कुक्कुट पालन से लोगों को मिल रहा है स्वरोजगार

लखनऊ


स्वरोजगार स्थापित करने के लिए प्रदेश सरकार ने कई योजनाएं संचालित की है जिनमें पशुपालन, कुक्कुट पालन कर अपना स्वयं का व्यवसाय कर युवक आत्मनिर्भर बन सकते हैं। कुक्कुट पालन के लिए प्रदेश सरकार द्वारा पूरा सहयोग दिया जाता है। मुर्गी पालन व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने आकर्षक एवं व्यवहारिक कुक्कुट विकास नीति जारी की है, ताकि छोटे मुर्गी पालकों को इससे फायदा मिल सके। प्रदेश सरकार उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रकार का सहयोग दे रही है। खेती के साथ-साथ पशुपालन, मुर्गी पालन कर किसान अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। किसानों की आय दोगुनी करने में यह योजना सहायक हो रही है। इस नीति के तहत लाभान्वित होने के लिए छोटे-बड़े कोई भी किसान अपने जिले के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी के कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं।
 कुक्कुट विकास नीति के तहत कुक्कुट पालक 30 हजार पक्षियों की कामर्शियल यूनिट और 10 हजार पक्षियों की कामर्शियल यूनिट स्थापित कर सकते हैं। इस योजनान्तर्गत 30 हजार पक्षियों की कामर्शियल यूनिट संचालित करने के लिए मुर्गी पालक को 1.60 करोड़ रु0 की लागत लगानी पड़ेगी जिसमें लाभार्थी को 54 लाख रु0 और 1.06 करोड़ का नियमानुसार बैंक ऋण पास कराना होगा। वहीं 10 हजार पक्षियों की कामर्शियल यूनिट स्थापित करने के लिए मुर्गी पालक को कुल 70 लाख रु0 लगानी पड़ेगी जिसमें 21 लाख रु0 लाभार्थी को लगाना पड़ेगा और 49 लाख रु0 का बैंक ऋण पास कराना होगा। इस योजना के अन्तर्गत इकाई स्थापित करने हेतु लाभार्थी के पास तीन एकड़ एवं एक एकड़ स्वयं की भूमि होनी चाहिए।
 प्रदेश में कुक्कुट विकास नीति 2018 के तहत कामर्शियल लेयरी फार्मिंग के 30 हजार पक्षी की 298 इकाईयां क्रियाशील हैं और 10 हजार पक्षी की कामर्शियल लेयर फार्मिंग की 268 इकाईयां क्रियाशील हैं। इन इकाइयों से प्रतिदिन 100.58 लाख अतिरिक्त अण्डा का उत्पादन हो रहा है। इसी तरह ब्रायलर पैरेन्ट फार्म की 10 हजार पक्षी की 23 इकाईयां क्रियाशील हैं जिनसे 24.60 लाख अतिरिक्त चूजे प्रतिमाह उत्पादित हो रहे हैं। इस योजनान्तर्गत प्रदेश में 78260 लोगों को स्वरोजगार मिला है और प्रदेश में 961.65 करोड़ रु0 का निवेश हुआ है।


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