हाईवे के चौड़ीकरण के लिये शाहजहांपुर रोड पर काटे जा रहे आम एवं सेमल के पेड

मोहम्मदी-खीरी।


गोला, मोहम्मदी, शाहजहांपुर हाईवे के चौड़ीकरण के लिये शाहजहांपुर रोड पर काटे जा रहे पचासो वर्ष पुराने विशालकाय आम एवं सेमल आदि प्रजाति के पेड़ो की कटी लकड़ी पर भी लकड़ी माफिया की नजर लग गयी। परिणाम स्वरूप लकड़ी से भरी ट्रालिया काटे पर वनज कराकर लकड़ी माफिया के ठिकानो पर पहुंच रही है।
सूत्रो की माने तो रोड पर कटे पेड़ो की दस ट्राली लकड़ी उठकर गोला के पास डिपो पर न जा सात-आठ ट्राली ही पहुंचती है। दो-तीन ट्राली लकड़ी कटान व उठान करा रहे ठेकेदार एवं लेवर लकड़ी माफिया को औने-पौने दामो में बेच कर माला माल हो रहे है। क्षेत्र में वैध एवं अवैध रूप से प्रतिबन्धित पेड़ो बागो का कटान लकड़ी माफिया बेखौफ होकर जिम्मेदारो की मिली भगत से हरियाली को नेस्तनाबूद करने के लिये आरा चला रहे है। प्रदेश सरकार एक ओर वार्ड रिकार्ड बनाने के लिये एक दिन में लाखो पौधे रोपित करने का काम करवा रही है तो उसके जिम्मेदार पेड़ो को कटवाने का रिकार्ड बनवा रहे है। पसगवां ब्लाक में लकड़ी माफिया जहां वन कर्मियो की मिली भगत से कटान करा रहे तो मोहम्मदी ब्लाक में तथा-कथित परमिट की आड़ में हरियाली पर आरा चला रहे है। ग्राम खजुरिया एवं रामपुर मिश्र में ही नही क्षेत्र में जहां कही के भी परमिट जारी हुआ वहां की स्थलीय जांच करा ली जाये तो सत्यता सामने आ जायेगी। जिस प्रकार तथा कथित परमिट के नाम पर लकड़ी माफिया खेल खेल रहे है। उससे बढ़कर वन निगम के ठेकेदार सम्बन्धित अधिकारियो की आंखो में धूल झोक कर हाईवे के निर्माण के नाम पर विशालकाय आम के काटे गये पेड़ो की हजारो कुन्टल लकड़ी चोरी से लकड़ी माफिया को बेच चुके है।
सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार मोहम्मदी-शाहजहांपुर हाईवे के चौड़ीकरण के लिये सैकड़ो वर्ष पुराने आम के पेड़ो का कटान किया जा रहा है। जिसकी देख-रेख वन निगम कर रहा है। काटे गये पेड़ो की लकड़ी गोला के पास वन निगम के डिपो पर डमप की जा रही है। लकड़ी की ढुलाई ट्रैक्टर-ट्रालियो से करायी जा रही है। कटान और उठान करा रहे ठेकेदार एवं लकड़ी माफिया की साठ-गांठ से दिन में दो-तीन ट्राली लकड़ी जो हजारो कुन्टल हो जाती है को धर्मकाटे पर वनज करा कर लकड़ी माफिया को सौप दी जाती है। रोड साइड के काटे गये ये पेड़ो की लकड़ी परमिट से काट कर लाये गये आम के पेड़ो की लकड़ी में मिलाकर आनन-फानन ठिकाने लगा दी जाती है। यदा-कदा ट्राली से सीधे ट्रक पर चढ़ा कर बाहर भेज दी जाती है। लकड़ी माफिया को बेची जाने वाली लकड़ी का वनज धर्मकाटे पर कर लिया जाता है ताकि लकड़ी माफिया से उसका भुगतान लिया जा सके। इन दो-तीन ट्रालियो का ही वनज क्या कराया जाता है। इस संदर्भ में एक जिम्मेदार ने सफाई देते हुए कहा कि लकड़ी ढुलाई में लगी ट्रैक्टर- ट्रालिया किराये पर चल रही है। उनको वनज के हिसाब से किराया दिया जाता है। जब उनके इस तर्क एवं सफाई पर ये जानने की कोशिश की गयी कि गोला की ओर अन्य जाने वाली ट्रालिया-ट्रैक्टर क्या निगम की या ठेकेदार की है और धर्मकाटा करा कर ये ट्रैक्टर-ट्रालिया शाहजहांपुर रोड की ओर क्यो वापस जाती है ? कुछ ही देर बाद वो फिर लकड़ी भरती कैसे दिखाई देती है ? क्या गोला के पास निगम के डिपो तक ये ट्रैक्टर- ट्रालिया घण्टे, दो घण्टे में जाकर वापस भी आ जाती है ? कैसे क्या ये हाई ब्रीड की हाईस्पीड ट्रैक्टर-ट्रालिया या इनमें कोई उड़न गेयर लगा है पर चुप्पी साध जाते है। तीन दिन पूर्व एक ट्राली विशोक नगर क्षेत्र में ट्रक के निकट खड़ी लड़की ट्रक पर पलटवा रही थी। सूत्रो ने बताया कि ये गोरख धन्धा काफी दिनो से चल रहा है। इसी लकड़ी के लिये आम के पेड़ो बागो के परमिट बनवाये जाते है। इस खेल में ठेकेदार लेवरो के साथ-साथ कुछ जिम्मेदार भी शामिल है। जो इस पूरे खेल पर आंखे मूंदे है।


 


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