आर के सिंह ने सौर और पवन ऊर्जा क्षेत्र के लिए विवाद निपटारा प्रणाली को मंजूरी दी

नई दिल्ली।
केन्‍द्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा तथा कौशल विकास व उद्यमिता राज्‍य मंत्री श्री आर.के. सिंह ने सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं का क्रियान्‍वयन सुगम बनाने के लिए इस क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों और भारतीय सौर ऊर्जा निगम-एसईसीआई/एनटीपीसी के बीच अनपेक्षित विवादों को अनुबंध शर्तों से इतर निपटाने के वास्‍ते एक विवाद निपटारा समिति गठित करने के प्रस्‍ताव को मंजूरी दे दी है।


श्री सिंह ने इसके महत्‍व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस कदम से देश में सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं का काम और आसान हो जाएगा। विवाद निपटारा समिति‍ के गठन का रास्‍ता साफ हो जाने से अनपेक्षित विवादों को तेजी से निपटाने की सौर और पवन ऊर्जा उद्योग की अरसे से लंबित मांग पूरी हो रही है।


सौर और पवन ऊर्जा उद्यो‍ग अनपेक्षित विवादों को अनुबंध शर्ता से इतर तेजी से निपटारे के लिए पिछले कुछ समय से मंत्रालय से एक समिति के गठन की मांग कर रहा था। उनकी इन मांगों पर गंभीरता से विचार करने के बाद मंत्रालय ने इसके लिए एक निष्‍पक्ष और पारदर्शी प्रणाली विकसित करने की जरूरत महसूस की और इसके तहत ही विवाद निपटारा समिति के गठन को मंजूरी दी।


सरकार ने सबंधित मुद्दों की बारीकी से जांच के बाद निम्‍नलिखत फैसले लिए :


नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री के अनुमोदन से एक तीन सदस्‍यीय विवाद निपटारा समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें ऐसे व्‍यक्ति शामिल होंगे जिनकी सत्‍यनिष्‍ठा और ईमानदारी सवालों से परे होगी। समिति के सदस्‍यों की अधिकतम आयु सीमा 70 वर्ष होगी। इनका चयन दिल्‍ली और राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र से किया जाएगा ताकि इनके लिए हवाई यात्राओं और होटलों में रहने पर होने वाले खर्च न करने पडें। सदस्‍यों की चयन प्रक्रिया ऐसी होगी जिसमें किसी भी तरह के हितों का टकराव न हो ।
विवाद निपटारा समिति की व्‍यवस्‍था एसईसीआई/एनटीपीसी के जरिए या उनके द्वारा क्रियान्वित सभी तरह की सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं,कार्यक्रमों और योजनाओं पर लागू होगी।
विवाद निपटारा समिति निम्‍नलिखित प्रकार के मामलों को देखेगी :
अनुबंध की शर्तों के आधार पर समय विस्तार के अनुरोध पर एसईसीआई द्वारा दिए गए निर्णयों के खिलाफ अपील के सभी मामले: बाढ़,भूकंप जैसी सर्वमान्‍य अप्रत्‍याशित घटनाओं के कारण सौर पार्क डेवलपरों द्वारा भूमि सौंपने तथा कनेक्टिविटी आदि में होने वाली देरी के कारण समय सीमा बढाए जाने के सभी अनुरोधों का निपटान अनुबंध की शर्तों के कड़े अनुपालन के साथ किया जाएगा। ऐसे सभी मामलों में सौर ऊर्जा/पवन ऊर्जा डेवलपरों को अनुबंध में निर्धारित समय सीमा के अनुरूप समय विस्‍तार के लिए आवेदन करना होगा। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो ऐसे आवेदनों को एसईसीआई/एनटीपीसी द्वारा अस्‍वीकार कर दिया जाएगा। यदि आवेदन निर्धारित समयसीमा में किया जाता है, तो ऐसे आवेदनों की जांच की जाएगी और इस पर निर्णय आवेदन की तारीख से 21 दिन के भीतर सुना दिया जाएगा। दो या उससे अधिक कारणों के लिए अलग-अलग समय सीमा विस्‍तार की अनुमति नहीं दी जाएगी। यदि डेवलपर एसईसीआई/एनटीपीसी के निर्णय से संतुष्‍ट नहीं होते हैं, तो वे 21 दिनों के भीतर विवाद निपटारा समिति के समक्ष उसके द्वारा निर्धारित शुल्‍क अदा कर अपील कर सकते हैं। यह शुल्‍क किसी भी सूरत में एसईसीआई/एनटीपीसी के फैसले से पड़ने वाले प्रभाव के 5 प्रतिशत से कम नहीं होना चाहिए। यह शुल्‍क एसईसीआई/एनटीपीसी द्वारा संबंधित परियोजनाओं के लिए बनाये गये सुरक्षा कोष में जमा करना होगा। यदि सरकार निपटारा समिति के सुझावों को मानते हुए एसईसीआई के आदेश को खारिज कर देती है, तो ऐसी स्थिति में आवेदनकर्ता को यह शुल्‍क वापस कर दिया जाएगा। लेकिन इसके लिए विवाद निपटारा समिति की सिफारिश जरूरी होगी और केन्‍द्र सरकार की ओर से इस संबंध में आदेश पारित किया जाना होगा। यदि शुल्‍क वापस नहीं किया जाना है, तो इसे एसईसीआई/एनटीपीसी के सुरक्षा कोष में जमा कर दिया जाएगा।
अनुबंध के दायरे में नहीं आने वाले समय सीमा बढ़ाये जाने के आवेदन:
अप्रत्याशित मुद्दों/परिस्थितियों से जुड़े ऐसे सभी मामले, जो अनुबंध समझौते के दायरे में नहीं आते। इनमें डेवलपर द्वारा खरीदी जाने वाली जमीन, लेकिन सरकार द्वारा नीति या पंजीकरण प्रक्रिया में बदलाव के कारण भूमि आवंटन में हो रही देरी, अदालत द्वारा रोक लगाये जाने के कारण प्रस्तावित कनेक्टिविटी के अनुदान में देरी आदि शामिल हैं। इन्‍हें डीआरसी के समक्ष विचार के लिए रखा जाएगा, जो आगे मंत्रालय को इस संबंध में अपने सुझाव भेजेगी।
विवाद निपटारा समिति उसके पास भेजे गये सभी मामलों की जांच करेगी। इनमें वे मामले भी होंगे, जिसमें डेवलर एसईसीआई/एनटीपीसी के फैसले से संतुष्‍ट नहीं होंगे।
'विवाद निपटारा समिति' की सिफारिशों और उस पर मंत्रालय की राय को 21 दिनों के भीतर नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री के समक्ष अंतिम निर्णय के लिए रखा जाएगा।
कोई भी निर्णय लेने के लिए विवाद निपटारा समिति संबंधित पक्षों के साथ विस्‍तार से चर्चा करने और उनकी दलीलें रिकॉर्ड करने के लिए स्‍वतंत्र है। समिति के समक्ष कोई भी मामला किसी अधिवक्‍ता के जरिये पेश करने की अनुमति नहीं है।


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