"गुमशुदा बच्‍चों और मानव तस्‍करी के शिकार बने लोगों को उनके परिजनों से मिलाने में प्रौद्योगिकी की भूमिका" पर कार्यशाला 



गृह मंत्रालय के राष्‍ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्‍यूरो (एनसीआरबी) और इं‍डियन पुलिस फाउंडेशन की ओर से 5 अगस्‍त, 2019 को नई दिल्‍ली के एनसीआरबी सभागार में ''गुमशुदा बच्चों  और मानव तस्करी के शिकार बने लोगों को उनके परिजनों से मिलाने में प्रौद्योगिकी की भूमिका'' पर एक दिन की कार्यशाला आयोजित की गई। प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग के सचिव श्री के.वी. ईपन ने कार्यशाला का उद्घाटन किया। उन्‍होंने विश्‍वभर में पुलिस द्वारा बायोमेट्रिक प्रणाली के अधिकाधिक इस्‍तेमाल के बारे में चर्चा की और पुलिस द्वारा जांच में उन्‍नत प्रौद्योगिकीयों का इस्‍तेमाल बढ़ाने पर जोर दिया। आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर निश्चल वर्मा ने मुख्य भाषण दिया, जो  बायोमेट्रिक , आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड मशीन लर्निंग के क्षेत्र में एक प्रख्‍यात हस्‍ती हैं।


कार्यशाला में व्यक्तियों की पहचान के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा बॉयोमेट्रिक्स के इस्‍तेमाल पर विचार-विमर्श किया गया। कानून प्रवर्तन में बॉयोमेट्रिक प्रणाली का इस्‍तेमाल कोई नया प्रचलन नहीं है। परन्‍तु पहले यह प्रौद्योगिकीय तौर पर वर्तमान दिनों की तरह उन्नत नहीं थी। कंप्यूटिंग और इलेक्ट्रॉनिक्स के उत्‍थान से बायोमेट्रिक अनुप्रयोगों को तीव्र, अधिक सुरक्षित और सटीक बनने में बहुत मदद मिली है। बायोमेट्रिक  का इस्‍तेमाल आज की जटिल दुनिया में एक आवश्यकता बन गया है।


एनसीआरबी के संयुक्त निदेशक श्री विवेक गोगिया ने ब्यूरो की दूरदर्शिता और भविष्य की परियोजनाओं के बारे में चर्चा की और मुख्य अतिथि और प्रतिभागियों का स्वागत किया। अपने स्वागत भाषण में, उन्होंने सटीक पहचान और सबूतों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, जो आपराधिक गतिविधियों के अकाट्य प्रमाण साबित होते हैं। बायोमेट्रिक प्रणाली की शुरुआत के साथ  कानून प्रवर्तन एजेंसियों की दक्षता बहुत अधिक बढ़ गई है। कार्यशाला में इस बात पर जोर दिया गया कि बायोमेट्रिक प्रणाली के उपयोग के साथ, कानून प्रवर्तन एजेंसियां ​​बड़ी संख्या में गुमशुदा बच्चों और ऐसे व्यक्तियों का भी पता लगा सकती हैं, जो मानव तस्‍करी का शिकार बने हैं। इसी तरह, अज्ञात पाए गए व्यक्तियों और अज्ञात शवों का भी गुमशुदा व्यक्तियों और अज्ञात व्यक्तियों के मौजूदा रिकॉर्ड के साथ बायोमेट्रिक प्रणाली का उपयोग करके मिलान किया जा सकता है। एक बड़ी जनसंख्‍या में, यह सटीक तौर पर मिलान करने और लोगों को उनके  परिजनों के साथ फिर से मिलाने में मदद करने की एकमात्र प्रणाली है।


आईआईटी कानपुर के प्रो. विनय पी. नंबूदरी ने पहचान प्रमानन में उभरती प्रौद्योगिकियों के बारे में प्रथम विचारोत्‍तेजक सत्र की अध्‍यक्षता की।  रक्षा मंत्रालय में सलाहकार (साइबर) श्री अमित शर्मा, केरल के अमृता विश्वविद्यालय के प्रो. प्रबाहरण और ग्रेट लेक इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, गुरुग्राम के प्रो. बप्पादित्य पैनलिस्ट के तौर पर उपस्थित थे। उन्होंने विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए चेहरे की पहचान तकनीक के उपयोग पर प्रकाश डाला और पहचान सिद्ध करने में मददगार उपकरणों के महत्व पर बल दिया, जिससे अपराध की जांच और अपराधियों का पता लगाने में मदद मिलेगी और लापता बच्चों और तस्करी का शिकार बने व्यक्तियों को उनके परिजनों से मिलाने में आसानी होगी। दोपहर बाद के सत्र में, इंडियन पुलिस फाउंडेशन के अध्यक्ष और सीईओ, श्री रामचंद्रन की अध्यक्षता में पहचान प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगों पर आधारित अनुभवों पर चर्चा की गई। तेलंगाना के अपर पुलिस महानिदेशक  (टीएस) श्री रवि गुप्ता, आईआईआईटी दिल्ली के प्रो. पोन्नुरंगम कुमारगुरु  और सर्वोच्‍च न्‍यायालय के कानूनविद् श्री पवन दुग्गल पैनलिस्ट के रूप में उपस्थित थे।       


एनसीआरबी के संयुक्त निदेशक (सीसीटीएनएस) श्री संजय माथुर ने समापन भाषण में, एएफआरएस (ऑटोमैटिक फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम) को लागू करते समय सुरक्षा भंग, विश्वसनीयता और व्यक्तियों की निजता से संबंधित संदेह के बारे में चर्चा की। उन्होंने बताया कि एनसीआरबी का एएफआरएस सार्वजनिक डेटाबेस पर काम नहीं करेगा। इसका दायरा सीसीटीएनएस डेटाबेस का उपयोग करना है जो सार्वजनिक रूप में सुरक्षित और उपलब्ध नहीं है। जांच अधिकारी की सहायता के लिए एएफआरएस सीसीटीएनएस अनुप्रयोग के हिस्से के रूप में एक उपकरण होगा। वर्तमान में जांच अधिकारी मैन्युअल रूप से पुलिस थानों में बनाए गए फोटोग्राफों का मिलान करता है, जो पिछले मामलों में शामिल अपराधियों के एल्बम/डोजियर के रूप में जांच के तहत मामले में संदिग्धों/अभियुक्तों के साथ होते हैं। एएफआरएस इस मिलान प्रक्रिया को स्वचालित करता है और मिलान के लिए एक बड़ा सेट प्रदान करता है, क्योंकि इसे राज्य/राष्ट्रीय स्तर के सीसीटीएनएस/आईसीजेपी डेटाबेस पर चलाया जाएगा।



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