’’पवन गुरू, पानी पिता, माता धरति महत’’ को अपने जीवन का अंग बनायें : स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश।
परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती को गुरूनानक देव की 550वीं जन्म जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में सहभाग करने के लिए आमंत्रित करने के लिये परमार्थ निकेतन में सिख धर्म गुरू पहुंचे। उन्होने करतारपुर कोरिडोर, सुलतानपुर लोधी, डेरा बाबा नानक, गोल्डन टेम्पल अमृतसर, श्री हरमन्दर साहेब आदि अन्य पवित्र स्थानों पर गुरूनानक देव जी की 550वीं जन्म जयंती के आयोजन के लिए स्वामी चिदानन्द सरस्वती को आमंत्रित किया। इस दौरान गुरूनानक देव की 550वीं जयंती को ग्रीन पर्व के रूप में मनाने, साझा संस्कृति, विश्व शान्ति, परस्पर संवाद और सब का सम्मान जैसे अनेक विषयों पर चर्चा हुई।
स्वामी चिदानन्द ने गुरूनानक देव की 550वीं जन्म जयंती पर आयोजित ग्रीन पर्व में सहभाग करने के लिए सभी के आमंत्रण को स्वीकार किया। इन दिव्य कार्यक्रमों में परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमार और आचार्य भी सहभाग करेंगे। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम अपने पर्व, त्योहार, जन्मदिवस, विवाह दिवस और अन्य सभी उत्सवों को ग्रीन पर्व के रूप में मनायें।
स्वामी चिदानन्द ने कहा कि ''पवन गुरू, पानी पिता, माता धरति महत'' यही तो उनके संदेश थे। किसी एक के लिये नहीं बल्कि सभी के लिये थे। यह संदेश पूरी मानवता तक पहुंचने चाहिये, इसलिये ऐसे दिव्य आयोजन में वे निश्चित रूप से सहभाग करेंगे।
स्वामी चिदानन्द ने कहा कि पृथ्वी पर कोई भी धर्म ऐसा नहीं है जिसमें जल, वायु, धरती, आकाश और वृक्षों की महिमा न बतायी गयी हो। गुरूनानक देव ने लगभग 500 वर्ष पूर्व वायु को गुरू का दर्जा देकर इसकी उपयोगिता को समझाया है। अथर्ववेद में मानव और प्रकृति के सम्बंधों का उल्लेख मिलता है तथा उसमें भौगोलिक शान्ति की कामना की गयी है। हम अपने अतीत को पलट कर देखे तो सभी धर्मो ने पृथ्वी के संरक्षण का संदेश देते हुये कहा कि धरती के गर्भ में जो खजाने है उसका उपयोग तब किया जाये जब हमारे पास दूसरा कोई विकल्प न हो।
स्वामी चिदानन्द ने कहा कि आज हम वायु प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिग, क्लाइमेट चेंज, कम वर्षा और अनेक तरह के प्रदूषण की समस्याओं से जुझ रहे है, यह समस्यायें हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिये खतरा उत्पन्न कर रहे है। हमने विकास की अंधी दौड़ में अपना जल, पर्वत, नदियां, वायु, धरती और पूरा वातावरण सब कुछ प्रदूषित कर दिया है। साथ ही इन सब का अंधाधुध दोहन भी किया जिसका परिणाम वर्तमान में हम सभी के सामने है इसलिये आईये इन पर्वो के माध्यम से अपने को प्रेरित करे। हमारे पर्व प्रेरणापर्व बने; अपने कृत्यों के द्वारा धरती की पीढ़ा को हरे और गुरूनानक देव जी महाराज का संदेश ''पवन गुरू, पानी पिता, माता धरति महत'' को अपने जीवन का अंग बनायें क्योकि यह संदेश सार्वभौमिक है; सब के लिये है और पूरी मानव जाति के लिये है। गुरू नानक देव का प्रकाश सब के लिये था, वे सब के थे। इसलिये प्रकाश पर्व पर प्रदूषण के अंधेरे को मिटाकर स्वच्छ पर्यावरण के प्रकाश से सभी को प्रकाशित करे।
