माइक्रोफाइनेन्स महिला उद्यमियों को दे रहा है सहयोग

लखनऊ।


सुनीता जयसवाल ऊंचाहार, रायबरेली, उत्तरप्रदेश की निवासी हैं। वे अपने पति सुभाष जयसवाल के साथ मिलकर अपना कारोबार शुरू करना चाहती थी, लेकिन उनके लिए पूंजी जुटाना मुश्किल था क्यों उनका परिवार आर्थिक परेशानी से जूझ रहा था। अपने सपनों को साकार करने के लिए उन्हें ऋण लेने की जरूरत थी, तभी उन्हें आरोहण फाइनेन्शियल सर्विसेज के बारे में पता चला, जो उनके क्षेत्र में काम करने वाली नॉन-बैंकिंग फाइनेन्स कंपनी माइक्रो फाइनेन्स इन्सटीट्यूशन है। सुनीता ने आरोहण फाइनेन्शियल सर्विसेज से 20,000 रु का ऋण लिया और अपने पति के साथ मिलकर अपने घर के पास ही दवाइयों की छोटी सी दुकान खोली। धीरे धीरे उन्होंने अपना कारोबार बढ़ा लिया। आरोहण ई-बाजार प्लेटफॉर्म की आसान ईएमआई सुविधा का इस्तेमाल कर उन्होंने एक रेफ्रीजरेटर भी खरीदा, जिसमें वे दवाएं स्टोर कर सकते हैं। आरोहण फाइनेन्शियल सर्विसेज कम आय वर्ग की महिलाओं को आसान ऋण सुविधाएं उपलब्ध कराकर 1.4 मिलियन लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पैदा कर चुका है। यह संगठन तेरह राज्यों में परिचालन कर रहा है जिनमें से 10 मध्य, पूर्व एवं उत्तर-पूर्व में कम आय वाले राज्य के हैं। कंपनी की इन राज्यों में 564 शाखाएं हैं और यह माइक्रोफाइनेन्स एवं एमएसएमई में इसका ऋण पोर्टफोलियो 2789.86 करोड़ रु का है। स्व-विनियामक संगठन एवं भारत में माइक्रोफाइनैंस उद्योग के संगठन 'माइक्रोफाइनैंस इंस्टीट्यूशंस नेटवर्कÓ के अनुसार, देश में सूक्ष्म-ऋण लाभार्थियों में महिलाओं की भागीदारी 99 प्रतिशत है। एनबीएफसी-एमएफआई जैसी माइक्रोफाइनैंस कंपनियां भारत में बैंकिंग सुविधाओं रहित आबादी को वित्तीय सेवाएं आसानी से मुहैय्या करने की दिशा में कार्यरत हैं एनबीएफसी-एमएफआई देश में ऐसी एकमात्र विनियमित वित्तीय संस्थाएं हैं जो कम आय वाले परिवारों को असुरक्षित ऋण प्रदान करती हैं। ये वित्तीय कंपनियां उन महिलाओं की वित्त संबंधी जरूरतें को पूरी करती हैं जिनके पास गिरवीं रखने या सिक्युरिटी के तौर पर जमा करने के लिए कुछ भी संसाधन मौजूद नहीं होतें है। एनबीएफसी-एमएफआई का मकसद सतत आजीविका का विकल्प तैयार करने में मदद साधन मुहैया कराना है। दूरदराज के इलाकों में भी वित्तीय सेवाएं मुहैया कराकर ये कंपनियां सरकार के वित्तीय समावेशन के एजेंडे को बढ़ावा दे रही हैं। एनबीएफसी-एमएफआई प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की महत्वपूर्ण भागीदार हैं और इस कार्यक्रम के तहत वितरित किए जाने वाले लगभग 50 प्रतिशत ऋण माइक्रोफाइनैंस कंपनियों के जरिये दिए जाते हैं। एनबीएफसी-एमएफआई भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के साथ पंजीकृत हैं और ऋण के आकार, अवधि, ब्याज दर और फेयर प्रैक्टिसेज कोड (एफपीसी) तथा इंडस्ट्री कोड ऑफ कंडक्ट (सीओसी) के संदर्भ में सख्ती से अमल करती हैं। रिजर्व बैंक सभी एनबीएफसी एमएफआई की नियमित रूप से निगरानी करता है।


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