एक समय था जब मैं हर रोज शूटिंग पर होती थी




 




बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री जूही चावला इस साल शेली चोपड़ा धर द्वारा निर्देशित फिल्म ‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’ में अनिल कपूर  की बेटी सोनम और राजकुमार राव के साथ बेहतरीन भूमिका निभाते हुए नजर आ रही हैं। वह पहली बार सोनम कपूर और राजकुमार राव के साथ काम कर रही हैं।  सोनम के साथ काम करने के अनुभव के बारे में हाल ही में उनके साथ इंटरव्यू में  उन्होंने खुलकर बातचीत की जिसके मुख्य अंश पेश हैं…


ग्यारह साल बाद अनिल कपूर के साथ काम कर के कैसा लगा और खास कर सोनम के साथ?


अनिल जी के साथ काम कर के बहुत मजा आया क्योंकि उनके साथ पहले भी काम किया हुआ है और जान पहचान भी है जैसे पहले थे यूनो हार्ड वर्किंग और वेरी कमिटेड वह तभी थे और आज भी हैं, फिर भी दोस्ती भी रखते हैं हंसी मजाक भी करते रहते हैं,तो उनके साथ काम करना अच्छा ही लगता है, लेकिन मेरे लिए बहुत एक्साइटिड यह बात लगी कि सोनम के साथ काम कर रही हूं और जहां सोनम होगी और राजकुमार राव के साथ काम करने का यह मौका मिल रहा है इनके साथ मैंने सोनम को करीब तरह चौदह साल से देखा है, जब वहो दीवाना-मस्ताना में हमारे साथ हमारा एक शेड्यूल हुआ था स्विजरलैंड में वहां बीस दिन का शेड्यूल था तो अनिल जी सुनीता, सोनम डेविड धवन और उनकी पत्नी और वरुण, रोहित सब आए हुए थे फिर साथ में बैठकर खाना खाया और घूमते थे, मैंने तो तब उनको देखा था और फिर बड़ी हो गए और एक्ट्रर्स बन गई और मैं फिर से उनके साथ काम कर रही हूं एज एक्ट्रर्स तो मुझे वह बहुत स्पेशल लगा। फिर उनको जानने के बाद मैंने उनसे कहीं इंटरेस्टिंग बातें सीखी हैं, ‘इट इज द ग्रेट फन, आई रियली अदर लवली टाइम ऑफ गुड मेमोरी वर्किंग विथ।


आपकी पिछली फिल्मों में जो किरदार थे उनसे ‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’ फिल्म का किरदार कितना अलग लगा?


लास्ट मैंने ‘चॉक एंड डस्टर’ में किया था उससे पहले ‘गुलाबी गैंग’ में तो यह बिलकुल वैसा नहीं है, यह जैसे मेरी पहचान बन गई है हंसी मजाक और एक क्यूट सा कैरेक्टर तो इस फिल्म में मेरा उस तरह का कैरेक्टर है, इनफेक्ट मुझे इस फिल्म के लिए विनोद जी ने फोन किया और उन्होंने कहा हमने एक फिल्म लिखी है और आप आकर सुनो, जब मैं मिलने भी गई थी तब उन्होंने कहा कि जब मैं यह रोल लिख रहा था जब रोल बनता जा रहा था, तो मेरे माइंड में एक ही एक्ट्रर्स थी और वह तुम, तो मैंने सोचा इतना बड़ा कॉन्प्लीमेंट एक्टर के लिए होता नहीं है जब अच्छा फिल्म मेकर्स बोले कि ये रोल तुम्हारे लिए लिखा गया है।


कुछ कलाकारों का मानना है कि उनको उम्र के हिसाब से रोल मिलते हैं, आपका क्या मानना है,एक कलाकार के लिए उम्र मायने रखती है?


