सादगी से हर पल संतोष मिलता है

अपने दिमाग में लाकर हम अपनी सदृश्यता खो देते हैं, जैसे कि यह है, अपनी जीवन की सामान्यता। हम अपने ऊपर रीति-रिवाजों व परंपराओं के प्रतिबंध लगा देते हैं। इससे निषिद्ध फल अर्थात इच्छा का जन्म होता है। आदमी इसके पीछे भागना शुरू कर देता है। उसके मापदंड अन्यों में गलतियां ढूंढना शुरू कर देते हैं। अपनी कमियों को छिपाने के लिए वह ऐसा करता है। ‘क्या फर्क है अगर मैं एक पैग व्हिस्की का लगा लूं, वह आदमी हर रोज एक बोतल गटक जाता है।’ आदमी अपने को न्यायोचित ठहराने की कोशिश करता है। वह अपनी चिंताओं को दूर करने के लिए पैग ढूंढता है। वह पवित्र पुस्तकें पढ़ने से इनकार कर सकता है। अपने आपको आश्वस्त करने के लिए घर से निकलने से पहले भजन पढ़ने से भी वह इनकार कर सकता है। वह अगर शेष दिन के लिए पवित्र किताब के निर्देशों का अनुपालन नहीं करता है तो वह आसानी से अपने आपको मूर्ख बना लेता है। अपनी आंतरिक शांति के लिए लोग कई तरह के रास्ते अपनाते हैं, किंतु ये सब उसके बचाव के मार्ग होते हैं। संुदरता इस बात में है कि एक ऐसा मार्ग ढूंढा जाए जो अन्य सभी से ज्यादा ऊंचा हो तथा जिसके अपनाने के बाद अन्य किसी रास्ते की जरूरत ही न रहे। दृश्यता की स्थिति तक लौटने के लिए यह मार्ग है स्वयं को डी-एजुकेट करना। यजुर्वेद के अनुसार अंतर्ज्ञान बेहतर सहजावबोध का परिणाम होता है। शिक्षा इन सहजावबोधों को खत्म कर देती है। सतर्क अध्ययन बताता है कि सहजावबोध बेहतर सद्गुणों से हमें हटने की अनुमति नहीं देते हैं। एक कहावत है कि अच्छा आदमी होना एक कला है। इस बात में कोई संदेह नहीं कि अच्छा होना एक कला है। यह केवल अंतर्ज्ञान जैसी सूक्ष्म चीज है जो हममें कला जैसी उत्कृष्ट चीज बनाए रखती है। अपने दिमाग को मुक्त रखें तथा अन्य व्यक्ति को नमन करें, न केवल इस रीति के कारण कि वह आपका गुरु है। आदर, सत्कार, प्यार से बाहर जाकर तथा अगर आपके पास इसके लिए एक अपील है तो दूसरे को नमन करो। आपको किसी रिवाज का दास नहीं होना चाहिए। मेरे गांव हरगोबिंदपुर में एक बार मैंने अपने स्वीपर से मीठे शब्दों में काम करने को कहा। उसके प्रति मेरे आदरपूर्वक व्यवहार से उसे अपनी हीनभावना का एहसास हो गया। इसके बाद लंबे समय तक वह मेरे पास आता रहा। बगदाद में मेरे पास सियालकोट से एक स्वीपर था। मेरा गांव गुरदासपुर जिले में उसके स्थान से 70 मील दूर है। जब मैंने उसे बताया कि मैं हरगोबिंदपुर से हूं तो उसने आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा, ‘ओ, हम एक ही जगह से वास्ता रखते हैं।’ भारत से बगदाद की दूरी ने उसकी पेचीदगियों को हटा दिया तथा साथ ही स्थानों की सीमाओं के पुनर्सीमांकन को भी। इस स्वतंत्रता ने उसे वास्तविक आनंद दिया। ये डी-एजुकेट होने के उदाहरण हैं अर्थात एक अथवा दूसरी चीज से छुटकारा पाना। एक मजिस्ट्रेट के अंतिम संस्कार के समय वहां फूलों की एक टोकरी आई जिसमें एक कार्ड पर ‘हेनरी’ लिखा गया था। भेजने वाले की पहचान करने की कोशिश में एक किनारे पर खड़ा एक विनम्र आदमी मिला। पूछने पर उसने बताया, ‘जब वह कोर्ट को जाते थे तो वे मुझे हेनरी कहा करते थे।’ वह एक भिखारी था तथा उन्हें ‘मिस्टर’ पुकार रहा था जिन्होंने उसे बंधनों से मुक्त किया था। वह मजिस्ट्रेट के प्रति सत्कार से बाहर आकर वहां फूलों सहित आया था। दिमाग की ऐसी मुक्त स्थिति न केवल खुशी देती है, न केवल सरलता से आनंद देती है, बल्कि आशीर्वाद भी देती है। एक व्यक्ति की उपलब्धि यह है कि वह स्थितियां चाहे कैसी भी हो, संतुष्ट होना चाहिए। सादगी की स्थिति तक पहुंच कर यह प्राप्त किया जा सकता है।


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