अब ठेके-बटाई पर चलाओं कांग्रेस पार्टी
नरेन्द्र सिंह राणा
भारत के कृषि क्षेत्र में एक चलन है अपनी भूमि को ठेके पर देना या बटाई पर देना। भूमि के मालिक को जमीन के बदले रूपया या अनाज घर बैठे मिल जाता है जो जीमन को ठके या बटाई पर लेता है सारा काम जुताई-बुआई कटाई अपने खर्चे पर करनी होती है। प्राकृतिक आपदायें-ओला वृष्टि, बारिश कम या अधिक होना, फसल को तमाम बिमारियों से बचाना, समय पर खाद डालना तथा नियमित देखभाल करना आदि सब किसान को करना है।इतनी जदोजहद के बाद उस किसान को फसल की अच्छी मात्रा में पैदावार होना तथा बाजार में सही मूल्य मिलने की चुनौती से भी दो-चार होना पड़ता है। उससे जो बचत होती है उस पर उसे पूरे परिवार की देखभाल करनी होती है। राजनीति की फसल उगाना भी इससे कम नहीं होता है। अब राहुल गांधी यही चाहते है तो इसमें क्या गलत है कांग्रेसी करे खेती और उनको दे बदले में रकम या बटाई। इतनी सी बात कांग्रेसी नेता तो समझ गए है लेकिन कार्यकर्ता नहीं समझ पा रहे हैं। टाईमपास भी हो जाएगा और बदले में रकम या बटाई भी मिलती रहेगी। अत राहुल गांधी का निर्णय वर्तमान परिस्थितियों में स्वयं के लिए सही है परन्तु कांग्रेसी नेताओं व कार्यकर्ताओं के लिए अंधेरी गुफा में प्रवेश करने जैसा है। राहुल गांधी पार्टी को मझधार में छोड़कर निकल लेना चाहते है।
इस समय राहुल गांधी को किसी ने अवश्य ही रहिमदास का यह दौहा सुनाया है'' रहिमन चुप बैठिये देख दिनन की खैर-नीके दिन जब आयेगें बनत न लागे देर'' यानि जब समय अच्छा नही चल रहा हो तो चुप मारकर बैठना ही ठीक होता है और सही समय आने का इंतजार करना चाहिए। रहिमदास जी ने कैसी भाषा बोलनी चाहिए इस पर भी दौह में कहा है'' ऐसी बाणी बोलिए मन का आपा खोय- औरन को शीतल करें आपहु शीतल होय'' राहुल गांधी अपनी वाणी के दुरूपयोग के कारण अभी तीन दिन में 2 बार अदालत में हाजिर हो चुके है। वाणी के पीड़ादायक इस्तेमाल के कारण राहुल को अदालतों के चकक्र कांटने पड़ रहे है। आर.एस.एस. पर गलत टिप्पणी करना तथा भारत के लगातार दूसरी बार भारी जनसमर्थन प्राप्त कर प्रधानमंत्री बने नरेन्द्र भाई मोदी पर गैरजरूरी टिप्पणी करना। जमानत पर जेल जाने से बच सके है राहुल गांधी। आगे मामलों की सुनावाई जारी है। अब जब 5 वर्ष यानि 2024 तक सत्ता नरेन्द्र भाई के पास ही रहेगी तो राहुल गांधी ने निर्णय कर लिया कि वे कांग्रेस के अध्यक्ष भी नहीं रहेगें। उन्होंने इस्तीफा भी दे दिया। अब 5 जुलाई को अपनी मां के साथ अमेरिका जा रहे है। बहन प्रियंका वाड्रा विदेश गई है उनके पतिदेव राबट्र बाड्रा भी इलाज लिए देश से बाहर गए है। कुल मिलाकर पूरा वर्तमान गांधी परिवार विदेश जा रहा है। देश की संसद चल रही है कुछ महिनों के अंदर ही 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव भी होने है ऐसे में पार्टी को उसी के हाल पर छोड़ देना कितना उचित है यह यक्ष प्रश्न है। इस यक्ष प्रश्न का उत्तर उन्होंने यह कहकर दे दिया कि मैं तथा मेरा परिवार अध्यक्ष के चुनाव में शामिल ही नहीं होगा। कांग्रेस की सी.डब्ल.ूसी. जाने क्या करना है। नए अध्यक्ष की जिम्मेदारी लेने को कोई मन से तैयार नहीं है। सभी जानते है कि गांधी परिवार से इत्तर किसी भी अध्यक्ष की गति, सीमा तथा हैसियत् क्या होती है पहले क्या हुई है। वक्त भी ऐसा है कि जब राहुल गांधी ही संघर्ष से भाग रहे है तो अन्य कोई क्या उखाड़ पाएगा। खैर राहुल ने साफ साफ कह दिया है कि सत्ता का मजा सबने लिया है अतः जिम्मेदारी भी सभी की है। वह अब बिना जवाबदेही के आनंद लेंगे। गांधी परिवार को इसका अनुभव भी है। यूपीए की 2004 से 2014 तक की दोनों सरकारों में बिना जवाबदेही के इस परिवार ने सत्ता का खूब मजा लिया। गेंद मनमोहन सिह के पाले में डाल देश-विदेश में मौज की। 