बेशक क्यों नहीं रखती। अब मैं रोमांस जैसी फिल्में तो नहीं कर सकती एज एक्ट्रर्स मुझे वही रोल मिलेंगे जिनमें पर फॉर्मेंस की बात हो या मेरी पर्सनालिटी को जो सूट करता हो, वैसे ही जब कोई लिखेंगे, जब कोई फिल्मों में मेरा सूटेबल रोल होगा तभी मुझे वह अप्रोच करेंगे।


राजकुमार राव और सोनम कपूर के साथ आप पहली बार काम कर रही हैं, फिल्म की शूटिंग के दौरान उनसे क्या सीखने को मिला और कैसा अनुभव रहा?


डेफिनेटली बहुत ही इंटरेस्टिंग बातें होती थी कभी हम लोकेशन पर बैठे होते थे तो सोनम हमेशा जानना चाहती थी। मुझसे हमेशा पूछती थी, कि डैडी पहले कैसे थे आपको लोग काम करते थे क्या वह वैसे ही थे जो आज हैं, कैसा बर्ताव करते थे फिर बातोंबातों में मुझे उसने बताया कि उसने असिस्टेंट डायरेक्टर संजय लीला भंसाली के साथ एक साल या दो साल वहां एजन असिस्टेंट डायरेक्टर रही हैं संजय जी उन्हें काफी काम देते थे कभी-कभी तो मतलब एक्ट्रर्स को सीन समझाना, तो सोनम जाती थी समझाने। उसे काफी कुछ समझ है।


पहले आप एक साल में चार-पांच फिल्में करती थीं, अब आप को ज्यादा फिल्में न कर पाने का अफसोस होता है?


मुझे हर बात में खुशी नजर आती है कुछ न कुछ, लेकिन एक समय था जब मैं हर रोज शूटिंग पर होती थी। उस समय मेरी फैमिली का कुछ नहीं था, अब हमारे घर में बच्चे हैं मैं थोड़ा सोशल वर्क करती हूं अब तो क्या हो गया कि थोड़े रोल फिल्मों में वही आते हैं जो सूटेबल है और कम आते हैं वह सही है मगर जो समय मुझे मिलता है अगर मैं शूटिंग में नहीं भी हूं तो मेरे बहुत सारे काम होते हैं वह मैं कर पाती हूं। खुशी इस बात की है कि आज भी जो मुझे काम मिलता है वे बहुत अच्छा मिलता है जो मैं दिल से कर पाती हूं और फिर मैं अपना दूसरा समय अपने परिवार के साथ बिताती हूं और बाकी काम बहुत मजे से कर पाती हूं।


बहुत सी अभिनेत्रियों को लगता है कि शादी के बाद उनका करियर खत्म हो जाता है, आपका क्या कहना है ?


डेफिनेटली जब मैंने भी शादी की तब मुझे बड़ा डर था कि अरे बाप रे अब तो मेरा करियर खत्म हो जाएगा। मैं क्या करूंगी, मगर फिल्में आई अलग किसम की फिल्में आई और जो मुझे अच्छी लगी वह  मैंने कर ली। झंकार, माय ब्रदर, निखिल और तीन दीवारें’ इतनी छोटी-छोटी फिल्में होती थी उस समय लोग बोलते थे क्या झंकार म्यूजिक वीडियो है, माय ब्रदर निखिल तो इतने छोटे बजट में बनी थी कि उसे रिलीज होने में एक साल लगाए क्योंकि किसी डिस्ट्रीब्यूशन ने उसे जल्दी से लिया नहीं था और बाद में फाइनली यशराज फिल्मेें उसे ले लिया। और वही फिल्म क्रिटिक ने काफी पसंद किया लोगों ने काफी पसंद किया और इस तरह मैंने साल में एक-दो फिल्में करती थी मैंने कुछ पंजाबी फिल्में भी कि उस वक्त जो नेशनल अवॉर्ड विनिंग हो गई। आई फील बेल्स जब मैंने करियर को शुरू किया तो मुझे नहीं पता था कि एक महीने भी टिक पाऊंगी या नहीं, अगर आज इतने साल गुजर गए फिर भी मेरे लिए कुछ काम है और अच्छी फिल्में आती है।



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