गुपचुप तरीके से अपात्रों को पदोन्नति देने में जुटे भ्रष्ट अधिकारी-कर्मचारी: संघ

प्रदेश भर के लोक निर्माण विभाग डिप्लोमाधारी अवर अभियंताओं में आक्रोष
लखनऊ।


लोक निर्माण विभाग में एक बार फिर सुप्र्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट के स्थगन आदेश के बावजूद अपात्रों को पदोन्नति देने का कुचक्र रचा जा रहा है। वर्ष 2009.10 में डिग्रीधारी अवर अभियंताओं को बैक डेट से पदोन्नति का मामला डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ के आन्दोलन और उच्च न्यायालय के आदेश के बाद टल गया था लेकिन एक बार फिर उस समय यह कुचक्र रचा जा रहा है जबकि अभी 16 सितम्बर 19 को पुनः उच्च न्यायालय ने 105 डिग्रीधारियों की पदोन्नति प्रक्रिया पर स्थगन आदेश दिया है। इस मामले में डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ लोक निर्माण विभाग के कार्यवाहक अध्यक्ष इं. दिवाकर राय की उपस्थिति में बैठक कर आक्रोष जाहिए किया गया। इस प्रकरण में हो रही अनियमिताओं एवं भ्रामक जानकारी देकर अपात्रों को प्रोन्नति के प्रयास की जानकारी संघ के प्रतिनिधि मण्डल ने प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग नितिन रमेश गोकर्ण को देते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध किया है। प्रमुख सचिव ने संघ के प्रतिनिधि मण्डल को आश्वासन दिया कि किसी तरह से विधि विरूद्ध पदोन्नति नही होगी वे स्वंय इस प्रकरण की पत्रावली देखेगें।
संघ के महामंत्री इं. वी.के. कुशवाहा ने बताया कि अपात्रों को पदोन्नति प्रकरण को लेकर एक बार पुनः कुचक्र रचने की सूचना मिलने पर प्रान्तीय पदाधिकारियों की बैठक का संचालन अतिरिक्त महामंत्री इं. एन.डी. द्धिवेदी ने किया। इसमें मण्डलीय अध्यक्ष लखनऊ राजेश वर्मा, महामंत्री रामवीर यादव, मण्डलीय अध्यक्ष कानपुर कमलेश यादव, मण्डलीय अध्यक्ष  इलाहाबाद बालकृष्ण पाण्डेय, मण्डल अध्यक्ष गोरखपुर अनिल किशोर पाण्डेय आदि ने अपने विचार रखते हुए अपात्रों की पदोन्नति होने पर प्रान्तव्यापी आन्दोलन पर जोर दिया। कुशवाहा ने बताया कि लोक निर्माण विभाग में कुछ भ्रष्ट अधिकारी-कर्मचारी शीर्ष अधिकारियों की आॅख में धूल झोंक कर अनेक तथ्यों को छुपाते हुए गुपचुप तरीके से अपात्र डिग्रधारी अवर अभियंताओं को बैक डेट से पदोन्नति देने का षडयन्त्र रच डाला इन भ्रष्ट अधिकारियोंध्कर्मचारियों के हौसले इतने बुलन्द हैं कि उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय द्वारा जारी किये गये स्थगन आदेश को भी छुपा लिया। वर्ष 2009-10 में भी विभाग एवं शासन के ऐसे ही भ्रष्ट अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा इन्हीं अपात्र डिग्रीधारी अवर अभियंताओं को बैक डेट से नियम विरूद्ध पदोन्नतियां कराई थीं, जिसके विरूद्ध डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ के प्रदेश भर के अवर अभियंताओं द्वारा आन्दोलन किया गया था। इस प्रकरण में उच्च न्यायालय द्वारा इनकी पदोन्नति निरस्त कर दिया गया था। शीर्ष न्यायालय द्वारा इन अपात्र अवर अभियंताओं को कोई राहत नही मिली थी। वर्तमान में पुनः एक बार वही प्रक्रिया प्रारम्भ हुई है। उच्च न्यायालय द्वारा  16 सितम्बर 2019 को विस्तृत सुनवाई के उपरान्त इन 105 अपात्र डिग्रीधारी अवर अभियन्ताओं की प्रोन्नति प्रक्रिया पर स्थगन जारी कर दिया। उच्चतम न्यायालय द्वारा पूर्व में ही इन 105 डिग्रीधारी अवर अभियंताओं के शीर्ष में पदस्थापित कई डिग्रीधारी अवर अभियंताओं की प्रोन्नति के विरूद्ध निर्णय दे चुका है। परन्तु इन भ्रष्ट अधिकारीध्कर्मचारियों द्वारा न्यायालय के इन आदेशों को छुपा कर गुपचुप ढ़ंग से इन अपात्रों को पदोन्नत किये जाने का प्रयास किया जा रहा है। यह बात संघ के संज्ञान में आने पर संघ का प्रतिनिधि मण्डल प्रमुख सचिव, लोक निर्माण विभाग से मिल कर वस्तुस्थिति से अवगत करा चुका है। संघ का प्रतिनिधि मण्डल शीघ्र यह प्रकरण उप मुख्यमंत्री जो लोक निर्माण विभाग के कैबिनेट मंत्री भी हैं, के संज्ञान में भ्रष्टाचार की सारी बातें लायेगा। संघ के शीर्ष पदाधिकारियों की हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि यदि इन अधिकारी/कर्मचारियों के विरूद्ध कार्यवाही करते हुए लगाम नही लगाई गयी तो संघ वृहद आन्दोलन करने हेतु बाध्य होगा।  



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