फर्राटेदार अंग्रेजी में करियर



यदि कोई व्यक्ति धारा प्रवाह अंग्रेजी बोल सकता है, तो वह मैनेजमेंट की सीढि़यां आसानी से लांघ सकता है। यदि आपकी अंग्रेजी अच्छी नहीं है तो व्यवसाय की शानदार योेजना रखने के बावजूद आप खुद को मैनेजमेंट के सबसे निचले स्तर पर खड़ा पएंगे। जो अच्छी अंग्रेजी बोल सकता है, हो सकता है वह आपकी योजना आप से छीन ले और आपकी योजना को अंतिम रूप देने में आपके द्वारा किए गए कड़े परिश्रम का श्रेय वह खुद ले ले…
ग्लोबलाइजेशन के चलते पिछले कुछ वर्षों में अंग्रेजी का महत्त्व बहुत बढ़ गया है। पिछले कुछ सालों में यह भाषा एक्सप्रेशन का महत्त्वपूर्ण माध्यम बन गई है। अंग्रेजी बोलचाल का महत्त्व इसलिए भी है, क्योंकि ऐसे कई मामले हैं, जिनमें व्यक्ति अपने विषय का अच्छा जानकार होता है, लेकिन उसे सही रूप में एक्सप्रेस करने में वह असफल हो जाता है। इसलिए अंग्रेजी बोलचाल का अभ्यास जरूरी हो जाता है। किसी ऐसे देश में जहां अंग्रेजी मातृभाषा नहीं है, अंग्रेजी पढ़ने से अनेक अवसर खुल जाते हैं। आज के कारपोरेट विश्व में प्रभाव एक्सप्रेशन की आवश्यकता को तकनीकी ज्ञान की तुलना में अधिक मान्यता दी जा रही है और स्वीकार किया जा रहा है। कारपोरेट विश्व की भाषा अंग्रेजी है। यदि कोई व्यक्ति धारा प्रवाह अंग्रेजी बोल सकता है, तो वह मैनेजमेंट की सीढि़यों को लांघ सकता है। यदि आपकी अंग्रेजी अच्छी नहीं है तो व्यवसाय की शानदार योेजना रखने के बावजूद आप खुद को मैनेजमेंट के सबसे निचले स्तर पर खड़ा पएंगे। जो अच्छी अंग्रेजी बोल सकता है, हो सकता है वह आपकी योजना आप से छीन ले और आपकी योजना को अंतिम रूप देने में आपके द्वारा किए गए कड़े परिश्रम का श्रेय वह खुद ले ले। इसलिए सामूहिक विचार-विमर्श, इंटरव्यू, पे्रजेंटेशन, रिपोर्ट राइटिंग, लैटर राइटिंग आदि जैसे अलग-अलग उद्देश्यों के लिए अंग्रेजी में कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने के लिए अंग्रेजी भाषा विशेषज्ञ की बड़ी संभावनाएं हैं। अंग्रेजी एक पश्चिम जर्मेनिक लैंग्वेज है। इसकी उत्पत्ति एंग्लो-सेक्सन इंग्लैंड से हुई थी। संयुक्त राज्य अमरीका के 19वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध और ब्रिटिश सामाज्य के 18वीं, 19वीं और 20वीं शताब्दी के सैन्य, राजनीतिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह दुनिया के कई भागों में बोलचाल की भाषा बन गई। कई राष्ट्रमंडल देशों एवं अंतरराष्ट्रीय संगठनों में बडे़ पैमाने पर इस भाषा का प्रयोग दूसरी भाषा एवं आधिकारिक भाषा के रूप में होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति 5वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो सेक्सन लोगों द्वारा लाई गई अनेकों बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है, से हुई है।


नौकरी भी, पढ़ाई भी


अंग्रेजी भाषा और साहित्य का अध्ययन छात्रों में मूल्याकंन और विश्लेषण करने की क्षमता प्रदान करता है। इन दिनों लोगों में अंग्रेजी के प्रति काफी क्रेज है। यही वजह है कि अंग्रेजी बोलने और सीखने की ललक घर-घर में देखी जा सकती है। कुछ लोग स्पोकन इंग्लिश का कोर्स चलाकर हजारों की कमाई भी कर रहे हैं। यदि आप स्वरोजगार करना चाहते हैं, तो अपने घर के आसपास कोचिंग सेंटर खोलकर लोगों को अंग्रेजी बोलना और लिखना सिखा सकते हैं। इसके अलावा यदि आप कहीं नौकरी करते हैं, तो कोचिंग या ट्यूशन पढ़ाकर भी कम समय में बेहतर पैसे कमा सकते हैं। लेकिन इस तरह के प्रोफेशन में आने के लिए जरूरी है कि आपकी अंग्रेजी ग्रामर पर पकड़ हो, क्योंकि ग्रामर भाषा की रीढ़ होती है। यदि इस पर कमांड है, तो आप इस प्रोफेशन में अवश्य सफल हो सकते हैं।


