खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में अधिक से अधिक निवेश करें उद्यमी : उप मुख्यमंत्री


लखनऊ।


उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने निवेशको व उद्यमियो का आह्वान किया है कि वह उ0प्र0 मे ज्यादा से ज्यादा निवेश खाद्य एवं प्रसंस्करण के क्षेत्र  मे करें। उद्यमियो को सड़क, बिजली, पानी, की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित कराने के साथ-साथ उनकी सुरक्षा व संरक्षण का भी विशेष ध्यान  रखा जाएगा। 
मौर्य आज यहां प्रदेश मे औद्योगिक निवेश के दूसरे चरण के दौरान इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान के प्लूटो हाल मे आयोजित खाद्य प्रसंस्करण कार्यशाला को बतौर मुख्य अतिथि के रूप संबोधित कर रहे थे। उन्होने कहा कि रोजगार व व्यापार की सबसे  ज्यादा सम्भावनाएं खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र मे हैं। फूड प्रोसेसिंग को बढ़ावा देने से उ0प्र0 के लोगों का पलायन रूकेगा। उन्होंने कहा कि निवेश मित्रो के माध्यम से  सरकार उद्यमियो को हर तरह की समस्या का निवारण करा रही है। उन्होने  कहा कि उद्यमियो की सभी सम्भव अपेक्षाये पूरी करने का प्रयास किया जायेगा। देश व प्रदेश की अर्थव्यवस्था  को मजबूत करने के हर सम्भव प्रयास सरकार  द्वारा  किये जा रहे हैं। श्री मौर्य उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए अनेक उल्लेखनीय कार्य कर रही है। खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में अपार सम्भावनाओं के दृष्टिगत सरकार द्वारा कई महत्वाकांक्षी जनोपयोगी योजनाएं संचालित की जा रही हैं।
प्रमुख सचिव उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण सुधीर गर्ग ने बताया कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 23 जुलाई, 2019 को उप मुख्यमंत्री, श्री केशव प्रसाद मौर्य जी के प्रयास से मा0 मुख्यमन्त्री जी के नेतृत्व में प्रदेश के मंत्री परिषद द्वारा निजी क्षेत्र से अधिक से अधिक निवेश आकर्षित करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2017 में संशोधन किया गया है। उन्होंने बताया संशोधन के अनुसार खाद्य प्रसंस्करण उद्योग स्थापित करने वाली इकाईयों को पांच वर्ष की मण्डी शुल्क की छूट की सीमा को बढ़ाकर दस वर्ष किया गया है। मण्डी शुल्क की पांच वर्ष छूट की सीमा के पश्चात आगामी पांच वर्ष के लिए उत्तर प्रदेश औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2017 के प्रस्तर-5.3 (डी.)के अन्तर्गत एस0जी0एस0टी0 के लिए प्रतिपूर्ति की निर्धारित सीमा एवं व्यवस्था के अनुसार योजनान्तर्गत अनुमन्य वर्ष में मण्डी शुल्क एवं एस0जी0एस0टी0 के रूप में जमा की गयी धनराशि आगामी पांच वर्ष तक प्रतिपूर्ति की जायेगी। 
श्री गर्ग ने बताया कि उ0प्र0 खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2017 के अन्तर्गत आनलाइन आवेदन प्राप्त करने हेतु दिनांक 27.01.2018 को वेब पोर्टल का लोकार्पण उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य जी द्वारा किया गया। वेब पोर्टल पर दिनांक 27.07.2019 तक 242 आनलाईन आवेदन पंजीकृत हुए हैं, जिनमें 1240 करोड़ का पूंजी निवेश एवं 20838 प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार सृजन की सम्भावना है। 242 आवेदनों में से पूंजीगत उपादान के 130, पूंजीगत उपादान (पी0एम0एस0एस0वाई0) के 18 ब्याज उपादान के 82, रीफर व्हीकिल के 07, बाजार विकास के 01 तथा बैंकेबुल प्रोजेक्ट के 4 आवेदन सम्बंधित हैं।
