क्षमता से कितना बाहर कसौली


रोजाना हजारों पर्यटकों की अगवानी वाले कसौली में वैसे तो पूरा साल ही पर्यटकों की भीड़ जमा रहा रहती है, पर गर्मियों में जून का महीना ऐसा समय है,जब यहां सैलानियों की आमद अनियंत्रित सी हो जाती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुके कसौली में आने वाले लोगों को जहां पार्किंग के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, वहीं ठहरने के लिए भी पर्याप्त सुविधा नहीं मिल पाती। शहर की जरूरतों को बता रहे हैं हेमंत शर्मा…
उत्तर भारत के सबसे प्रतिष्ठित व पसंदीदा हिल स्टेशन कसौली के पहाड़ सर्द मौसम में भी पर्यटकों को खूब लुभा रहे हैं। ऐतिहासिक महत्त्व के इस स्टेशन पर एनजीटी की कार्रवाई व अधिकारी-कर्मचारी के दोहरे हत्याकांड के बाद भी कसौली देशी-विदेशी पर्यटकों से गुलजार हुआ रहता है।


रोजाना हजारों पर्यटकों का आवाजाही वाले कसौली में वैसे तो पूरा साल ही पर्यटकों भी भीड़ जमा रहा करती है पर गर्मियों में जून का महीना ऐसा समय रहता है,जब यहां के मुख्य दार्शनिक स्थलों जैसे 1853 में बने क्राइस्ट चर्च, अप्पर माल, लोअर माल, मंकी प्वाइंट, सन राइज प्वाइंट, सन सेट प्वाइंट हेरिटेज मार्केट व सीआरआई का ऐतिहासिक भवन, जो कि एक समय महाराजा पटियाला गेस्ट हाउस हुआ करता था, पर पर्यटकों को पैर रखने की जगह तक नहीं मिलती है। कसौली हिमाचल का एक बहुत ही छोटा सा हिल स्टेशन है। मैदानी राज्यों पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ व दिल्ली का सबसे नजदीकी हिल स्टेशन होने से कसौली हर वीकेंड पर इन्हीं क्षेत्रों के पर्यटकों से भरा मिलता है। कसौली में गर्मियों के सीजन में हर रोज छह हजार के करीब पर्यटन निजी वाहनों, टैक्सी, बस व दोपहिया वाहनों से पहुंचते हैं। पर्यटकों की इतनी बड़ी संख्या के लिए यहां केवल 76 होटल व 46 होम स्टे की सुविधा है। इन होटलों में कुल 601 कमरों की उपलब्धता है, जबकि होम स्टे के तहत केवल 92 कमरों की ही सुविधा मिलती है। अनुमान है कि कसौली को मौजूदा पर्यटक संख्या के मुताबिक एक हजार कमरों व्यवस्था चाहिए।


आजादी के बाद आबादी में गिरावट वाला पहला शहर
कसौली में 1842 से कैंट बोर्ड के नियम लागू हैं। बोर्ड के नियमों में इतनी अधिक सख्ती है कि आज भी कसौली में लोग अपने ही घर की मरम्मत तक बिना परमिशन के नहीं कर पाते हैं। यहां लोगों को नया मकान बनाने के लिए स्वीकृति लेने में सालों भी लग जाया करते हैं। इन्ही वजहों से कसौली में आजादी के समय जो आबादी 4994 थी, आज वह घटकर 3838 रह गई है। स्थानीय लोग कैंट बोर्ड की वजह से लगातार पलायन कर रहे हैं। नियमों में बदलाव को लेकर स्थानीय लोगों द्वारा राज्य व केंद्र सरकार के सामने भी कई बार गुहार लगाई जा चुकी है, जिसका आजतक कोई हल नहीं हो सका है।


