किडनी स्टोन से बचने के लिए पीएं पर्याप्त पानी, जानें लक्षण एंव जांच और उपचार


डॉ रागिनी ज्योति
बीएचएमएस, आदर्श होमियो क्लीनिक, राजीव नगर, पटना

रोशनी सिंह,(48 साल) बैंक कर्मचारी हैं. कुछ दिनों से उनको पेट में दर्द और कब्ज की शिकायत थी. पेट के निचले हिस्से में अचानक तेज दर्द और पेशाब के समय जलन शुरू हो गया था. जी भी मिचलाता था. जब पेशाब में रक्त आने लगा, तब वह घबरा कर मेरे पास आयीं. उनके लक्षण पथरी की तरफ इशारा कर रहे थे. अल्ट्रा-सोनोग्राफी में उनकी दायीं किडनी में 7 एमएम की पथरी की पुष्टि हुई. लक्षणों की विस्तार से स्टडी के बाद मैंने उनको Lycopodium clavatum 1M होम्योपैथिक दवा दी और अधिक पानी पीने की सलाह दी. 15 दिनों बाद जब वह दोबारा आयीं, तो काफी आराम था. 4 महीने बाद अल्ट्रा-सोनोग्राफी कराने पर रिपोर्ट नॉर्मल आयी.
किडनी स्टोन होना आम समस्या है. प्रत्येक दस में से सात लोगों को गुर्दे में पथरी की समस्या देखी जाती है. किडनी स्टोन के मामले महिलाओं में अधिक देखने को मिलते हैं. किडनी की समस्या खान-पान की गलत आदतों और पर्याप्त मात्रा में पानी न पीने के कारण होती है. महिलाएं कम पानी पीती हैं और खान-पान का ख्याल भी कम रखती हैं. इससे उनमें मामले अधिक देखने को मिलते हैं.
लक्षण : गुर्दे की पथरी में पीठ के एक तरफ या पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द होना, दर्द के अलावा पेशाब में जलन होना, पेशाब से बदबू आना, बार-बार पेशाब की इच्छा होना और पेशाब के रंग का पीला होना स्टोन की ओर इशारा करता है. कब्ज या दस्त का लगातार बने रहना, जी मिचलाना, उल्टी होना, ठंड लगना, बुखार आना, अधिक पसीना आना, रात में अधिक पेशाब आना, पेशाब के साथ दर्द होना और पेशाब में रक्त आना, थकान आदि इसके गंभीर लक्षण हैं.

कारण : खान-पान की गलत आदतें और पानी की कमी से यूरिन में समस्या होती है. शरीर द्वारा कैल्शियम का सही से अवशोषण न होने के कारण सॉल्ट जमने लगता और पथरी के कण बनने लगते हैं. प्रोसेस्ड फूड का अधिक सेवन भी पथरी का कारण है. इनमें सोडियम की अधिकता होती है, जिससे कैल्शियम का अधिक उत्सर्जन अधिक होने लगता है और पेशाब में सोडियम की मात्रा बढ़ती जाती है. प्रोसेस्ड फूड में फाइबर की कमी से कैल्शियम ऑक्जेलेट और यूरिक एसिड की प्रक्रिया में बाधा बनती है. अधिक सॉफ्ट ड्रिंक्स व कैफीनयुक्त पेय पदार्थों के सेवन शरीर द्वारा कैल्शियम ग्रहण करने की क्षमता कम हो जाती है. ऐसे में कैल्शियम का उत्सर्जन हो जाता है, जो पथरी का कारण है. मोटापे के कारण भी शारीरिक सक्रियता व पानी पीने की आदत घट जाती है.

जांच और उपचार : लक्षण के आधार पर जांच का तरीका तय होता है. रेडियोलॉजिकल इंवेस्टिगेशंस जैसे- एक्सरे, अल्ट्रा-सोनोग्राफी या कम्यूटराइज्ड टोमोग्राफी (सिटी) के जरिये पथरी की पुष्टि होती है. इनमें से सिटी स्कैन सबसे अधिक मानक है. पथरी का उपचार इसके आकार और जगह पर निर्भर करता है.

4 एमएम से कम की पथरी अपने आप कुछ दवाओं के जरिये यूरिन के रास्ते बाहर निकल जाती है. होम्योपैथी में ऐसी अनेक कारगर दवाइयां हैं, जो 11 एमएम से छोटी पथरियों को निकाल सकती हैं. मूत्र मार्ग में निचली तरफ आ चुके स्टोन के लिए यूरेट्रोस्कोपी की जाती है. गुर्दे और ऊपर की ओर के स्टोन के लिए लीथोट्राइप्सी की जाती है. किडनी का आकार बढ़ने पर नेफ्रोलिथोटॉमी की जाती है. लंबे समय तक पथरी का उपचार न कराने पर किडनी काम करना बंद कर सकती है. इससे कैंसर की आशंका भी बढ़ जाती है. इसलिए लक्षण दिखते ही चिकित्सक से मिलें.

क्या है किडनी स्टोन

स्टोन या पथरी का कारण किडनी में कुछ खास तरह के साल्ट्स का जमा होना है. पहले स्टोन का छोटा हिस्सा बनता है, जिसके चारों ओर सॉल्ट जमा होता रहता है. पथरी एक या दोनों किडनी में हो सकती है. आमतौर पर यह मूत्र के रास्ते बाहर निकल जाती है, लेकिन कई बार आकार बढ़ जाने पर खतरनाक हो जाती है, जिसे ऑपरेट कर निकालना पड़ता है.


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