रंगी सब्जियों के खिलाफ विशेष अभियान 31 जुलाई से

लखनऊ।


मौसम के दृष्टिगत उपभोग की जाने वाली सब्जियों में अत्यधिक कीटनाशकों व खनिज तेलों के प्रयोग से उन्हें चमकाने एवं कृत्रिम रूप से रंगे जाने की सम्भावना बढ़ जाती है। इसमें कुछ प्रकरणों में हैवी मेटल तथा पेस्टीसाइड होने की भी सम्भावना होती है। अतः इसकी रोकथाम के दृष्टिगत डा0 अनिता भटनागर जैन, अपर मुख्य सचिव, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग, के निर्देशानुसार 31 जुलाई से 07 अगस्त तक प्रदेश के समस्त जनपदों में विशेष अभियान चलाये जाने का निर्णय लिया गया है।
इस अभियान के अन्तर्गत ऑफ सीजन की सब्जियों विशेषकर धनिया, मेथी, पालक, पत्तागोभी, परवल, ब्रोकली, हरी मटर, करेला, तोरई एवं बैगन तथा अन्य पत्तेदार सब्जियों को कृत्रिम रूप से रंगे जाने की रोकथाम हेतु मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी के नेतृत्व में खाद्य सुरक्षा अधिकारियों का दल गठित कर 31 जुलाई से विशेष अभियान चलाकर प्रभावी प्रवर्तन कार्यवाही कराते हुये कृत कार्यवाही की सूचना निर्धारित प्रारूप पर प्रतिदिन सांय 05 बजे तक मण्डलीय कार्यालय में संकलित की जायेगी व तत्पश्चात् उक्त दिनांक को ही शासन को उपलब्ध करायी जायेगी। प्रतिदिन लिये गये सैम्पलों को गुप्त रूप से आवंटित कर प्रदेश की 6 प्रयोगशालाओं (मेरठ, आगरा, वाराणसी, झांसी, गोरखपुर, लखनऊ) में विश्लेषित किया जायेगा। उक्त कार्यवाही के अन्तर्गत सैम्पलों के प्रयोगशालाओं के द्वारा विश्लेषण के उपरान्त अग्रिम कार्यवाही की जायेगी जो सैम्पल असुरक्षित पाये जायेंगे उनके सम्बन्ध में खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम की धारा 59 (1) अन्तर्गत कार्यवाही की जायेगी, जिसमें कारावास व जुर्माने की सजा का प्राविधान है।
सब्जियों में हरे रंग हेतु जो डंसंबीपजम केमिकल प्रयोग किया जाता है उससे थायराइड, किडनी तथा पाचनतंत्र सम्बन्धी कई बीमारियों की सम्भावना हो सकती है। इसके अतिरिक्त इन्हें चमकदार बनाने में जो मिनरल ऑयल प्रयोग किया जाता है वह भी पूर्णतया असुरक्षित होता है जिससे पाचनतंत्र सम्बन्धी अनेक बीमारियों के होने की आशंका बलवती होती है।
हरी सब्जियों में जो कृत्रिम डंसंबीपजम हतममद बीमउपबंस पाया जाता है उसे जन-सामान्य के द्वारा भी टेस्ट किया जा सकता है। रूई को पानी अथवा खाद्य तेल में भिगोकर यदि हरी मिर्च के बाहरी हिस्से को रगडा़ जाये तो यदि उसमें हरा रंग है तो वह रूई में दिखायी पड़ता है। इसी प्रकार रंगी हुयी हरी मटर को गीले ब्लाटिंग पेपर पर रखने पर उक्त कृत्रिम रंग दिखायी पड़ता है। हरी मटर को शीशे के ग्लास में पानी में भरकर आधा घण्टे रख देने पर उक्त रंग की पहचान की जा सकती है। परवल के डंढल वाले बिन्दु पर ध्यान से देखने पर जमा रंग स्पष्ट दिखायी देता है।


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