सुप्रीम कोर्ट ने 21 राज्य सरकारों को दिया निर्देश, पूछा, जंगल से आदिवासियों को हटाया गया या नहीं, बताएं


नयी दिल्ली


उच्चतम न्यायालय ने 21 राज्यों को उन आदिवासियों और वनवासियों को बेदखल करने को लेकर उठाये गये कदमों के बारे में उसे अवगत कराने को कहा है, जिनका वनभूमि पर दावा खारिज कर दिया गया था. शीर्ष न्यायालय ने 13 फरवरी को संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों को हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा था कि जिन आदिवासियों-वनवासियों के खिलाफ जमीन से बेदखल किये जाने का आदेश जारी हुआ था, उन्हें हटाया गया या नहीं और अगर ऐसा नहीं हुआ है तो वजह बतायी जाये.
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की पीठ 2006 के बाद से शीर्ष अदालत में इस मुद्दे पर दाखिल कुछ याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. जिन राज्यों के मामले हैं, उनमें झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, असम, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओड़िशा, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश और मणिपुर का नाम है.
आंध्रप्रदेश से जुड़े मुद्दे पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि एक बार निष्कासन के आदेश पारित किये जाने के बाद, निष्कासन होना चाहिए. पीठ ने सभी राज्यों के हलफनामे पर गौर किया और उसके मुताबिक आदेश जारी किया कि अगर कार्य पूरा नहीं हुआ है तो वजह बतायी जानी चाहिए. अदालत ने कहा कि अगर किसी तरह की दिक्कतें हैं तो राज्यों को ऐसे मुद्दों के विवरण के बारे में बताना होगा और अगर आदेश लागू हुआ है तो उसे बताना होगा.
झारखंड में ग्राम सभाअों के अनुमोदन के बाद 1,07,187 आदिवासी परिवार व 3569 अन्य पारंपरिक वन निवासियों ने जमीन का पट्टा निर्गत करने के लिए राज्य सरकार के समक्ष अपना दावा प्रस्तुत किया था. इसमें से 27,809 आदिवासी परिवारों के 298 दावों को वन विभाग ने खारिज कर दिया है. साथ ही संबंधित परिवारों को वन क्षेत्र से हटने का आदेश पारित किया है.


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