45 फीसदी बीमारियां का कारण आलस्य : प्रो. एमएलबी भटट्
लखनऊ।
किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कलाम सेंटर में इंस्टीट्यूट ऑफ पैरा मेडिकल साइंसेस एवं आरोग्य भारती, अवध प्रांत के संयुक्त तत्वावधान में 'स्वस्थ्य जीवनशैली' के विषय पर चौथे कन्टीन्यूइंग पैरा मेडिकल एजुकेशन का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 एमएलबी भटट् ने स्वस्थ्य जीवनशैली को जनआंदोलन के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर लाने की अपील करते हुए बताया कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार 45 फीसदी बीमारियां का कारण आलस्य है। उन्होंने कहा कि यदि भोजन को औषधि समझ कर ग्रहण किया जाए तो वह अमृत का काम करेगा। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि 60 फीसदी बीमारियां अनियमित जीवनशैली के कारण होती हैं।
कुलपति ने बताया कि 30 फीसदी लोगों को कैंसर तथा 30 फीसदी लोगों को हृदय से संबंधित रोग तंबाकू के सेवन के कारण होते हैं। उन्होंने कहा कि प्रकृति ने सभी को हवा, पानी, सूर्य की रोशनी तथा शुद्ध वायु मुफ्त में दी है लेकिन हम उसका प्रयोग सही ढंग से नहीं कर पाते है। उन्होंने बताया कि मानसिक एवं शारीरिक रूप से स्वस्थ्य रहने के लिए प्रतिदिन 6 से 8 घंटे की नींद अवश्य लेनी चाहिए तथा रात में चाय, कॉफी या नशे का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने रात में मोबाइल का प्रयोग न करने तथा मोबाइल को सिर के पास न रखकर सोने की सलाह देते हुए बताया कि प्रत्येक मनुष्य को साल भर में सिर्फ 40 दिन तक 40 मिनट धूप सेंकनी चाहिए जिससे शरीर में वीटामिन-डी की कमी न हो। उन्होंने बताया कि वीटामिन-डी की कमी से हड्डी, हृदय, पाचन तंत्र, त्वचा रोग एवं मानसिक रोग होने का खतरा बढ़ जाता है तथा 80 फीसदी भारतीयों में वीटामिन-डी की कमी पाई जाती है।
कुलपति ने लखनऊ के बढ़ते वायु प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि तय मानक से दस गुना अधिक वायु प्रदूषण से गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है और सभी को मिलकर इसे समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। स्वस्थ्य जीवनशैली के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि स्वस्थ्य व्यक्ति को रोजाना 10 हजार कदम तथा हृदय रोग व अन्य बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति को कम से कम 05 हजार कदम चलना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने आरओ के पानी को नुकसानदायक बताते हुए कहा कि आरओ के पानी में बैक्टीरिया के साथ जरूरी मिनरल्स भी निकल जाते है। उन्होंने बताया कि मौसमी फल और सब्जियों का प्रयोग करना चाहिए और फास्टफूड और तली-भुने खाद्य पदार्थो का कम से कम सेवन करने की सलाह दी। उन्होंने मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के लिए योगासन, प्राणायाम तथा मेडिटेशन किए जाने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि योगासन को 193 देशों ने अपनाया है और इसके प्रयोग हम स्वस्थ रह सकते हैं।
