लोकसभा चुनाव 2019 : महासमर में महारथियों की अग्निपरीक्षा 

पटना


लोकतंत्र का महासमर शुरू हो गया है. चुनावी जंग में उतरने वाले महारथियों की अग्निपरीक्षा होगी. सत्ता के दो प्रमुख दावेदार एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधी टक्कर होने वाली है. एनडीए विकास को अपना मुद्दा बनायेगा. वहीं, कांग्रेस और राजद का महागठबंधन भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमलावर होगा. बिहार में विपक्ष के निशाने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी होंगे. अधिक-से-अधिक वोट हासिल करने के लिए दोनों ही गठबंधनों में सामाजिक गोलबंदी का प्रयास चरम पर है. एनडीए केंद्र और राज्य सरकार के काम को आधार मान कर चुनाव मैदान में जाने की तैयारी में है. साथ ही एनडीए को सवर्ण मतदाताओं के अलावा दलित, अति पिछड़ी और पिछड़ी जाति के मतदाताओं पर भरोसा है.
इसके मुकाबले महागठबंधन राजद के माय समीकरण और कांग्रेस के सवर्ण वोटरों के अलावा मल्लाह, कैवट और गंगोता जैसी प्रमुख अति पिछड़ी जातियों को अपने पक्ष में गोलबंद मान रहा है. राजनीतिक समीक्षक मानते हैं कि चुनाव में उसी उम्मीदवार की जीत पक्की होगी, जिसे पक्ष में अधिक सामाजिक गोलबंदी होगी.
इस बार जदयू एनडीए का हिस्सा
पिछली बार की तुलना में इस बार प्रदेश की राजनीतिक फिजा भी बदली हुई है. 2014 के लोकसभा चुनाव में जदयू को महज दो सीटें नालंदा और पूर्णिया पर संतोष करना पड़ा था. इस बार एनडीए में मजबूती के साथ खड़े जदयू को भाजपा की बराबर की हैसियत में 17 सीटें मिली हैं. एनडीए में मौसम वैज्ञानिक के रूप में राजनीतिक हलकों में पहचाने जाने वाले लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान भी डटे हैं.
एनडीए से इतर इस बार कुशवाहा बिरादरी को अपने साध साधने की कोशिश करने वाले उपेंद्र कुशवाहा महागठबंधन के साथ हैं. पूर्व सीएम जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा, शरद यादव की पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल, मुकेश सहनी की वीआइपी महागठबंधन में हैं.


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