बिना परमिशन अंधाधुंध निर्माण


कसौली में होटलों के अवैध निर्माण पर एनजीटी के संज्ञान पर अवैध निर्माण का एक बड़ा खुलासा हुआ। कई होटलों द्वारा सात कमरों की परमिशन पर अंधाधुंध तरीके से 60 से 70 कमरों तक अवैध निर्माण कर दिए गए। कहीं बिना परमिशन के ही छह मंजिला तक इमारतों को खड़ा कर दिया गया, जिसका मुख्य कारण हिमाचल सरकार की रिटेंशन पालिसी टीसीपी द्वारा इस तरह के निर्माण में ग्रीन एरिया छोड़े जाने की शर्त को भी कहा जा सकता है। ऐसे में बिना परमिशन बनाए गए होटलों ने यहां अवैध निर्माण को बढ़ावा दे दिया। यह अलग बात है कि लोगों ने जो निर्माण किया है, वह अपनी ही जमीन पर किया है, लेकिन बिना परमिशन किए गए निर्माण ने इसे अवैध निर्माण की कैटेगरी में ला खड़ा कर दिया है।


6000


हर रोज आमद


76


होटल


46


होम स्टे


शहर की चुनौतियां
एक अदद पाकिँग तक नहीं


कसौली में अगर पार्किंग की बात की जाए तो यहां एक भी पार्किंग एरिया उपलब्ध नहीं है। यह कसौली की सबसे बड़ी चुनौती भी है। हालांकि कैंट बोर्ड अब जरूर बस स्टैंड पर 350 वाहनों के खड़े होने की क्षमता वाली मल्टीपर्पज बिल्डिंग के निर्माण को जदोजहद कर रहा है।


सीवरेज व गारबेज साइट भी नदारद


कसौली की खूबसूरती पर अगर कोई दाग है तो वह है सीवरेज व गारबेज की व्यवस्था का अभाव। सरकार द्वारा कसौली में बढ़ती पर्यटन गतिविधियों को देखते हुए सन 1992 में टीसीपी एक्ट लगा दिया गया, पर सरकार यहां पर्यटन गतिविधियों से पनपने वाली गंदगी के निपटारे पर कोई प्लान आज तक तैयार न कर पाई।


जाम की टेंशन


हिल स्टेशन तक पहुंचने के लिए पर्यटक मुख्य रूप से एनएच-105 का ही प्रयोग करते हैं। मौजूदा समय में फोरलेन निर्माण पर्यटकों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। फोरलेन के जाम से निकलने पर भी कसौली पहुंच पाना आसान नहीं। कम चौड़ाई वाले धर्मपुर कसौली रोड के 13 किलोमीटर सफर में टूटी सड़क, गड़खल से किमुघाट तक 200 मीटर के तंग बाजार में पर्यटकों को जाम की भारी परेशानी उठानी ही पड़ती है।


वीआईपी चुनौतियां


कसौली स्टेशन देश की कई बड़ी हस्तियों की पसंदीदा जगह होने के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर के खुशवंत सिंह लिट फेस्ट, देश के सबसे पुराने कसौली क्लब व देश के टॉप बोर्डिंग स्कूलों में शुमार लॉरेंस स्कूल सरीखी हाई प्रोफाइल चुनौतियों से जूझता रहता है। चुनौती इसलिए भी कि प्रदेश की छवि इन लोगों के माध्यम से भी राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचती है। इस लिहाज से भी कसौली को अवैध निर्माण, हाल ही में हुए दोहरे गोलीकांड जैसी स्थिति से बचाए रखना जरूरी होगा।


कसौली के भविष्य का प्लान
85 करोड़ रुपए के पेयजल प्रोजेक्ट दो नए वैकल्पिक मार्ग बनेंगे


कसौली के मुख्य पर्यटन स्थल आर्मी व एयर फोर्स के अधिकार क्षेत्र में होने से हिमाचल सरकार यहां सिवाय सड़क, पानी,पार्किंग, कानून व्यवस्था व अवैध गतिविधियों पर अंकुश के कुछ नहीं कर सकती है, जिस दिशा में सरकार की ओर से भविष्य के लिए कुछ प्लान जरूर तैयार किया जा रहा है। कसौली में पानी की काफी किल्लत है। जिसके लिए सरकार कैंट बोर्ड व पंचायतों के साथ मिलकर करीब 85 करोड़ रुपए के पेयजल प्रोजेक्ट को अमलीजामा पहनाने की दिशा में काम कर रही है। कसौली तक पर्यटकों की आसान पहुंच के लिए दो नए वैकल्पिक मार्ग भी तैयार हो रहे हैं। पार्किंग पर जरूर सरकार को विचार करने की जरुरत है।