स्वामी चिदानंद ने कहा कि आज हमारे सामने एकल उपयोग प्लास्टिक एक विकराल समस्या है जिसका समाधान हम सभी को मिलकर करना होगा और सतत समावेशी विकास को अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि हमारा परम लक्ष्य केवल विकास करना नहीं होना चाहिये बल्कि सतत और सुरक्षित विकास को लक्ष्य बनाना होगा तभी हम और हमारी धरा दोनों सुरिक्षत रह सकते है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती के साथ सिख धर्मगुरूओं ने विश्व स्तर पर शुद्ध जल की आपूर्ति हेतु विश्व ग्लोब का जलाभिषेक किया। स्वामी जी ने कहा कि हमारे आयोजन के माध्यम से वैश्विक स्तर पर एकल उपयोग प्लास्टिक का उपयोग न करने, जल का संरक्षण करने तथा वृक्षारोपण का संदेश जाना चाहिये। हमारे धार्मिक आयोजन पर्यावरण के प्रति जागरूकता का संदेशवाहक बने।
स्वामी चिदानन्द ने गुरूनानक देव की 550वीं जन्म जयंती पर आयोजित ग्रीन पर्व में सहभाग करने के लिए सभी के आमंत्रण को स्वीकार किया। इन दिव्य कार्यक्रमों में परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमार और आचार्य भी सहभाग करेंगे। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम अपने पर्व, त्योहार, जन्मदिवस, विवाह दिवस और अन्य सभी उत्सवों को ग्रीन पर्व के रूप में मनायें।
स्वामी चिदानन्द ने कहा कि ''पवन गुरू, पानी पिता, माता धरति महत'' यही तो उनके संदेश थे। किसी एक के लिये नहीं बल्कि सभी के लिये थे। यह संदेश पूरी मानवता तक पहुंचने चाहिये, इसलिये ऐसे दिव्य आयोजन में वे निश्चित रूप से सहभाग करेंगे।
स्वामी चिदानन्द ने कहा कि पृथ्वी पर कोई भी धर्म ऐसा नहीं है जिसमें जल, वायु, धरती, आकाश और वृक्षों की महिमा न बतायी गयी हो। गुरूनानक देव ने लगभग 500 वर्ष पूर्व वायु को गुरू का दर्जा देकर इसकी उपयोगिता को समझाया है। अथर्ववेद में मानव और प्रकृति के सम्बंधों का उल्लेख मिलता है तथा उसमें भौगोलिक शान्ति की कामना की गयी है। हम अपने अतीत को पलट कर देखे तो सभी धर्मो ने पृथ्वी के संरक्षण का संदेश देते हुये कहा कि धरती के गर्भ में जो खजाने है उसका उपयोग तब किया जाये जब हमारे पास दूसरा कोई विकल्प न हो।
स्वामी चिदानन्द ने कहा कि आज हम वायु प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिग, क्लाइमेट चेंज, कम वर्षा और अनेक तरह के प्रदूषण की समस्याओं से जुझ रहे है, यह समस्यायें हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिये खतरा उत्पन्न कर रहे है। हमने विकास की अंधी दौड़ में अपना जल, पर्वत, नदियां, वायु, धरती और पूरा वातावरण सब कुछ प्रदूषित कर दिया है। साथ ही इन सब का अंधाधुध दोहन भी किया जिसका परिणाम वर्तमान में हम सभी के सामने है इसलिये आईये इन पर्वो के माध्यम से अपने को प्रेरित करे। हमारे पर्व प्रेरणापर्व बने; अपने कृत्यों के द्वारा धरती की पीढ़ा को हरे और गुरूनानक देव जी महाराज का संदेश ''पवन गुरू, पानी पिता, माता धरति महत'' को अपने जीवन का अंग बनायें क्योकि यह संदेश सार्वभौमिक है; सब के लिये है और पूरी मानव जाति के लिये है। गुरू नानक देव का प्रकाश सब के लिये था, वे सब के थे। इसलिये प्रकाश पर्व पर प्रदूषण के अंधेरे को मिटाकर स्वच्छ पर्यावरण के प्रकाश से सभी को प्रकाशित करे।
स्वामी चिदानंद ने कहा कि आज हमारे सामने एकल उपयोग प्लास्टिक एक विकराल समस्या है जिसका समाधान हम सभी को मिलकर करना होगा और सतत समावेशी विकास को अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि हमारा परम लक्ष्य केवल विकास करना नहीं होना चाहिये बल्कि सतत और सुरक्षित विकास को लक्ष्य बनाना होगा तभी हम और हमारी धरा दोनों सुरिक्षत रह सकते है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती के साथ सिख धर्मगुरूओं ने विश्व स्तर पर शुद्ध जल की आपूर्ति हेतु विश्व ग्लोब का जलाभिषेक किया। स्वामी जी ने कहा कि हमारे आयोजन के माध्यम से वैश्विक स्तर पर एकल उपयोग प्लास्टिक का उपयोग न करने, जल का संरक्षण करने तथा वृक्षारोपण का संदेश जाना चाहिये। हमारे धार्मिक आयोजन पर्यावरण के प्रति जागरूकता का संदेशवाहक बने।