आखिर कब तक चलेगी कप्तान गंज से थावे तक लंबी दूरी की ट्रेन

कुशीनगर।


जिले का कप्तानगंज-थावे रूट का आमान परिवर्तन हुए सात साल बीत गए, लेकिन नियमित एक्सप्रेस ट्रेन का अभी भी टोटा है। एक मात्र छपरा-लखनऊ एक्सप्रेस सप्ताह में तीन दिन चलाई जाती है। लंबी दूरी की यात्रा करने वालों को गोरखपुर जाकर ट्रेन पकड़नी पड़ती है।
इस रूट पर आमान परिवर्तन के पूर्व पांच जोड़ी सवारी गाड़यिं चलाई जाती थीं। अब मात्र एक डेमू के चार फेरों का सहारा है। आमान परिवर्तन हुआ तो लगा कि सपनों को पंख लगेंगे तो बेहतर सुविधाएं मिलेंगी। लोगों का कहना है कि जिम्मेदारों ने अगर ईमानदारी से प्रयास किया होता तो तस्वीर दूसरी होती। 25 अक्टूबर 2010 को गाड़यिं का संचलन बंद कर बड़ी लाइन बनाने का कार्य शुरू हुआ था। आमान परिवर्तन पूरा होने पर 16 दिसंबर 2011 को बड़ी लाइन का शुभारंभ कर 18 दिसंबर से सवारी गाड़ी चलाई गई। चार अप्रैल 2012 से डेमू चलाने का निर्णय लिया। एक ही डेमू गोरखपुर और सिवान के बीच चार फेरा चलती है। सप्ताह में तीन दिन छपरा से लखनऊ तक एक्सप्रेस चलती है।
इस संबंध में राजू सिंह पटेल का कहना है कि लंबी दूरी की ट्रेन चलती तो बड़े शहरों तक आना-जाना आसान होता। इससे माल लाने में भी सहूलियत मिलती।
कुशीनगर सिविल सोसाइटी अध्यक्ष गिरीशचंद्र चतुर्वेदी ने कहा कि एक्सप्रेस ट्रेनों के न चलने से काफी दिक्कत होती है। गोरखपुर जाकर ट्रेन पकड़नी पड़ती है।
भाजपा नेत्री सुनीता गौड़ ने कहा कि जनता की समस्या के सिलसिले में अक्सर बड़े शहरों में जाना पड़ता है। एक्सप्रेस ट्रेन न चलने से परेशानियों का सामना करना पड़ता है।कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय लल्लू का कहना है  कि यूपीए सरकार में इस रूट का आमान परिवर्तन हुआ था। भाजपा सरकार ने इधर ध्यान नहीं दिया।
कुशीनगर संसदीय क्षेत्र के सांसद विजय कुमार दूबे ने बताया कि  एक्सप्रेस ट्रेनों के संचलन का मुद्दा मेरी ओर से दो बार संसद में उठाया जा चुका है। रेलमंत्री ने आश्वासन दिया है। गोरखपुर से कप्तानगंज तक चलने वाली पैसेंजर ट्रेन को पडरौना तक चलवा दिया गया है।


 

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