होली है! कवियों ने मारी चुटीली पिचकारी खूब बरसे ठहाके


कोलकाता


कहते हैं कि होली के मौके पर सभी गिले-शिकवे भुलाकर प्रेम के रस में सभी भींग जाते हैं लेकिन कई बार इसमें ठहाकों की मस्ती भी घुल जाती है. कुछ ऐसा ही हुआ प्रभात खबर की ओर से आयोजित हास्य कवि सम्मेलन में. जहां देश के दिग्गज कवियों एहसान कुरैशी, डॉ राहुल अवस्थी, प्रताप फौजदार और मुमताज नसीम ने अपनी कला के जौहर बिखेरे.


महानगर के विद्या मंदिर में आयोजित इस कवि सम्मेलन में जहां ठहाके गूंज रहे थे वहीं राष्ट्र भक्ति से ओत-प्रोत कविताओं से श्रोताओं के हृदय में देशभक्ति हिलोरे मार रही थी. मुमताज नसीम ने अपनी गजलों, कविताओं और गीतों से समां बांध दिया. उन्होंने सरस्वती वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत की. कवि प्रताप फौजदार की हास्य रस में डूबी फूलझड़ियों से विद्या मंदिर प्रांगण ठहाकों से गूंजने लगा था. जहां उन्हें राजनेताओं को हंसी के रंगों में भिगोने से गुरेज नहीं था, वहीं खुद पर भी हंस लेने की कला भी उन्हें खूब आती थी. इसके बाद बारी आयी लाफ्टर चैलेंज और टीवी धारावाहिकों से घर-घर पहचा बनानेवाले एहसान कुरैशी की.


जिन्होंने अपने चिरपरिचित अंदाज में बातों को लंबा खींचते हुए अपने चुटकुलों में एक नयी जान डाल दी थी. हालांकि देशप्रेम से भरी उनकी पंक्तियों ने एक नये एहसान कुरैशी से लोगों का परिचय कराया. हास्य कवि सम्मेलन को संचालित करनेवाले डॉ राहुल अवस्थी ने बड़े प्रभावी तरीके से कार्यक्रम का संचालन करते हुए अपनी कविता के हुनर को भी प्रदर्शित किया. राष्ट्रवाद से भरी उनकी कविताओं ने दर्शकों को अपने साथ जोड़ लिया था. कार्यक्रम का संचालन महावीर प्रसाद रावत ने किया.


मुमताज नसीम ने गीतों से बांधा समां
हास्य कवि सम्मेलनों में कवयित्रियों को कई बार दूसरे कवि निशाने पर रखते दिखायी देते हैं और बड़े नामों के आगे वह छिप सी जाती हैं, लेकिन प्रभात खबर की ओर से आयोजित हास्य कवि सम्मेलन में मुमताज नसीम, इसकी अपवाद हैं. अलीगढ़ से आयीं मुमताज नसीम का परिचय, संचालक डॉ राहुल अवस्थी ने ‘ताले की नगरी से आयीं’ कहकर किया. उनके एयरपोर्ट से सीधे कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने को उन्होंने, ‘एयरपोर्ट से आयी नहीं बल्कि स्ट्राइक किया है’ करार दिया. मुमताज नसीम ने कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से की. इसके बाद शुरू हुआ उनकी प्रेम रस में भींगी कविताओं का दौर. उसकी एक बानगी - ‘प्यार की खुशबुओं के समंदर में, मुस्कुराता हुआ शोख मंजर हूं मैं, जानती हूं कि तू मेरी तकदीर है, मान भी जा कि तेरा मुकद्दर हूं मैं’ मुमताज नसीम ने एक के बाद एक गजल, शायरी और गीतों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया. उनकी कविताओं में जहां शोखी थी, वहीं चंचलता, विरह और प्यार की भावना भी झलक रही थी.


राष्ट्रभक्ति में सराबोर किया राहुल ने
हास्य कवि सम्मेलनों में संचालकों का काम कई बार कठिन भी हो जाता है. विशेषकर अगर सम्मेलन में कई बड़े नाम हों. उनको अपने विशिष्ट अंदाज में संभालने के अलावा बीच-बीच में अपनी कला से परिचित कराने की भी जिम्मेदारी रहती है. इसके बाद वक्त होता है कार्यक्रम के समापन का. जिसे अगर खास जोशो-खरोश के साथ संपन्न नहीं किया गया तो पहले के सारे किये-कराये पर पानी फिरने का खतरा रहता है, लेकिन डॉ राहुल अवस्थी न केवल एक शानदार संचालक के तौर पर नजर आये बल्कि कार्यक्रम के आखिरी धमाकेदार परफॉर्मेंस से उन्होंने सभी का दिल जीत लिया. उनकी एक पेशकश :
‘किसी की ढाल का जादू, किसी की चाल का जादू, न तो मधुमास का जादू, न सोलह साल का जादू, हमारे दिल पे केवल दो ही जादू चल सकते, मां के लाल का जादू और बंगाल का जादू ’ उन्होंने कहा : ‘वीर हारते नहीं, वैैरियों के फायर से, किसी गोरी या गोरे से नहीं, हम जयचंदों जाफरों से हार जाते हैं’


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