कॉमर्स में तराशें करियर की राहें







देशी-विदेशी बैंक हों या बहुराष्ट्रीय कंपनियां या फिर सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं का बही-खाता हो, कॉमर्स की जरूरत आज कदम-कदम पर है। सुबह से लेकर शाम तक चढ़ते-उतरते शेयर बाजार के आंकड़े हों, बैंकों में जमा पूंजी पर मिलने वाली ब्याज दर हो, पैसे कमाने की माथापच्ची हो या फिर दो रुपए को चार बनाने का गुना-भाग, इन्हें समझने, चलाने और जीवन में आगे बढ़ने की मजबूत नींव तैयार करने वाला कोर्स है कॉमर्स यानी वाणिज्य…


कॉमर्स को हमेशा कमाऊ पूतों वाला कोर्स माना जाता रहा है। इसके परंपरागत कोर्स आज भी सम्मानजनक भविष्य की गारंटी माने जाते हैं। 12वीं में कॉमर्स की पढ़ाई करने के बाद कई परंपरागत कोर्स किए जा सकते हैं। देशी-विदेशी बैंक हों या बहुराष्ट्रीय कंपनियां या फिर सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं का बही-खाता हो, कॉमर्स की जरूरत आज कदम-कदम पर है। सुबह से लेकर शाम तक चढ़ते-उतरते शेयर बाजार के आंकड़े हों, बैंकों में जमा पूंजी पर मिलने वाली ब्याज दर हो, पैसे कमाने की माथापच्ची हो या फिर दो रुपए को चार बनाने का गुना-भाग। इन्हें समझने, चलाने और जीवन में आगे बढ़ने की मजबूत नींव तैयार करने वाला कोर्स है कॉमर्स यानी वाणिज्य।


बीकॉम ऑनर्स


बीकॉम ऑनर्स एक स्पेशलाइज्ड कोर्स है, जिसे करने के बाद आमतौर पर छात्र किसी बैंक, फाइनांशियल इंस्टीच्य़ूट, सरकारी, गैर सरकारी संस्थान व उद्योग आदि में नौकरी कर सकते हैं। इन संस्थानों में बीकॉम ऑनर्स के छात्रों को सभी विभागों में काम करने का मौका मिलता है। चाहे वह मार्केटिंग हो, बही-खाते का जिम्मा संभालना हो या फिर प्रशासनिक काम, इन सभी विभागों में इनके लिए अवसर होते हैं।


कम्प्यूटर साइंस


कॉमर्स के छात्र, जिन्होंने बारहवीं में कम्प्यूटर साइंस की पढ़ाई की है, वे स्नातक में कम्प्यूटर साइंस से अपनी पढ़ाई जारी रख सकते हैं। बीएससी कम्प्यूटर साइंस या बैचलर इन कम्प्यूटर एप्लिकेशन में ऐसे छात्रों को बखूबी दाखिला दिया जाता है। कम्प्यूटर में डिप्लोमा कोर्स के जरिए भी आप अपनी पढ़ाई जारी रख सकते हैं।


अवसरों का खुला आकाश


कारपोरेट जगत में भले ही आज मैनेजमेंट यानी एमबीए और बीबीए के छात्रों को प्राथमिकता मिल रही है, लेकिन बीकॉम और बीकॉम ऑनर्स करने वाले छात्र बैंकिंग, बीमा और अन्य वित्तीय संस्थाओं के प्रशासनिक कार्यों के लिए आज भी उपयोगी हैं। इसे करने के बाद बैंक में प्रोबेशनरी अधिकारी या सरकारी संस्थाओं में भी अकाउंटिंग आदि से जुड़े काम में ऐसे छात्रों को ढेरों मौके मिलते हैं। एम कॉम करने के बाद स्कूल और कालेज स्तर पर अध्यापन का काम मिल जाता है। अगर कारपोरेट जगत में जाना है तो ऐसे छात्र एमबीए कर सकते हैं। एक और रास्ता ऐसे छात्रों के लिए सीए और सीएस करने का है। बीकॉम के साथ-साथ इस तरह के कोर्स करने के बाद उनके लिए कारपोरेट जगत के लिए भी प्रवेश का द्वार खुल जाता है। दूसरे विषय के छात्र भी इस क्षेत्र में आते हैं, लेकिन कॉमर्स की पढ़ाई के कारण ऐसे छात्रों को सफलता ज्यादा मिलती है। छात्र चाहे तो सिविल सर्विस और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में ट्रेडिशनल कॉमर्स की पढ़ाई करके जा सकता है। यानी कॉमर्स क्षेत्र में कैरियर बंधा हुआ नहीं है। इसका एक व्यापक आधार है।


12वीं के बाद कॉमर्स में कोर्स


बीकॉम प्रोग्राम


यह बीकॉम ऑनर्स से थोड़ा हल्का और सामान्य स्तर का कोर्स है। इसमें मुख्य रूप से छात्रों को फाइनांशियल अकाउंटिंग, इकॉनोमिक्स, बिजनेस संगठन, मैनेजमेंट, कंपनी लॉ, मार्केटिंग, मानव संसाधन, सांख्यिकी, इ-कॉमर्स, मार्केटिंग और अंग्रेजी में कम्युनिकेशन स्किल आदि का अध्ययन कराया जाता है। इसमें अच्छे अंक लाने पर  एम कॉम में दाखिले का रास्ता निकल कर आता है। बीकॉम प्रोग्राम में दाखिला बीकॉम ऑनर्स की तुलना में कम अंकों पर मिल जाता है। इसमें छात्रों को उद्यमशीलता की ट्रेनिंग देने पर भी जोर दिया जाता है।