कार्यक्रम में डीन, इंस्टीट्यूट ऑफ पैरा मेडिकल साइंसेस डॉ0 विनोद जैन ने जानकारी दी किउनके विभाग द्वारा स्वस्थ्य जीवनशैली पर आधारित कार्यक्रम को सिर्फ केजीएमयू तक ही सीमित नहीं रहने देंगे बल्कि इसे सम्पूर्ण देश तक ले जाने के लिए वह दृढ़ संकल्पित हैं और इसी क्रम में वह अगस्त 2020 में इस कार्यक्रम का आयोजन करेंगे जिसमें देशभर से विद्यार्थी एवं पैरामेडिक के शिक्षकगण प्रतिभाग करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने स्वस्थ्य जीवनशैली को शारीरिक, मानसिक के साथ ही अध्यात्मिक स्वास्थ्य बताते हुए कहा कि इसके माध्यम से अपने अंदर बदलाव लाएं और उसे समाज में फैलाएं। उन्होंने बताया कि आज के कार्यक्रम में प्रतिभाग करने वाले 86 विद्यार्थियों में से 05 बाहर के कॉलेज से आए विद्यार्थी हैं जो इस बात का प्रमाण है कि आमजन अब स्वस्थ्य जीवनशैली के प्रति गंभीर हो रहे हैं।
कार्यक्र्रम के अतिथि वक्ता आयुर्वेदाचार्य डॉ0 अभय नारायण तिवारी ने बताया कि प्राचीन जीवनशैली में आयुर्वेद के माध्यम से आज भी स्वस्थ्य रहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक मनुष्य को अपने आहार, व्यवहार, विचार एवं अपनी नींद का विशेष ख्याल रखना चाहिए तथा सूर्योदय के दो घंटे के अंदर नाश्ता और सूर्यास्त के डेढ़ घंटे के अंदर भोजन कर लेना चाहिए। इसके साथ ही भोजन में जौ, बाजरा आदि प्रयोग करना चाहिए इससे पाचनतंत्र मजबूत रहता है। इसके साथ ही उन्होंने सहजन की फली खाने पर जोर देते हुए कहा कि इससे शरीर में कैल्शियम की कमी नहीं रहेगी। उन्होंने बताया कि एक दिन में आठ पहर होते है और एक पहर में दो बार भोजन नहीं करना चाहिए तथा दो पहर से अधिक भूखा नहीं रहना चाहिए और रात में गर्म दूध के साथ गुड़ के सेवन से नींद गहरी और अच्छी आती है।
इस अवसर पर अतिथि वक्ता आईटी कॉलेज के डिपार्टमेंट ऑफ न्यूट्रीशियन साइंस की विभागाध्यक्ष डॉ0 नीलम कुमारी ने संतुलित आहार के बारे में जानकारी देतेे हुए बताया कि किस प्रकार से अलग-अलग आयु के लोगों को कितनी मात्रा में भोजन करना चाहिए तथा तनावमुक्त जीवन कैसे जीना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि स्वस्थ्य जीवनशैली के लिए नींद पर्याप्त मात्रा में लेनी चाहिए और सोते समय मोबाइल या अन्य इलेक्ट्रानिक्स गैजेट को अपने से दूर रखना चाहिए।
कार्यक्रम में अधिष्ठाता, छात्र कल्याण, प्रो0 जीपी0 सिंह ने कहा कि स्वस्थ्य व्यक्ति ही धनवान बन सकता है क्योंकि पूर्ण रूप से स्वस्थ व्यक्ति एकाग्रता से कार्य करने में सक्षम होता है जिसकी वजह से उसके द्वारा किए गए कार्य के असफल होने की संभावना काफी कम होती है।
इस अवसर पर डॉ0 भूपेंद्र सिंह ने मेडिटेशन का महत्व बताते हुए कहा कि शारीरिक स्वास्थ्य के साथ ही मानसिक स्वास्थ्य भी आवश्यक होता है और इसके कारण कई बीमारियों से दूर रहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि दिन के मात्र 15 मिनट मस्तिष्क को शांत कर ध्यान केंद्रित करने से शरीर की ऊर्जा दोगुनी हो जाती है और हमारे द्वारा किए गए कार्य को पहले के मुकाबले और बेहतर ढंग से कर सकते हैं जिससे उस कार्य के सफल होने की संभावना और अधिक हो जाती है। इस अवसर पर उन्होंने विद्यार्थियों को ध्यान केंद्रित किए जाने का अभ्यास कराते हुए इसकी विधि सिखाई।
इस अवसर पर डीन, इंस्टीट्यूट ऑफ पैरा मेडिकल साइंसेस डॉ0 विनोद जैन एवं डॉ0 अंकिता जौहरी द्वारा स्वस्थ्य जीवनशैली पर लिखित किताब का विमोचन कुलपति जी द्वारा किया गया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से डॉ0 अनित परिहार, डॉ0 अतिन सिंघई, प्रो0 मोनिका अग्रवाल, डॉ0 अनिल रावत, डॉ0 सुकृति कुमार, शिवानी श्रीवास्तव, संगीता खरे, आमिर हसन, श्यामजी रमन मिश्रा, और राघवेंद्र कुमार उपस्थित रहे।