सेल्फी मानसिक रूप से कमजोर करती है 



आज के दौर में सेल्फी लेना एक नया चलन है। ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम है जिनके पास नए कैमरे वाला मोबाइल हो और उन्होंने सेल्फी न खींची हो। सेल्फी खींचना सामान्य है। जीवन के कुछ खास पलों को यादगार बनाने के लिए सेल्फी खींचना सामान्य सी बात है पर जब सेल्फी का क्रेज इतना ज्यादा हो जाए कि इससे व्यक्ति खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाने लगे, तब सेल्फी खींचना सामान्य नहीं रह जाता। अत्यधिक सेल्फी खींचना कई तरह के मानसिक विकारों का संकेत हो सकता है। आइए जानते हैं अत्यधिक सेल्फी लेना किस तरह आपके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
आत्म विश्वास की कमी- शोध के अनुसार सेल्फी लेने के बाद लोगों में मानसिक दबाव अधिक हो जाता है। ज्यादा सेल्फी लेने वाले लोग अधिक चिंतित महसूस करते हैं। उनका आत्मविश्वास कम हो जाता है और वे शारीरिक आकर्षक में कमी महसूस करते हैं। ज्यादा सेल्फी लेने वाले लोगों में अपने लुक्स को लेकर काफी हीन भावना बढ़ जाती है, ये भावना इतनी तीव्र होती है कि वो अपनी कॉस्मेटिक सर्जरी कराने की सोचने लगते हैं। एक स्टडी में करीब 300 लोगों को शामिल किया गया है। अध्ययन में पाया गया कि किसी फिल्टर का उपयोग किए बिना सेल्फी पोस्ट करने वाले लोगों में चिंता बढ़ने और आत्मविश्वास में कमी देखी जाती है। सेल्फी लेने और उन्हें सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के बाद मूड खराब होता है और इसका सीधा असर आत्मविश्वास पर पड़ता है।


कमजोर रिश्ते- यूरोप के तीन कालेज में हुए टैगर्स डिलाइट नामक एक सर्वे में यह पाया गया कि वो लोग जो बहुत ही ज्यादा सेल्फी लेते हैं और सोशल मीडिया साइट्स पर पोस्ट करते हैं, उनका अपने दोस्तों, सहकर्मियों या पार्टनर से रिश्ता ज्यादा मजबूत नहीं होता। ऐसे लोग खुद को अंदर से अकेला महसूस करते हैं।


आत्म ग्रस्त- वो लोग जो बहुत ज्यादा सेल्फी खींचते हैं, उनमे सेल्फ ओबसेशन की भावना होती है। ये भावना आगे जाकर पर्सनालिटी डिसऑर्डर जैसे मानसिक विकार का रूप ले लेती है। इस मानसिक विकार में व्यक्ति खुद को महत्त्व देने लगता है तथा उसमें खुद को सबसे सर्वश्रेष्ठ और सुंदर समझने की भावना उत्पन्न होने लगती है।


ज्यादा सेल्फी खींचने वाले लोगों में भी खुद को सुंदर दिखाने तथा अपने चेहरे के सौंदर्य से प्रभावित होने की भावना उत्पन्न होने लगती है।


मनोबल कम होता है- कैमरे की मदद से या कई तरह के फोटो एडिटिंग टूल की मदद से ऐसी सेल्फी खींची जाती है, जो चेहरे की वास्तविकता की तुलना में ज्यादा आकर्षक और सुंदर तस्वीरें तैयार करती है। आजकल के ट्रेंड में कई ऐसे मोबाइल एप्लीकेशन है, जो सेल्फी को और ज्यादा सुंदर बनाते हैं। लोग जब इन तरीकों से सेल्फी खींच कर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर डालते हैं, तो उन लोगों के प्रति बाकी लोगो में ये भावना आती है कि व्यक्ति काफी सुंदर है पर जब असलियत में लोग ऐसे लोगों से मिलते हैं, तो पाते हैं कि व्यक्ति उतना भी सुंदर नहीं जितना अपने सेल्फिज में लगता है।


ऐसे स्थिति में कई बार सेल्फिज लेने वाले लोगों का मनोबल टूटता है। कई बार तो व्यक्ति पर मानसिक अवसाद हावी हो जाता है।


 


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