क्या है क्रेज


रोजगार के सार्वभौम बनने के कारण पिछले कुछ सालों में अंग्रेजी का क्रेज बढ़ा है। सालों से यह भाषा नेशनल और इंटरनेशनल दोनों स्तरों पर अभिव्यक्ति का माध्यम बन गई है। बोली जाने वाली अंग्रेजी का महत्त्व और अधिक है, क्योंकि ऐसे कई मामले हैं जिनमें कोई व्यक्ति अपने विषय का अच्छा ज्ञाता तो होता है, किंतु उसे समुचित रूप में अभिव्यक्त करने में वह असफल हो जाता है। इसलिए भाष्य अंग्रेजी का अभ्यास करना बहुत आवश्यक है। अंग्रेजी पढ़ने से किसी व्यक्ति के लिए अनेक अवसर खुल जाते हैं। आजकल के दौर को देखते हुए अभिभावक भी अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में दाखिला दिलवाने के लिए लालायित दिखते हैं। उन्हें अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में अपने बच्चों का भविष्य सुरक्षित नजर आता है, सिर्फ इसलिए क्योंकि अंग्रेजी भाषा में संभावनाओं का स्कोप बहुत है। इसलिए अंग्रेजी भाषा का क्रेज है।


प्रतियोगी परीक्षा में अहम


आजकल किसी भी परीक्षा में अंग्रेजी ज्ञान से संबंधित पेपर अवश्य होते हैं। यदि आईएएस या पीओ जैसी प्रतिष्ठित सेवा की बात करें, तो उसमें भी अंग्रेजी से संबंधित पेपर होते हैं। यदि आप इसमें निर्धारित अंक नहीं लाते हैं, तो आपके शेष पेपरों का मूल्यांकन नहीं होता है। इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि अंग्रेजी का ज्ञान कितना जरूरी है। यदि आपकी इस विषय पर पकड़ है, तो इस विषय को लेकर आप मुख्य परीक्षा भी दे सकते हैं। इंटरव्यू में भी यदि आप अंग्रेजी बोलने और लिखने में सक्षम हैं, तो आपको काफी फायदा हो सकता है।


एजुकेशनल क्वालिफिकेशन


यदि आप बारहवीं किसी भी स्ट्रीम से अंग्रेजी विषय के साथ उत्तीर्ण हैं तो ग्रेजुएशन से करियर की शुरुआत कर सकते हैं। ग्रेजुएशन के बाद पोस्ट ग्रेजुएशन और डाक्टरेट की उपाधि अर्जित करने के बाद करियर की ऊंचाइयां छू सकते हैं। इसमें सबसे जरूरी है कि आपकी डिग्री के साथ-साथ आपकी स्किल्स भी विकसित होती जाए। महज डिग्री लेना काफी नहीं, निपुणता जरूरी है।


करियर विकल्प


अंग्रेजी भाषा में मास्टर डिग्री करने के बाद कोई भी व्यक्ति किसी सरकारी और निजी संगठन, शैक्षिक संस्थान में रोजगार प्राप्त कर सकता है या अपना निजी प्रशिक्षण केंद्र चला सकता है। पोस्ट ग्रेजुएशन, नेट या पीएचडी करने के बाद केंद्रीय एवं राज्य स्तरीय विश्वविद्यालयों एवं संबद्ध डिग्री कालेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में करियर की शुरुआत कर सकता है। एडिटर, इंग्लिश ट्रांसलेटर के भी विकल्प मौजूद हैं। इसके अलावा निजी कंपनियों में भी अंग्रेजी के जानकारों के लिए अच्छे स्कोप हैं। एक बार आप इस फील्ड के एक्सपर्ट हो गए, तो फिर आपके पास काम की कमी नहीं रहती।


वेतनमान


अंग्रेजी भाषा में विशेषज्ञता हासिल करने के बाद आपके पास संभावनाओं का आकाश खुल जाता है। अंग्रेजी को सेलेब्रिटी भाषा भी कहा जाता है। इसलिए सरकारी क्षेत्र में रोजगार मिलने पर भी स्कूल कालेज में अच्छे वेतनमान पर युवाओं को काम मिल जाता है। स्कूली स्तर पर आरंभिक आय 20 हजार है, तो कालेज और यूनिवर्सिटी स्तर पर आरंभिक आय 30 हजार से 70 हजार के बीच होती है। वेतन आपकी सीनियोरिटी के अनुसार बढ़ता रहता है। निजी कंपनियां भी अंग्रेजी विशेषज्ञों को अपने यहां अच्छे वेतन पर रखती हैं।


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