उन्होंने बताया कि आनलाईन वेब पोर्टल पर प्राप्त आवेदनों को राज्य सरकार की राज्य स्तरीय इम्पावर्ड समिति (एस0एल0ई0सी0) द्वारा स्वीकृति प्रदान की जाती है। अब तक एस0एल0ई0सी0 की चार बैठकें हो चुकी हैं। प्रथम बैठक दिनांक 17.10.2018 में 11 परियोजनाएं (रू0 34 करोड़), द्वितीय बैठक दिनांक 16.01.2019 में 27 परियोजनाएं (रू0 60 करोड़) तृतीय बैठक दिनांक 26.02.2019 में 14 परियोजनाएं (रू0 64.13 करोड़) तथा चतुर्थ बैठक दिनांक 23.07.2019 को 45 परियोजनाओं (रू0 218 करोड़) को स्वीकृत किया गया है। ‬
कार्यशाला में प्रमुख सचिव उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण सुधीर गर्ग, निदेशक उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण एस0वी0 शर्मा, प्रेसीडेन्ट पेप्सीको इन्डिया होल्डिंग, अहमद शेख, मैनेजिंग डायरेक्टर सीपी मिल्क एण्ड फूड प्रोडेक्ट प्रा0 लि0,जय कुमार जायसवाल, वाइस प्रेसीडेन्ट रीनैक इण्डिया लि0, निर्दोष शर्मा, एमडी नन्दनवन मेगा फूड पार्क  प्रा0लि0, अम्बुज चतुर्वेदी, चीफ जनरल  मैनेजर नाबार्ड, शंकर ए पाण्डेय आदि लोगो ने अपने विचार व्यक्त किए।
ज्ञातव्य है कि ग्राउण्ड ब्रेकिंग सेरिमनी में सबसे ज्यादा संख्या में परियोजना खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र से हैं, जो स्वयं में स्पष्ट करता है कि प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग स्थापित करने की प्रबल सम्भावना विद्यमान है। ग्राउण्ड ब्रेकिंग सेरिमनी-1 में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की 14 परियोजनायें जिनमें लगभग 3550 करोड़ का पूंजी निवेश प्रस्तावित था, वर्तमान में या तो वांणिज्यिक उत्पादन में हैं अथवा शीघ्र ही वांणिज्यिक उत्पादन में आने वाले हैं। ग्राउण्ड ब्रेकिंग के द्वितीय चरण में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग स्थापना के 41 परियोजनायें हैं, जिनमें 3064.55करोड़ का पूंजी निवेश प्रस्तावित है। 18 परियोजनायें लगभग 2000 करोड़ का पूंजी निवेश है, वह चीनी मिल, दुग्ध तथा एग्रो प्रोसेसिंग क्रिया से सम्बन्धित है। द्वितीय चरण में सम्मिलित अधिकांश इकाईयां या तो उत्पादन शुरू कर चुकी है या शीघ्र ही वांणिज्यिक उत्पादन में आने वाली हैं। इन इकाईयों के माध्यम से प्रदेश में फल सब्जी, खाद्यान्न, तिलहन एवं दलहन से जुड़े विविध उत्पादों का निर्माण किया जायेगा। यह इकाईयां प्रदेश के पश्चिमी भू-भाग, मध्य भू-भाग, पूर्वांचल एवं बुन्देलखण्ड सभी क्षेत्र में स्थापित हो रही है। इससे प्रदेश में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर स्थानीय स्तर पर उपलब्ध हो सकेगें।


 


Popular posts from this blog

भारत विदेश नीति के कारण वैश्विक शक्ति बनेगा।

स्वरोजगारपरक योजनाओं के अंतर्गत ऑनलाइन ऋण वितरण मेले का किया गया आयोजन

अपनी दाढ़ी का रखें ख्याल, दिखेंगे बेहद हैंडसम