टीसीपी के नियमों में बदलाव की दरकार


एनजीटी द्वारा कसौली प्रकरण पर उठाए गए सवाल सही हैं। भविष्य में ऐसा न हो, इसके लिए सरकार व प्रशासन को सख्ती दिखाने की जरूरत है। टीसीपी के नियमों में भी भवन व पार्किंग निर्माण को लेकर बदलाव लाने की जरूरत है, ताकि होटल कारोबारी इस तरह के कदम नहीं उठाए। एनजीटी व सुप्रीम कोर्ट को भी ऐसे मामलों में गलती करने वाले को मौका देने की गुंजाइश रखनी चाहिए, जिससे गोलीकांड जैसी स्थिति पैदा न हो


पर्यटकों को नहीं मिलती सुविधा


होटलों पर कार्रवाई से यहां का पर्यटन कारोबार काफी समय तक प्रभावित रहा है। स्टेशन पर पहले ही पर्यटकों की जरूरत के अनुसार होटल व अन्य सुविधाएं पर्याप्त नहीं है। इस बीच होटलों पर कार्रवाई व कसौली में पुलिस बल की भारी मात्रा में तैनाती से पर्यटक ने कसौली से मुंह मोड़ा है। स्थानीय रोजगार भी इससे प्रभावित हुआ है


पर्यावरण बचाने के लिए अवैध निर्माण पर रोक जरूरी


कसौली के पर्यावरण को बचाने के लिए होटलों की अवैध गतिविधियों पर एक्शन जरूरी था। आम आदमी अपने घर के लिए टीसीपी के चक्कर काट कर थक जाता है और होटल सात कमरों की परमिशन लेकर 60 कमरे चला रहे हैं। आम लोगों को सरकारी स्कीमों का पानी नहीं मिल रहा और होटल अवैध तरीकों से पानी लेकर कमाई कर रहे हैं


एनजीटी के सामने पेश हुई गलत तस्वीर


कसौली में होटलों के मामले को एनजीटी में गलत तरीके से पेश किया गया। पर्यावरण को कसौली में हुए निर्माण से इतना बड़ा खतरा नहीं था, जितना कि इसे दिखाया गया। कसौली में केवल अपनी ही जमीन पर बिना परमिशन निर्माण हुआ पर हिमाचल के दूसरे पर्यटन स्थलों पर तो अतिक्रमण हुआ है। कसौली में सरकार का पर्यटन गतिविधियों पर कोई निवेश आज तक नहीं हुआ है, अगर सरकार यहां निवेश करे, तो पर्यटन को इससे भी बड़े स्तर पर पहुंचाया जा सकता है


अस्थमा के रोगियों के लिए स्वर्ग


समुद्रतल से 6300 फुट की ऊंचाई पर बसे कसौली को अस्थमा के रोगियों का स्वर्ग भी कहा जाता है। डाक्टर विशेष रूप से अस्थमा के मरीजों को कसौली की हवाओं में रहने की राय देते हैं। कसौली में कई लोगों को इसी आधार पर जमीन खरीदने की स्वीकृति भी मिल पाती है।


हिल स्टेशन की चकाचौंध पर एशिया के सबसे बड़े औद्योगिक शहर बीबीएन के प्रदूषण का काफी असर पड़ रहा है। स्थानीय लोगों के अनुसार पहले जहां छह माह में भी घरों के बाहर कोई धूल-मिट्टी जमा नहीं होती थी,वहीं आज कसौली में हर सप्ताह उन्हें घरों के बाहर सफाई करनी पड़ती है। यह धूल बीबीएन औद्योगिक क्षेत्र से कसौली तक पहुंच रहा है।


