शनि मंदिर खरसाली
उत्तराखंड देवभूमि में कई चमत्कारी मंदिर हैं, उन्हीं में से एक शनिदेव का मंदिर उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिला के खरसाली गांव में स्थित है। यह मंदिर हिंदुओं के देवता शनिदेव को समर्पित है। जिन्हें एक पौराणिक कथा के अनुसार हिंदू देवी यमुना का भाई माना जाता है। कहा जाता है कि शनिदेव न्यायधीश हैं, जो हर कर्म का हिसाब करते हैं। यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 7000 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। इस मंदिर की कलाकृति बेहद ही प्राचीन है। शनि मंदिर के बारे में इतिहासकार मानते है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने करवाया है एवं इस पांच मंजिला मंदिर के निर्माण में पत्थर और लकड़ी का उपयोग किया गया है। लकड़ी के बांसों का इस्तेमाल होने से यह खतरे के स्तर से ऊपर रहता है तथा बाढ़ से इसको बचाने में मदद मिलती है। शनिदेव की कांस्य मूर्ति शीर्ष मंजिल पर स्थित है। खरसाली में स्थित इस मंदिर का अपना अलग ही महत्त्व है। शनि मंदिर में एक अखंड ज्योति मौजूद है। कहा जाता है कि इस अखंड ज्योति के दर्शन मात्र से ही जीवन के सारे दुख दूर हो जाते हैं। खरसाली में ही मां यमुना अपने शीतकाली प्रवास के लिए आती है और खास बात यह है कि खरसाली में मां यमुना के भाई शनिदेव भी मौजूद हैं। यमुनोत्री धाम से लगभग 5 किलोमीटर पहले ये मंदिर पड़ता है। हर साल शनि मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते रहते हैं। किवदंतियों के अनुसार साल में एक बार कार्तिक पूर्णिमा के दिन इस मंदिर में चमत्कार होता है। मंदिर के पुरोहितो की मानें तो इस दिन शनि देव के मंदिर के ऊपर रखे घड़े खुद बदल जाते है। ये कैसे होता है, इस चमत्कार के बारे में अब तक लोगों को कोई जानकारी नहीं है, लेकिन पुरोहितो के अनुसार इस दिन जो भक्त शनि मंदिर में अपने कष्ट को लेकर आता है, उसके कष्ट हमेशा के लिए समाप्त हो जाते हैं।
नदी की तरफ चलने लगते हैं फूलदान- कथाओं के अनुसार बताया गया है कि मंदिर में दो बड़े फूलदान रखे गए हैं, जिनको रिखोला और पिखोला कहा जाता है। इस फूलदान को जंजीर से बांधकर रखा जाता है, क्योंकि कहानी के अनुसार पूर्णिमा के दिन यह फूलदान यहां से चल कर नदी की ओर जाने लगते हैं।
शनि मंदिर का धार्मिक महत्त्व – शनि मंदिर के बारे में हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार शनि देव को कर्म और न्याय के देवता के रूप में जाना जाता है। शनि देव भगवान सूर्य के पुत्र और देवी यमुना के भाई है।