दूसरे चरण में पांच सीटों पर होगा घमसान, जदयू की महागठबंधन से होगी सीधी टक्कर

दूसरे चरण की पांच सीटों पूर्णिया, कटिहार, भागलपुर,किशनगंज व बांका में इस बार मुकाबला दिलचस्प होगा. 18 अप्रैल को दूसरे चरण में इन सीटों पर वोट पडेंगे. 26 तक नामांकन की अंतिम तारीख है. सीमांचल की ये पांचों सीटें एनडीए में जदयू के खाते में गयी हैं. पूर्णिया से वर्तमान सांसद संतोष कुशवाहा ने जदयू उम्मीदवार के तौर पर नामांकन कर रखा है. महागठबंधन में किशनगंज व पूर्णिया से कांग्रेस, कटिहार से वीआइपी, भागलपुर और बांका से राजद के उम्मीदवार होंगे.

भाजपा नहीं, इस बार राजद- जदयू के बीच होगा सीधा मुकाबला
भागलपुर : भाजपा नहीं, इस बार राजद- जदयू के बीच होगा सीधा मुकाबला. दूसरे चरण में 18 अप्रैल को होनेवाले मतदान में इस बार चुनाव में भागलपुर में कमल चुनाव चिह्न नहीं दिखेगा. पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसेन समर्थकों को उम्मीद थी कि यह सीट भाजपा के खाते में ही रहेगी. पर, यह सीट जदयू को चली गयी है. जदयू से अजय मंडल संभावित उम्मीदवार के रूप में हैं. वहीं भागलपुर से राजद के वर्तमान सांसद बुलो मंडल चुनाव मैदान में होंगे.


1998 के चुनाव में भाजपा के प्रभाष चंद्र तिवारी ने राजद प्रत्याशी चुनचुन यादव को पराजित किया.2004 से 2009 के बीच हुए तीन चुनावों में भाजपा ने जीत की हैट्रिक लगायी थी. भाजपा से उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी व भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सह पूर्व केंद्रीय मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.

1996 से लेकर 2014 तक सात लोकसभा चुनाव हुए. उसमें चार बार भाजपा ने जीत दर्ज की. तीन बार दूसरे स्थान पर रही. भागलपुर लोकसभा सीट पर पहली बार भाजपा व लोजपा के साथ गठबंधन के तहत जदयू चुनाव लड़ रहा है. भागवत झा आजाद, बनारसी प्रसाद झुनझुनवाला ने भी यहां का प्रतिनिधित्व किया था.

कटिहार में दिलचस्प होगा मुकाबला
तीसरे चरण में 18 अप्रैल को होनेवाले मतदान में एनडीए व महागठबंधन के प्रत्याशी के बीच कांटे की टक्कर होगी. 2014 के चुनाव में भाजपा व जदयू अकेले-अकेले चुनाव लड़ी थी. इस बार साथ-साथ चुनाव लड़ रही हैं. कटिहार सीट जदयू के हिस्से में आयी है.

वहीं कटिहार से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के तारिक अनवर चुनाव जीते थे. इस बार वे कांग्रेस में शामिल हो गये हैं. अब कांग्रेस वहां से चुनाव लड़ती है या नहीं इसकी घोषणा बाकी है.

जदयू के संभावित उम्मीदवार में दुलार चंद गोस्वामी व राम प्रकाश महतो शामिल हैं. कटिहार से तारिक अनवर पांच बार और भाजपा के निखिल कुमार चौधरी तीन बार चुनाव जीत चुके हैं.2014 के मोदी लहर के बावजूद एनसीपी नेता तारिक अनवर जीतने में कामयाब रहे.

किशनगंज में मुस्लिम वोट निर्णायक
किशनगंज की सीट पर इस बार कांग्रेस और जदयू के बीच कांटे की टक्कर होने वाली है. किशनगंज में कांग्रेस से तारिक अनवर को चुनाव लड़ाने की तैयारी है. जबकि, जदयू किसी दमखम वाले उम्मीदवार को उतारने को तैयार है.

यहां 1957 से 2014 तक कुल 16 चुनावों में कांग्रेस के प्रत्याशी को आठ बार जीत मिली. सांसदों के चुनाव में मुस्लिम वोट ही यहां निर्णायक रहे हैं.

पिछले दो चुनाव 2009 व 2014 में कांग्रेस पार्टी के मौलाना असरारुल हक कासमी जीत दर्ज करने में सफल रहे. इनके निधन के बाद कांग्रेस लोस चुनाव में किसे प्रत्याशी बनाती है. यह तय होना बाकी है. यहां सूरजापुरी मुसलमान,शेरशाहवादी मुसलमान, कुल्हिया व अन्य मुस्लिम जाति की 70 प्रतिशत आबादी है.

वहीं 30 प्रतिशत हिंदु समुदाय से जुड़े विभिन्न जातियों के मतदाता हैं. 2014 के चुनाव में कांग्रेस के असरारूल हक को 493461 मत मिले. वहीं भाजपा के दिलीप जायसवाल को 298848 वोट हासिल हुए थे.

समाजवादियों के गढ़ बांका में होगी कांटेे की टक्कर
समाजवादियों के गढ़ बांका में चुनाव में कांटे की टक्कर होगी. वर्तमान सांसद जय प्रकाश नारायण यादव का मुकाबला जदयू उम्मीदवार से होना है. एनडीए में जदयू के हिस्से में यह सीट गयी है. बांका लोकसभा सीट पर कई दिग्गज नेता चुनाव लड़ चुके हैं.

बांका से बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री स्व चंद्रशेखर सिंह,उनकी पत्नी मनोरमा सिंह, समाजवादी नेता मधु लिमये, जार्ज फर्नांडीस, भारतीय जनसंघ के बी एस शर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व दिग्वजिय सिंह, उनकी पत्नी पुतुल कुमारी आदि ने भाग्य आजमाया है.

समाजवादी नेता जार्ज फर्नांडिस ने भी बांका से अपना भाग्य आजमाया लेकिन वे सांसद नहीं बन सके. बांका लोस क्षेत्र से वर्ष 2014 में राजद के टिकट पर लड़े जयप्रकाश नारायण यादव ने भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार पुतुल कुमारी को हरा कर सांसद बने

सीमांचल की हॉट सीट पूर्णिया से फिर मैदान में जदयू के संतोष कुशवाहा
सीमांचल की हॉट सीट पूर्णिया पर इस बार चुनाव मुकाबला रोचक होगा. दोनों गठबंधन आमने-सामने होंगे. एनडीए गठबंधन में जदयू ने अपने उम्मीदवार संतोष कुशवाहा को चुनाव मैदान में उतारा है. वर्तमान सांसद संतोष कुशवाहा ने नामांकन कर दिया है.

वहीं महागठबंधन में पूर्णिया सीट कांग्रेस के खाते में गयी है. वहां से उदय सिंह ऊर्फ पप्पू सिंह संभावित उम्मीदवार हैं. इस सीट पर मुस्लिम व यादव वोट फैक्टर है. एससी-एसटी, बीसी, ओबीसी, ब्राह्मण व राजपूत वोटरों की भूमिका भी निर्णायक रहेगी.

फणि गोपाल सेन यहां के पहले सांसद थेे.1996 में सपा के टिकट पर राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव यहां के सांसद बने.1999 में वह निर्दलीय थे. चुनाव मुकाबले में उन्होंने जीत हासिल की थी. 2004 व 2009 में भाजपा से उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह सांसद बने थे.


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