1853 में बना क्राइस्ट चर्च


कसौली की वादियों में बना क्राइस्ट चर्च पर्यटन का मुख्य केंद्र है। विदेशी पर्यटक खास तौर पर इस चर्च में प्रार्थना करने आते हैं। इसके अलावा केंद्रीय अनुसंधान केंद्र (सीआरआई) को मिले महाराजा पटियाला के ऐतिहासिक भवन की भी पर्यटन की दृष्टि से खास जगह है।


गड़खल में पार्किंग से हल होगी समस्या


कसौली में पार्किंग एक बड़ी विकराल समस्या है। पर्यटक पार्किंग न होने से वाहन को सड़कों पर ही पार्क करने को मजबूर हैं। इस वजह से जाम भी इन सड़कों पर लगा रहता है। पार्किंग की समस्या हल करने की दिशा में कसौली कैंट जरूर 350 वाहन पार्क करने की क्षमता का एक मल्टी स्टोरी तैयार करने जा रहा है पर यह भी टूरिस्ट सीजन में कामयाब नहीं होगी। सरकार को चाहिए कि पर्यटकों की बेहतर सुविधा के लिए हिल स्टेशन से दो किलोमीटर दूर गड़खल में 500 वाहनों की पार्किंग क्षमता को विकसित किया जाए। इसके अलावा गड़खल से किमुघाट के बीच सड़क की चौड़ाई को बढ़ाना भी जाम से निजात का एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। एनएच-105 से कसौली को जोड़ने के लिए एक और शॉर्टकट विकल्प किमुघाट से चक्की मोड़ पर काम चल रहा है।


धर्मपुर से लेकर अवैध निर्माण


आर्मी का कसौली कैंट एरिया ही यहां की सबसे खूबसूरत जगह है। कैंट बोर्ड ने जहां आज तक इस हिल स्टेशन के प्राकृतिक सौंदर्य व ऐतिहासिक महत्त्व को बचाने की अहम भूमिका निभाई है, वहीं कैंट के कारण ही यहां पर्यटकों के लिए आज तक सुविधा विस्तार भी नहीं हो सका है। कैंट एरिया में आज भी केवल आठ होटल ही पर्यटकों को ठहराव की सुविधा दे रहे हैं, जबकि धर्मपुर से कसौली तक के 13 किलोमीटर सड़क पर ही सबसे अधिक निर्माण व अवैध निर्माण हुआ है।


गोलीकांड का जिम्मेदार कौन
होटलों में हुए अवैध निर्माण का आखिरकर असल जिम्मेदार कौन है, यह आज भी चर्चा का विषय बना है। होटल के अवैध निर्माण गिरने पर जिस तरह एक होटल मालिक के बेटे व सस्पेंड सरकारी मुलाजिम विजय ने दो लोगों पर खुलेआम गोलियां चलाई, जिसमें दोनों की मौत हो गई। पर क्या विजय ही इस गोलीकांड का दोषी रहा। माना कि होटलों ने नियमों को पूरी तरह ताक पर रख गलत तरीके से निर्माण किया। पर इतने सालों में संबंधित विभाग क्यों चुप रहा।


एनजीटी में सुनवाई के दौरान होटल मालिकों ने भी कई दफा उनकी सही सुनवाई न होने की बात कही। वहीं कोर्ट के अवैध निर्माण गिराने के सख्त फैसले ने होटल मालिकों की उम्मीदों को पूरी तरह खत्म किया। इस पूरे मामले की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है, जिसमें टूरिज्म विभाग की जमीन पर कुछ प्रभावशाली लोगों की पार्किंग यहां टूरिज्म कारपोरेशन के नए होटल बनने से बंद हो गई। इसके बाद स्पोक नामक संस्था के माध्यम से पर्यावरण के नुकसान का तर्क देकर इस होटल निर्माण को रोके जाने की अपील हुए। जिस पर टूरिस्म कारपोरेशन द्वारा कसौली में दूसरे होटलों के होने का तर्क दिया गया। जिस पर एनजीटी ने स्वतः संज्ञान लेते हुए एक विशेष टीम का गठन कर होटलों में किए गए अवैध निर्माण को उजागर करते हुए इसे जुर्माना लगाकर वैध तरीके से चलाए जाने के निर्देश जारी किए गए। हालांकि यह मामला अभी भी एनजीटी व सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।


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