‘‘द मिलियन फार्मस स्कूल‘ किसान पाठशाला के चैथे दिन का आयोजन

उन्नाव 


आज जिलाधिकारी श्री देवेन्द्र कुमार पाण्डेय के निर्देशन में कृषि विभाग द्वारा जनपद के सभी विकास खण्डांे के 133 राजस्व ग्रामों में ''द मिलियन फार्मस स्कूल' किसान पाठशाला के चैथे दिन का आयोजन किया गया। किसान पाठशाला में कुल 11571 कृषकों ने भाग लिया जिसमे 9310 पुरूष एवं 2261 महिलायें सम्मिलित रहीं। किसानों को लाभकारी खेती के उपाय के अन्तर्गत जैविक खेती, जैव कीट एवं रोग नियंत्रक, कृषि में लागत कम करने हेतु कृषि यन्त्रीकरण, सिंचाई प्रबन्धन एवं कटाई उपरान्त फसल प्रबन्धन के बारे में कृषि विज्ञान केन्द्र धौरा के वैज्ञानिकों एवं कृषि विभाग के अधिकारियों ने जानकारी दी। पाठशाला में उपस्थित सभी किसानों को साहित्य, पुस्तिकायें भी वितरित की गयी।
उप कृषि निदेशक ने विकास खण्ड सफीपुर के ग्राम अतहा में किसानों को सम्बोधन करते हुये कहा कि जैविक खेती और जीरो बजट खेती के लिये किसान भाई दुधारू पशुपालन एवं गाय पालन करें। सरकार ने निरासित गौवंश के पालन पर भी रूपया 900 प्रति माह, प्रति पशु की दर से किसानों को अधिकतम तीन पशुपालन पर प्रोत्साहन देने की योजना शुरू की है। किसान भाई जीरो बजट खेती के लिये जीवामृत और जैविक कीटनाशी, फफूंदनाशी, भी गाय एवं पशुपालन से तैयार कर अपनी आमदनी में वृद्धि कर सकते है। जीवामृत के लिये 200 ली0 के ड्रम में पानी भरकर उसमें 10 ली0 गौमूत्र, 10 कि0ग्रा0 गोबर, 02 कि0ग्रा0 गुड़, 02 कि0ग्रा0 दलहनी फसलों का आटा, 250 ग्रा0 बरगद के पेड़ के नीचे की मिट्टी मिलाकर तैयार कर सकते है, इसका प्रयोग खेत में पलेवा और सिंचाई के साथ में करने से खेत में करोड़ो की संख्या में लाभदायक सूक्ष्म जीवाणु तैयार हो जाते है, जो मृदा में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा में वृद्धि करके पौधों को भूमि में उपलब्ध पोषक तत्वों से मिलाने में सहायक होते है। इससे मृदा और जन-जीवन, पर्यावरण सभी स्वस्थ्य रहते है। किसान भाई फसल में कीड़े व बिमारियों का प्रकोप होने पर नीमास्त्र, ब्रम्हास्त्र, अग्निआस्त्र से फसल को बचा सकते है। जीवामृत में नीम की पत्तियां सड़ाने पर नीमास्त्र तैयार हो जाते है, इसी तरह से जीवामृत में धतूरा, करंज, सीताफल, नीम की पत्ती, अरण्डी, मिलाकर 24 से 45 घंटे रखने पर ब्रम्हास्त्र तैयार हो जाते है। जीवामृत में लहसुन, हल्दी, तम्बाकु और नीम की पत्ती मिलाने से अग्निआस्त्र तैयार हो जाते है। वैज्ञानिकों ने किसान भाईयों को मधुमक्खी पालन की सलाह दी, क्योंकि मधुमक्खी पालन से जहां शहद से आय बढ़ती है वहीं दूसरी ओर मधुमक्खी फल-फूल, सब्जी, अनाज के फसलों पर बैठकर परागण क्रिया करती है, जिससे उसकी उत्पादकता में वृद्धि होती है। अधिकारियों ने किसानों को सीडड्रिल, मल्चर, रोटावेटर, थे्रसर, आदि यन्त्रांे को प्रथम आओ-प्रथम पाओं के आधार पर बीज भण्डार पर जाकर, पंजीकरण कराके लेने की सलाह दी। उन्हांेने उद्यान विभाग से रूपया 22600 के अनुदान पर स्प्रिंकलर सेट लेकर सिंचाई करने की सलाह दी। जिला कृषि अधिकारी ने विकास खण्ड नवाबगंज ग्राम पाली, भूमि संरक्षण अधिकारी(ऊसर) ने विकास खण्ड बिछिया ग्राम ओरहर एवं उप सम्भागीय कृषि प्रसार अधिकारी ने विकास खण्ड सि0सिरोसी के ग्राम राजेपुर में किसान पाठशालाओं में भाग लेकर लाभकारी खेती के उपाय की तकनीकी जानकारी दी।


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