मां का मशवरा

जेन कहानियां
तोकुगावा युग में जेन साधक जिडन एक जाना माना संस्कृत विद्वान था। युवावस्था से ही वह अपने सहपाठियों को पढ़ाने लगा था।


जिडन की मां ने बेटे की प्रसिद्धि सुन कर उसे पत्र लिखा।


‘बेटे, दूसरों की सुविधा के लिए एक चलता-फिरता ज्ञानकोष बनने की तुम्हारी इच्छा पूरी हो जाने से तुम बुद्ध के भी सच्चे अनुयायी बन गए हो, ऐसा मत सोचना।


जानकारी और विचार विमर्श का, सफलता और प्रतिष्ठा का कोई अंत नहीं होता। मेरी कामना है कि एक दिन तुम अपनी इस भाषणबाजी को विराम दे दो और दूरस्थ पहाड़ी इलाके के किसी छोटे से आश्रम में चुपचाप जा बैठो।


अपना सारा समय ध्यान को समर्पित कर दो और इसी मार्ग पर चलते हुए सत्य का साक्षात्कार करो।


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