दीपावली आज: तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटे रहे लोग

फतेहपुर।


हिन्दू समाज का सबसे बड़ा पर्व दीपावली कल अमावस्या को मनायी जायेगी। दीवाली को लेकर लोगों में गजब का उत्साह है तथा गजब की महंगाई के बावजूद लोग पूरी ताकत से इस पर्व को मनाने के लिए खरीददारी में व्यस्त हैं। क्योंकि दीपावली के दिन लक्ष्मी-गणेश की पूजा का खास महत्व है इसलिए मिट्टी एवं पीओपी से बनी लक्ष्मी गणेश की मूर्तियों से बाजार पटी पड़ी है। शनिवार को छोटी दीवाली (नरक चतुर्दश) यानी कल रविवार को दीपावली का महापर्व होना है। ऐसे में चारों तरफ रोशनी और पटाखों की बहार है। दीवाली लइया-गट्टों का भी पर्व है। साथ ही मिठाइयों का भी इस महापर्व में खास महत्व है। वैसे तो दीपावली पर्व के मद्देनजर धनतेरस के पूर्व ही बाजार सज गया था। जहां पर ग्राहको की भीड़ लग रही है। पटाखा बाजार, लइया-गट्टा की दुकान, गणेश-लक्ष्मी मूर्ति की खरीदारी सहित अन्य सामानों की खरीदारी तेजी के साथ जारी है।
हिन्दू पर्वों में दीपावली सर्वोपरि है, ग्रंथों के अनुसार इस दिन लंका फतह के बाद मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम अपनी भार्या सीता और अनुज लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे थे। इस खुशी में अयोध्यावासियों ने दीपावली मनायी थी। हजारों वर्ष बाद भी भगवान श्री राम से जुड़ा यह पर्व आज भी पूरे उत्साह और परम्परा के साथ मनाया जाता है। कल यह महापर्व एक बार फिर प्रत्येक भारतीय परम्परा वाले शख्स के घरों में मनाया जायेगा। दीपावली से दीपों का जुड़ाव भी उतना ही महत्व रखता है जितना दीपोत्सव से आम व्यक्ति का जुड़ाव या यूं कहा जाए कि बगैर दीपों के दीपावली कहां, वो भी दीप सोनें, चांदी या पीतल तांबे के नहीं सिर्फ मिट्टी के पके हुए होने चाहिए। दीपावली में दीपों को जलाने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी कम महत्वपूर्ण नहीं है। विज्ञान से जुड़े लोग कहते हैं कि चैमास में कीट पतंगों की बहुतायत होती है और इन दीपों से कीड़ों का बड़ी संख्या में पतन होता है। यही नहीं शुद्ध सरसों या राई के तेल से दीप जलाये जायें तो आसमानी गंदगी भी कम होती है।


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