लोकसभा चुनाव के बहिष्कार को लेकर प्रेरकों ने बी0 एस0 ए0 को सौंपा ज्ञापन


बकाया मानदेय भुगतान को लेकर साल भर से कर रहे है सत्ताधारियों की परिक्रमा


जिले में 1908 प्रेरक, 16 ब्लाक समन्वयक तथा दो जिला समन्वयक थे कार्यरत


योजना बंद होने से निरक्षरों को साक्षर करने में लगे साक्षरता कर्मियों के बच्चों की बंद हुई पढाई


उन्नाव।


साक्षर भारत मिशन से जुडे समन्वयक व प्रेरकों ने आज लोक सभा चुनाव बहिष्कार को लेकर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी बी0 के शर्मा को ज्ञापन सौंपा। इस मौके पर जिला समन्वयक उमाकान्त मिश्र के अलावा ब्लाक समन्वयक कविता निगम, नेहा पाण्डेय, मीना कुमारी, रीतेश त्रिवेदी, विकास यादव, विकास कुमार, अजय कुमार, शिवशंकर यादव व जुहैर अहमद के अलावा प्रेरकों में महेश कुमार, रामकुमार, शिवशंकर लाल, विकास कुमार, राजेश कुमार, महेन्द्र, रीना देवी, सुनीता, शान्ती तथा राधा मौजूद रहे। मानदेय भुगतान न होने के अलावा योजना बन्द होने से आक्रोशित प्रेरकों ने कहा कि वह नाममात्र के मानदेय पर पिछले चार सालों से होने वाले चुनावों में मतदाता जागरूकता कार्यक्रम के साथ साथ जनपद में चिन्हित निरक्षरों को साक्षर बनाने वाले प्रेरकों व समन्वयकों का बकाया भुगतान करने के बजाय सत्ताधारियों ने बीती 31 मार्च 2018 में तानाशाही ढंग से साक्षर भारत मिशन को समाप्त कर दी जिससे योजना से जुडे प्रेरकों, ब्लाक समन्वयकों तथा जिला समन्वयकों बेरोजगार बन गये। इस अन्तराल में योजना का पुर्नसंचालन करने के साथ साथ बकाया भुगतान की मांग को लेकर योजना से जुडे कर्मी लखनऊ से लेकर दिल्ली तक धरना प्रदर्शन करते रहे लेकिन सत्ताधीशों ने उनकी एक नही सुनी। परिणामस्वरूप योजना बंद होने से असाक्षरों को साक्षर करने के काम में लगे अक्षर सैनिक अब अपने बच्चों को भी स्कूल नही भेज पा रहे हैं। जिससे नाराज और प्रभावित परिवार अब लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करेगें।


बताते चले प्रत्येंक गांव में योजना का कार्य कर रहे एक महिला और एक पुरूष ने घर घर सर्वे कर चिन्हित असाक्षरों को नाम लिखना सिखाने के साथ साथ सरकार द्वारा संचालित योजनाओं की ग्रामीणों को जानकारी देने का काम करते रहे जिसके तहत साक्षरता कर्मियों ने अपने कार्यकाल में सम्पन्न हुए चुनाव में मतदाताओं को चुनावी साक्षरता के अलावा, जनधन योजना के तहत वित्तीय साक्षरता और विधिक साक्षरता के साथ साथ स्वच्छता अभियान में भी अपना योगदान देने का काम किया। इतना सब होने के बावजूद जिम्मेदारों की लचर कार्यशैली के कारण व्यवस्था से जुडे प्रेरकों, ब्लाक समन्वयकों तथा जिला समन्वयकों को समय से मानदेय दिये जाने की जगह उन्हें महज आश्वासन ही मिलता रहा। अंत में 31 मार्च 2018 को निदेशक, साक्षर भारत मिशन उ0प्र0 लखनऊ द्वारा अग्रिम सूचना तक कार्यक्रम से जुडे कर्मियों के नवीनीकरण पर रोक लगा दी गई। तब से लेकर आज तक पूरा एक साल बीतने पर अभियान से जुडे कर्मियों के भविष्य को लेकर निर्णय करने के बजाय जिम्मेदारों द्वारा लगातार टरकाया जा रहा है जिससे व्यवस्था से जुडे कर्मियों का धैर्य अब जवाब दे रहा है। उल्लेखनीय हो कि जिले में साक्षर भारत मिशन से जुडे प्रेरको का लगभग 17 महीनों से प्रेरकों के साथ साथ ब्लाक समन्वयकों और जिला समन्वयकों का मानदेय अवशेष है।
याद दिला दें कि शासन के निर्देश पर जिला मुख्यालय पर मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में गठित टीम द्वारा डी0 सी0 और बी0 सी0 तथा ग्राम लोक शिक्षा समिति द्वारा प्रत्येक गांव में दो प्रेरकों (एक महिला और एक पुरूष) का चयन किया गया था। जिला बेसिक शिक्षाधिकारी के निर्देश पर वर्ष 2014 से लेकर कार्यक्रम की समाप्ति तक उनसे साक्षरता के साथ साथ वित्तीय, विधिक व चुनावी साक्षरता के अलावा स्वच्छ भारत मिशन तहत भी काम लिया गया। जिससे आहत प्रेरक व समन्वयकों के परिवार अब 29 अप्रैल को होने वाले चुनाव का बहिष्कार करेगें।


 


 


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