10 वर्ष तक राहुल गांधी जी कहां जाते थे, कब जाते थे, कब आते थे, इसका उत्तर किसी कांग्रेसी के पास नहीं रहता था। तत्कालिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी भीगी बिल्ली की तरह ही नजर आये। मनमोहन सिंह अमेरिका के दौरे पर थे वहां के राष्ट्रपति से मिलने जा रहे थे उसी समय उनकी हैसियत राहुल गांधी ने उनकी कैबिनेट के प्रेसनोट को मीडिया की मौजूदगी में फाड़ कर बता डाली थी। मनमोहन सिंह से जब भी मीडिया ने कोई सवाल पूछा वो तपाक से हर अच्छे कार्य का श्रेय राहुल को ही देते थे। यद्धपि उनका तथाकथित अच्छा कार्य देश की जनता की आंखों में धूल झोंकने वाला ही सिद्ध हुआ। महंगाई अपनी चरम सीमा पर पहुंच गई थी। रोज आंतकवादी विस्फोट कर निर्दोष लोंगो को मार रहे थे। पाकिस्तानी सेना के जवान हमारे सैनिको के सिर काटकर ले गए थे। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ मनमोहन सिंह का मजाक उड़ाते थे उनकों गांव की बूढिया जैसा बताते थे। भारत के प्रधानमंत्री का यह हाल था तब। अब गांधी परिवार बनने वाले अध्यक्ष की खाट खड़ी नहीं करेगा इस बात की कोई गारण्टी कांग्रेस पार्टी के पास नहीं है। अपनी फजीहत कराने को, बलि का बकरा बनना कौन पंसद करेगा यह देखने वाली बात है बनना तो पडेगा ही वह भी मात्र टाइम्सपास क्योंकि जैसे ही कांग्रेस का थोड़ा सा भी उत्थान हुआ या भविष्य अच्छा दिखने लगा उस अध्यक्ष की कुर्सी चली जाएगी। राहुल गांधी के इशारे पर कांग्रेस का कोई भी नेता या कार्यकर्ता कभी भी होने वाले अध्यक्ष को उसकी हैसियत दिखाने में देर नहीं करेगा। गांधी परिवार शुद्धरूप से सामंती सोच वाल व्यवहार ही करता आया है। कभी भी लोकत्रात्रिक हुआ ही नही यही कारण है कि अब तक गांधी परिवार से इत्तर जितने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हुए उनको कोई जानता तक नही है। उनका नाम इस लेख में लिखना चाहूंगा ताकि उकना नाम तो जाने हम देशवासी! कहने को तो अब तक देश की आजादी के बाद 12 राष्ट्रीय अध्यक्ष गांधी परिवार से इत्तर जरूर हुए हैं। (1) जे.बी. कृपलानी (मेरठ-यूपी) (2) पद्धभि सीतारमैया (जयपुर-राजस्थान) (3) पुरूषोत्तम दास टण्डन (नासिक-महाराष्ट्र) (4) उच्छांगराय नवलशंकर ढेबर (अमृतसर-पंजाब) (5) नीलम संजीव रेड्डी (बैगंलरू-कर्नाटक), (6) के. कामराज (भुवनेश्वर-उड़ीसा), (7) एस. निजलिप्ता (हैदराबाद-आन्ध्रप्रदेश), (8) जगजीवनराम (मुम्बई-महाराष्ट्र), (9) शंकरदयाल शर्मा (कलकत्ता-पश्चिम बंगाल), (10) देवकान्त बरूआ (चण्डीगढ), (11) पीवी नरसिम्बा राव (त्रिरूपति-आन्ध्रप्रदेश), (12) सीताराम केसरी (कलकत्ता-पश्चिमबंगाल)जगजीवन राम और नीलम सजीव रैडी तो अलग पार्टी ही अपनी बन लिए थे। सीताराम केसरी को बेइज्जत कर कांग्रेस कार्यालय से बाहर किया गया था। पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव से नाराजगी इस हद तक गांधी परिवार ने दिखाई कि उनका अन्तिम संस्कार तक नई दिल्ली में नहीं होने दिया। बात इतनी सी है कि संजय गांधी जो स्व. इन्दिरागांधी के बेटे थे उनकी चप्पल तक एक तत्कालिन मुख्यमंत्री को उठानी पड़ी थी। अब इस व्यवहार में तो कोई बदलाव आने से रहा। एक और नए बनने वाले राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए कांग्रेस ने खोज शुरू कर दी है जल्द ही वह बन भी जाएगा। उसका कार्यकाल 2023 तक तो रहेगा 2024 में क्योंकि लोकसभा के आम चुनाव होंगे तब यह जिम्मेदारी बदली जाएगी इस सम्भवना से कोई इन्कार नही कर सकता है। असली और नकली का फर्क साफ साफ दिखाई देता है गांधी परिवार व अन्य कांग्रेस अध्यक्ष तथा किसी पूर्व प्रधानमंत्री तक में जिसे अब तक गांधी परिवार ने बनाया है। एक बात साफ साफ जान लेनी चाहिए राहुल गांधी को कि अब नाना-दादी व पिता के नाम पर कुछ नही काट पाओगे। आज जो हाल पार्टी के रहे है आने वाले समय में और खराब ही होंगे। गुजरात व कर्नाटक में पार्टी विधायक दल छोड रहे है। मध्य प्रदेश में भी चुनौती बनी हुई है राजस्थान में गहलोत और पायलट टकरा रहे है। राहुल गांधी परिवार सहित विदेश जा रहे है।