खजिनाग मंदिर




हिमाचल की धौलाधार पर्वत मालाओं के बीच कई नाग मंदिर हैं। इनमें खज्जियार का खजिनाग मंदिर प्रमुख है। खजिनाग मंदिर 12वीं सदी का बना हुआ है। आठ सौ साल पुराना ये मंदिर अपनी ऐतिहासिकता और पुरातात्विक महत्त्व के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर का जीर्णोद्धार चंबा के राजा पृथ्वी सिंह की दाई बाटुल ने करवाया था। मंदिर के गर्भगृह में खज्जी नाग की प्रस्तर प्रतिमा स्थापित है। मंदिर के प्रांगण में पांच पांडवों की काष्ठ प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं। पांडवों की पांच प्रतिमाएं 16वीं सदी में चंबा के राजा बलभद्र वर्मा ने स्थापित कराई थीं। काठ की बनी होने के बावजूद ये प्रतिमाएं काफी अच्छी हालत में हैं। राजा पृथ्वी सिंह के कार्यकाल में 1641 से 1644 के बीच उनकी धर्मपरायण दाई ने मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा कराई थी। प्रशासन की ओर से मंदिर को मूल प्रारूप में ही संरक्षित किया गया है। मंदिर के मुख्य भवन के निर्माण में भी काष्ठ का प्रयोग ज्यादा हुआ है। खजिनाग मंदिर में स्थानीय लोगों की अगाध आस्था है। मंदिर में हर रोज सुबह और शाम नाग देवता की एक घंटे तक पूजा होती है। पूजा के दौरान मंदिर का घंटा लगातार बजाया जाता है। इसके साथ ही कई ग्रामीण पंरपरागत वाद्ययंत्रों को बजाते हैं।  मंदिर से जुड़ी एक लोककथा है। सदियों पुरानी बात है। चंबा जिले में राणे हुआ करते थे। एक बार उनकी नजर लिली नामक गांव में पहाड़ के ऊपर जलती रोशनी पर पड़ी। खजाना समझ कर उन्होंने उसे खोदा, तो वहां से चार नाग प्रकट हुए। उन्हें ससम्मान एक पालकी में वहां से लाया गया। तब नाग देवताओं ने कहा, जहां से हमारी पालकी भारी हो जाएगी, वहीं हम अलग-अलग हो जाएंगे। सुकरेही नामक स्थान पर पालकी भारी हो गई। वहीं से चारों नाग अलग-अलग हो गए। चार नाग भाई क्रमशः चघुंई, जमुहार, खज्जियार व चुवाड़ी में बस गए। खजियार में पहले से ही सिद्ध बाबा का वास था। खजिनाग ने उन्हें अपने बड़े भाई की मदद से खरपास (एक प्रकार के खेल) में पराजित किया। इस तरह खजिनाग ने यह जगह जीत ली। सिद्ध बाबा ने अपनी हार के बाद कहा, अब तू यहीं खा और यहीं जी। इस तरह नाग देवता का नाम पड़ा खजि नाग। इस जगह का नाम इस तरह खज्जियार पड़ गया। खजिनाग का पौराणिक नाम पंपूरनाग भी था। स्थानीय लोग कोई शुभ कार्य करने से पहले खजिनाग मंदिर में हाजिरी जरूर लगाते हैं।




कैसे पहुंचेंः हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में स्थित खज्जियार का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन पठानकोट  है, जो 105 किलोमीटर की दूरी पर है। पठानकोट से बस या टैक्सी से खज्जियार पहुंचा जा सकता है।



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