गणित ऑनर्स


कॉमर्स के ऐसे छात्र, जिन्होंने गणित में बहुत अच्छे अंक हासिल किए हैं, उनके लिए गणित और इससे संबंधित सांख्यिकी और आपरेशनल रिसर्च जैसे कोर्स भी कालेजों में उपलब्ध हैं। दाखिले के दौरान अनिवार्य रूप से गणित की मांग की जाती है।


सीएस


सीएस यानी कंपनी सक्रेटरीशिप का कोर्स आमतौर पर बारहवीं के बाद कराया जाता है। इंस्टीच्य़ूट ऑफ  कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ  इंडिया देश में विभिन्न जगहों पर स्थित सेंटरों के जरिए तीन स्तरीय कोर्स कराता है। कंपनी सेक्रेटरी बनने के दो रास्ते हैं। पहला बारहवीं के बाद और दूसरा स्नातक के बाद। बारहवीं पास छात्र को तीन स्तरीय कोर्स करना होता है। पहली स्टेज पर फाउंडेशन, दूसरे पर एग्जीक्यूटिव और तीसरे स्तर पर प्रोफेशनल प्रोग्राम होता है। कंपनी की प्रशासनिक जिम्मेदारियों को संभालने का काम करता है सीएस। कंपनी में लॉ का पालन हो रहा है या नहीं, उसका विकास किस दिशा में हो रहा है, इसे देखने और परखने की जिम्मेदारी कंपनी सेक्रेटरी की होती है।


 कॉमर्स में प्रमुख कोर्स


* बीकॉम


* बीबीए


* बीसीए


* बीकॉम फॉरेन ट्रेड


* बीकॉम विद कम्प्यूटर


* बीकॉम एडवर्टाइजमेंट


* बीकॉम टैक्स


* बीकॉम आफिस मैनेजमेंट


कॉस्ट अकाउंटेंसी


सीए से मिलता-जुलता कोर्स और काम है कॉस्ट अकाउंटेंट का। देश में तरह-तरह की उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन होता है। इन वस्तुओं की वास्तविक लागत क्या है, उसे किस कीमत पर और कितने मुनाफे के साथ बाजार में उतारना है, इसका हिसाब-किताब और आकलन करने का काम काम कॉस्ट अकाउंटेंट करता है। इसके लिए भी कोर्स और ट्रेनिंग की जरूरत पड़ती है। दि इंस्टीटयूट ऑफ  कॉस्ट एंड वर्क्स अकाउंटेंट ऑफ  इंडिया इसके लिए विभिन्न चरणों में कोर्स पूरा कराता है। इसे पूरा करने वाले छात्र को कॉस्ट अकाउंटेंट और इससे जुडे़ पदों पर काम मिलता है।


फाइनांशियल स्टडीज


कॉमर्स के छात्रों के लिए फाइनांशियल स्टडीज का कोर्स भी कई दशकों से विभिन्न शिक्षण संस्थाओं में कराया जा रहा है। यह बीकॉम ऑनर्स से थोड़ा हट कर है। यह फाइनांस के क्षेत्र में स्पेशलाइजेशन की ओर ले जाता है। सरकारी के अलावा आज यह कोर्स निजी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में भी चलाया जा रहा है। इसे करने के बाद छात्र फाइनांशियल स्टडीज में एमए कर सकते हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय ऐसे छात्रों के लिए फाइनांस में एमए कराता है।


अर्थशास्त्र


अर्थशास्त्र ऑनर्स की पढ़ाई वैसे तो आर्ट्स और सोशल साइंस से जुड़ी मानी जाती है, लेकिन व्यावसायिक गतिविधियों से संबंधित होने के कारण बीकॉम के छात्र इसमें ज्यादा रुचि लेते हैं। बारहवीं में कॉमर्स की पढ़ाई करने वाले बहुत से छात्र आगे चल कर अर्थशास्त्र में स्पेशलाइजेशन की ओर बढ़ते हैं। वे अर्थशास्त्र से बीए और एमए करते हैं। विभिन्न व्यावसायिकए फाइनांस और बैकिंग संस्थाओं में अर्थशास्त्री के रूप में काम करते हैं।


शैक्षणिक योग्यता


दसवीं के बाद से ही कॉमर्स विषय की पढ़ाई छात्र शुरू कर सकते हैं। कॉमर्स की स्टडी अब पहले की अपेक्षा अधिक स्पेशल हो गई है। रूसा के तहत कॉमर्स के विषय पढ़ाए जा रहे हैं, चौथे सेमेस्टर के बाद विषय में स्पेशलाइजेशन करवाई जा रही है।


वेतनमान


इस क्षेत्र में वेतनमान इस बात पर निर्भर करता है कि आप ने कॉमर्स में किस क्षेत्र को चुना है और आप किस पद पर तैनात हैं। फिर भी इस क्षेत्र में शुरुआती वेतन 15 हजार तक होता है। अध्यापन के क्षेत्र में सरकारी मानकों के हिसाब से 40 हजार से 60 हजार तक वेतन मिलता है। निजी क्षेत्र में तो यह वेतन लाखों के हिसाब से भी बनता है।



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