भावी विकास के दो मुख्य स्तम्भ बाल सुरक्षा एवं महिला सशक्तीकरण: मेनका गांधी


नई दिल्ली।


'बाल सुरक्षा एवं महिला सशक्तिकरण' देश के भावी विकास के दो मुख्य स्तम्भ हैं। इस आधी आबादी द्वारा भारत की प्रगति और विकास में दिये गए मूल्यवान योगदान की यूं ही उपेक्षा नहीं की जा सकती। केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने 'कट्स' द्वारा आयेजित 'स्टोरीज ऑफ चेंज' पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम के अवसर पर यह बात कही।


'स्टोरीज ऑफ चेंज' में 'कट्स' मानव विकास केन्द्र, चित्तौड़गढ़ द्वारा पिछले 25 वर्षो में दक्षिणी राजस्थान में जमीनी स्तर पर किये गए कार्य एवं योगदान को संजोया गया है। इतने वर्षो में 'कट्स' कन्ज्यूमर यूनिटी एण्ड टंस्ट सोसायटी द्वारा 1500 से अधिक स्वयं सहायता समूहों के गठन में सक्रिय योगदान दिया गया है, जिनका प्रबन्धन अधिकांशत: महिलाओं द्वारा किया जाता है।


दक्षिणी राजस्थान के इन जिलों के अधिकतर गांवों में महिलाओं के लिए व्यावसायिक अवसर पैदा करने में 'कट्स' द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि समाज के पुरुष वर्ग को बालिका सुरक्षा एवं महिला सशक्तीकरण जैसे मुद्दों पर और अधिक संवेदनशील बनाए जाने की आवश्यकता है।


उन्होंने कहा, "सामाजिक असमानताओं को मात्र अवसरों की समानता लाकर ही दूर किया जा सकता है।"


इस अवसर पर 'कट्स' के महामंत्री प्रदीप मेहता ने कहा कि जब महिला सशक्त होती है तो इसका सीधा लाभ परिवार को मिलता है एवं उत्तरोत्तर प्रभाव आने वाली पीढ़ियों तक भी पहुंचता है। मेहता की इस भावना को चित्तौड़गढ़ के ओचड़ी ग्राम निवासी बादाम बाई द्वारा भी दोहराया गया, जो कि 'गाडिया लोहार' समुदाय की एक महिला है व पेशे से एक लोहार है।


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