न लें बोर्ड परीक्षा का तनाव


डॉ. जगदीश गांधी


प्राय: यह देखा जाता है कि बोर्ड परीक्षा के नजदीक आते ही छात्र-छात्राएं एक्जामिनेशन फीवर के शिकार हो जाते हैं। ऐसे में शिक्षकों एवं अभिभावकों के द्वारा बच्चों के मन-मस्तिष्क में बैठे हुए इस डर को भगाना अति आवश्यक है। वास्तव में बच्चों की परीक्षा के समय में अभिभावकों की भूमिका ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है। एक शोध के अनुसार बच्चों के मन-मस्तिष्क पर उनके अभिभावकों के व्यवहार का सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है। ऐसी स्थिति में अभिभावकों को बच्चों के साथ दोस्तों की तरह व्यवहार करना चाहिए ताकि उनमें सुरक्षा की भावना और आत्मविश्वास बढ़ें। इस प्रकार बच्चों का मन-मस्तिष्क जितना अधिक दबाव मुक्त रहेगा उतना ही बेहतर उनका रिजल्ट आयेगा और सफलता उनके कदम चूमेगी। इसलिए छात्र-छात्राओं को बोर्ड परीक्षाओं का तनाव लेने के बजाय खुद पर विश्वास रखकर 'मन के हारे हार है मन के जीते जीतÓ कहावत पर चलना चाहिए और अपने कठोर परिश्रम पर विश्वास रखना चाहिए।


अपने लक्ष्य का निर्धारण स्वयं करें
एक बार यदि हमें अपना लक्ष्य ज्ञात हो गया तो हम उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देंगे। यदि हमारा लक्ष्य परीक्षा में 100 प्रतिशत अंक लाना है तो पाठ्यक्रम में दिये गये निर्धारित विषयों के ज्ञान को पूरी तरह से समझकर आत्मसात करना होगा। इसके साथ ही रात में देर तक पढ़ने की आदत बच्चों को नुकसान पहुंचा सकती है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार प्रात:काल का समय अध्ययन के लिए ज्यादा अच्छा माना जाता है। सुबह के समय की गई पढ़ाई का असर बच्चों के मन-मस्तिष्क पर देर तक रहता है। इसलिए बच्चों को सुबह के समय में अधिक से अधिक पढ़ाई करनी चाहिए। रात में 6-7 घंटे की नींद के बाद सुबह के समय बच्चे सबसे ज्यादा शांतिमय, तनाव रहित और तरोताजा महसूस करते हैं।


मस्तिष्क की असीम क्षमता का सदुपयोग
प्रत्येक मनुष्य की स्मरण शक्ति असीमित है। आइस्टीन जैसे महान वैज्ञानिक तथा एक साधारण व्यक्ति के मस्तिष्क की संरचना एक समान होती है। केवल फर्क यह है कि हम अपने मस्तिष्क की असीम क्षमताओं की कितनी मात्र का निरन्तर प्रयास द्वारा सदुपयोग कर पाते हैं। इसलिए छात्रें को अपने पढ़े पाठों का रीवीजन पूरी एकाग्रता तथा मनोयोगपूर्वक करके अपनी स्मरण शक्ति को बढ़ाना चाहिए। एक बात अक्सर छात्र-छात्रओं के सामने आती है कि वो जो कुछ याद करते हैं वे उसे भूल जाते हैं। इसका कारण यह है कि छात्र मौखिक रूप से तो उत्तर को याद कर लेते हैं लेकिन उसे याद करने के बाद लिखते नहीं है। कहावत है एक बार लिखा हुआ हजार बार मौखिक रूप से याद करने से बेहतर होता है। ऐसे में विद्यार्थी को अपने प्रश्नों के उत्तरों को लिखकर याद करने की आदत डालनी चाहिए।


सम्पूर्ण पाठ्यक्रम का अध्ययन
सिर्फ महत्वपूर्ण विषयों या प्रश्नों की तैयारी करने की प्रवृत्ति आजकल छात्र वर्ग में देखने को मिल रही है जबकि छात्रों को अपने पाठ्यक्रम का पूरा अध्ययन करना चाहिए और इसे अधिक से अधिक बार दोहराना चाहिए। अगर छात्रंों का लक्ष्य 100 प्रतिशत अंक अर्जित करना है तो परीक्षा में आने वाले सम्भावित प्रश्नों के उत्तरों की तैयारी तक ही अपना अध्ययन सीमित न रखकर सम्पूर्ण पाठ्यक्रम का अध्ययन करना चाहिए। जो छात्र पाठ्यक्रम के कुछ भागों को छोड़ देते हैं वे परीक्षा में असफलता का मुंह देख सकते हैं।


