बोर्ड-आयोग के गठन का मामला हुआ सुस्त

पटना


देश में लोकसभा चुनाव का माहौल तैयार हो गया है. ऐसे में राज्य में अन्य तरह की राजनीतिक गतिविधियों पर लगभग विराम लग गया है.
राज्य में गठित आयोग और बोर्ड में होने वाली नियुक्तियां लोकसभा चुनाव के बाद ही संभव होगा. सत्तारूढ़ दल के नेताओं को 20 सूत्री सदस्य बनने के लिए लोकसभा के चुनावों तक इंतजार करना होगा. आयोग और बोर्ड में तो कुछ नियुक्तियां कर भी दी गयी हैं, लेकिन 20 सूत्री सदस्यों की अब तक नियुक्ति नहीं की गयी है.
सत्तारूढ़ दल के नेताओं को सरकार बनने के बाद उम्मीद रहती है कि उन्हें सत्ता के साथ जुड़ कर जनता की सेवा करने का मौका मिलेगा. किसान आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों के पद रिक्त हैं. इसी तरह से अतिपिछड़ा आयोग, अनुसूचित जाति आयोग, महादलित आयोग, भोजपुरी अकादमी के चेयरमैन के पद खाली हैं. राज्य मानवाधिकार आयोग और धार्मिक न्यास पर्षद के चेयरमैन के पद पर भी नियुक्ति होनी है.
इसी तरह से सरकार द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत अलग से प्रावधान तो कर दिया गया है, पर ऊंची जाति के आयोग के अध्यक्ष व सदस्य की नियुक्ति नहीं की गयी है. साथ ही हर जिला स्तरीय व प्रखंड स्तरीय 20 सूत्री कमेटी में भी पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को स्थान दिया जाना है. पार्टी नेताओं को उम्मीद है कि चुनाव के बाद उन्हें सत्ता में भागीदारी मिलेगी.


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