में 29.2 प्रतिशत की उल्लेखनीय कमी हुई है। वर्तमान सरकार के कार्यकाल में जनहित में शत-प्रतिशत मामले दर्ज किए जाने के सख्त निर्देश दिए गए हैं। स्पष्ट है कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में मामलों को दर्ज किया जा रहा है, उसके बाद भी गम्भीर अपराधों में उपरोक्तानुसार गिरावट आयी है तथा पुलिस की कार्रवाई में भी तेजी आयी है।
मंत्री ने कहा कि इससे स्पष्ट है कि प्रदेश पुलिस द्वारा अपराधियों के विरुद्ध की गयी कार्रवाई एवं अपराधियों को सजा दिलाये जाने में देश के अन्य राज्यों तथा केन्द्रशासित प्रदेशों से उत्तर प्रदेश काफी बेहतर है। सरकार के निरन्तर प्रयासों द्वारा जनसामान्य में सुरक्षा की भावना बढ़ी है।
अपर मुख्य सचिव, गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि 2018-19 के अपराध के आंकडे़ शीघ्र ही जारी किये जाएंगे। उन्होंने कहा कि महिलाओं के खिलाफ हुये अपराधों में अभियोजन में काफी तेजी आई है। पॉक्सो के तहत अब बहुत तेजी से कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया में अनर्गल सूचनाओं के प्रचार-प्रसार को भी मॉनीटर किया जाएगा।
प्रेस वार्ता में अपर पुलिस महानिदेशक, कानून-व्यवस्था पी.वी. रामाशास्त्री एवं सूचना निदेशक शिशिर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
डॉ0 महेन्द्र ने प्रेस वार्ता के दौरान एनसीआरबी द्वारा जारी आंकड़ों के विश्लेषण की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि क्राइम इन इण्डिया 2017 के अनुसार भारतवर्ष में कुल 30,62,579 आईपीसी के अपराध पंजीकृत हुए, जिनमें से 3,10,084 आईपीसी के अपराध उत्तर प्रदेश में घटित हुए, जो कि देश में ऐसे पंजीकृत अपराधों का 10.1 प्रतिशत है। जबकि जनसंख्या के आधार पर उ.प्र. की आबादी देश की आबादी का 17.65 प्रतिशत है। इस रिपोर्ट के आधार पर कुछ समाचार पत्रों द्वारा कुल अपराधों की दृष्टि से उ0प्र0 राज्य में विभिन्न शीर्षक के अन्तर्गत अपराधों का अधिक होना या बढ़ा हुआ बताया जा रहा है।
डॉ0 सिंह ने कहा कि अपराध की स्थिति को समझने के लिए क्राइम रेट एक बेहतर एवं विश्वसनीय संकेतक है। एनसीआरबी के मुताबिक सम्बन्धित वर्ग की प्रति एक लाख जनसंख्या के सापेक्ष अपराधों की संख्या को अपराध दर (क्राइम रेट) के रूप में परिभाषित किया गया है। यह एक स्थापित वास्तविक संकेतक है, जो राज्य के आकार और जनसंख्या में वृद्धि के प्रभाव को संतुलित करता है। अतः क्राइम रेट ही अपराधों की सही स्थिति समझने के लिए एक प्रामाणिक संकेतक है।
जलशक्ति मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो नई दिल्ली के अद्यावधिक आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2017 में विभिन्न अपराध शीर्षकों में देश के राज्यों के सापेक्ष उत्तर प्रदेश की वर्तमान स्थिति डकैती में 26वां, लूट में 16वां, हत्या में 22वां, नकबजनी में 31वां, बलात्कार में 22वां तथा महिला सम्बन्धी अपराध में 16वां स्थान कुल 24वां स्थान है।
डॉ0 सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो नई दिल्ली के अद्यावधिक आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2017 में प्रदेश पुलिस द्वारा अपराधियों के विरुद्ध की गयी कार्यवाही में देश के अन्य राज्यों एवं केन्द्रशासित प्रदेशों के सापेक्ष उत्तर प्रदेश की वर्तमान स्थिति भा0द0वि0 के अपराधों में गिरफ्तारी में तीसरा, गिरफ्तार अभियुक्तों में से दोषसिद्ध में तीसरा, महिला सम्बन्धी अपराधों में दोषसिद्ध में पहला, साइबर अपराधों में दोषसिद्ध में पहला, शस्त्रों का जब्तीकरण में पहला, जाली मुद्रा के जब्तीकरण में अपराध पंजीयन में पहला तथा सम्पत्ति की बरामदगी में 5वां स्थान है।
डॉ0 सिंह ने कहा कि अपराधों के सम्पूर्ण आंकड़ों के साथ में यह भी देखना आवश्यक है कि हिंसात्मक अपराधों की स्थिति क्या है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2016 में राज्य में 65090 हिंसात्मक अपराधों की तुलना में वर्ष 2017 में 64450 दर्ज हुए हैं, जो कमी दर्शाता है। जबकि वर्ष 2015 के सापेक्ष वर्ष 2016 में हिंसात्मक अपराधों में 27 प्रतिशत से भी अधिक वृद्धि हुई थी। अपराधों के अलग-अलग मदों के विश्लेषण से स्पष्ट है कि वर्ष 2017 में वर्ष 2016 के सापेक्ष हत्या में 11.5 प्रतिशत, डकैती में 7.4 प्रतिशत, लूट में 9 प्रतिशत, उगाही में 54 प्रतिशत, फिरौती हेतु अपरहण में 29.2 प्रतिशत की उल्लेखनीय कमी हुई है। वर्तमान सरकार के कार्यकाल में जनहित में शत-प्रतिशत मामले दर्ज किए जाने के सख्त निर्देश दिए गए हैं। स्पष्ट है कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में मामलों को दर्ज किया जा रहा है, उसके बाद भी गम्भीर अपराधों में उपरोक्तानुसार गिरावट आयी है तथा पुलिस की कार्रवाई में भी तेजी आयी है।
मंत्री ने कहा कि इससे स्पष्ट है कि प्रदेश पुलिस द्वारा अपराधियों के विरुद्ध की गयी कार्रवाई एवं अपराधियों को सजा दिलाये जाने में देश के अन्य राज्यों तथा केन्द्रशासित प्रदेशों से उत्तर प्रदेश काफी बेहतर है। सरकार के निरन्तर प्रयासों द्वारा जनसामान्य में सुरक्षा की भावना बढ़ी है।
अपर मुख्य सचिव, गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि 2018-19 के अपराध के आंकडे़ शीघ्र ही जारी किये जाएंगे। उन्होंने कहा कि महिलाओं के खिलाफ हुये अपराधों में अभियोजन में काफी तेजी आई है। पॉक्सो के तहत अब बहुत तेजी से कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया में अनर्गल सूचनाओं के प्रचार-प्रसार को भी मॉनीटर किया जाएगा।
प्रेस वार्ता में अपर पुलिस महानिदेशक, कानून-व्यवस्था पी.वी. रामाशास्त्री एवं सूचना निदेशक शिशिर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।