सफलता के लिए समय प्रबन्धन
परीक्षा में प्रश्न पत्र हाथ में आते ही सबसे पहले छात्र को सरल प्रश्नों को छांट लेना चाहिए। इन सरल प्रश्नों को हल करने में पूरी एकाग्रता के साथ अपनी ऊर्जा को लगाना चाहिए। छात्र को प्रश्न पत्र के कठिन प्रश्नों के लिए भी कुछ समय बचाकर रखने का ध्यान रखना चाहिए। चरम एकाग्रता की स्थिति में कठिन प्रश्नों के उत्तरों का आंशिक अनुमान लग जाने की सम्भावना रहती है। प्राय: देखा जाता है कि अधिकांश छात्र अपना सारा समय उन प्रश्नों में लगा देते हैं जिनके उत्तर उन्हें अच्छी तरह से आते हैं। तथापि बाद में वे शेष प्रश्नों के लिए समय नहीं दे पाते। समय के अभाव में वे जल्दबाजी करते प्राय: देखे जाते हैं और अपने अंकों को गॅवा बैठते हैं। परीक्षाओं में इस तरह की गलती न हो इसके लिए मॉडल पेपर के एक-एक प्रश्न को निर्धारित समय के अंदर हल करने का निरन्तर अभ्यास करते रहना चाहिए।


सुन्दर लिखावट, सही स्पेलिंग तथा विराम चिन्हों का प्रयोग
आपकी उत्तर पुस्तिका को जांचने करने वाले परीक्षक पर सबसे पहला अच्छा या बुरा प्रभाव आपकी लिखावट का पड़ता है। परीक्षक के ऊपर सुन्दर तथा स्पष्ट लिखावट का बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है। परीक्षक के पास अस्पष्ट लिखावट को पढ़ने का समय नही होता है। अत: परीक्षा में उच्च कोटि की सफलता के लिए अच्छी लिखावट एक अनिवार्य शर्त है। सही स्पेलिंग तथा विराम चिन्हों का सही उपयोग का ज्ञान होना हमारे लेखन को प्रभावशाली एवं स्पष्ट अभिव्यक्ति प्रदान करता है। भाषा का सही प्रस्तुतीकरण छात्रेंा को अच्छे अंक दिलाता है। विशेषकर भाषा प्रश्न पत्रें में सही स्पेलिंग अति आवश्यक है। इसी प्रकार विराम चिन्हों का सही उपयोग भी अच्छे अंक अर्जित करने के लिए जरूरी है।


प्रश्न पत्र के निर्देशों को भली-भांति समझें
छात्रों को प्रश्न पत्र हल करने के पहले उसमें दिये गये निर्देशों को भली भांति पढ़ लेना चाहिए। ऐसी वृत्ति हमें गलतियों की संभावनाओं को कम करके परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने की सम्भावना को बढ़ा देती है। इसलिए हमें प्रश्न पत्र के हल करने के निर्देशों को एक बार ही नहीं वरन् जब तक भली प्रकार निर्देश समझ न आये तब तक बार-बार पढ़ना चाहिए। छात्रों को उत्तर पुस्तिका जमा करने के पूर्व 10 या 15 मिनट अपने उत्तरों को भली-भांति पढ़ने के लिए बचाकर रखना चाहिए। अगर आपने प्रश्न पत्र के निर्देशों का ठीक प्रकार से पालन किया है तथा सभी खण्डों के प्रत्येक प्रश्नों का उत्तर दिये हैं तो यह अच्छे अंक लाने में आपकी मदद करेगा।


मैं यह कर सकता हूं
माता-पिता अगर अपने बच्चों पर विश्वास जताएंगे और उनका सही मार्गदर्शन करेंगे तो छात्र तनाव से निजात पाकर परीक्षा दे सकेंगे और वे सर्वश्रेष्ठ अंकों से अपनी परीक्षा को पास कर सकेंगे। छात्रेों को भी अपने आत्मविश्वास को जगाने के लिए इस वाक्य को प्रतिदिन अधिक से अधिक बार दोहराना चाहिए कि 'मैं यह कर सकता हूं, इसलिए मुझे यह करना हैÓ यह छात्र जीवन में उच्च कोटि की सफलता प्राप्त करने का एक अचूक मंत्र हो सकता है। परीक्षाओं के समय यह वाक्य हमारी सुनिश्चित सफलता की सोच को विकसित करता है। यह मंत्र जीवन में पूरी तरह तभी सफल होगा जब हम अपने अंदर एकाग्रता, निरन्तर प्रयास, आत्मानुशासन तथा आत्म-नियंत्रण के गुणों को भी विकसित करेंगे।


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