सरकार की मजदूर और कर्मचारी विरोधी नीतियों पर भड़का बीएमएस

विश्व संवाद केन्द में भारतीय मजूदर संघ का अभ्यास वर्ग
लखनऊ।


भारतीय मजदूर संघ मध्य संम्भाग का दो दिवसीय अभ्यास वर्ग शनिवार को विश्व संवाद केन्द्र में सम्पन्न हुआ। इसका उद्घाटन बीएमएस के प्रदेश अध्यक्ष राधेकृष्ण तिवारी ने किया। इस अभ्यास वर्ग में आए तीस जनपदों के जनपद अध्यक्ष एवं मंत्रीगणों ने अपने विचार रखते हुए केन्द एवं राज्य सरकार की मजदूर विरोधी और कर्मचारी विरोधी नीतियों पर अपने विचार रखते हुए केन्द्र एवं राज्य सरकार को न्यूनतम मजदूरी अधिनियम का शत प्रतिशत अनुपालन कराने के साथ पुरानी पेंशन बहाली करने की मांग रखी गई। बैठक में राजधानी की स्कूटर्स इण्डिया में संविदा पर कार्यरत 15 वर्ष पुराने कामगारों के नियमितीकरण के साथ उन्हें दिये जा रहे मासिक वेतन छह हजार रूपये पर चिन्ता जताई गई।
इस अभ्यास वर्ग को बीएमएस के कानून सलाहकार अधिवक्ता भूपेन्द्र नाथ सिंह, उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी ऐसोसिएशन के अध्यक्ष हरिशरण मिश्रा, जयनारायण तिवारी ने विचार रखें। भारतीय मजदूर संघ के जिला मंत्री महेन्द्र दीक्ष्ज्ञित ने बताय कि इस अभ्यास वर्ग में न्यूनतम वेतन कानून में संशोधन करते हुए इसे सबके लिए लागू किये जाने के साथ सबके लिए कानून न्यूनतम वेतन 18000 रूपये प्रति माह से कम ना हो और इसे मूल्य सूचकांक से जोड़ने पर जोर दिया गया। स्थाई, बारहमासी कामों के लिए ठेका प्रथा बंद करने तथा बहुत जरूरी होने पर ठेका मजदूरों को उद्योग संस्थानों में उनके जैसा काम करने वाले नियमित मजदूरों के बराबर वेतन एवं तमाम भत्ता व हित लाभ दिये जाने का विचार सामने आया। इस दौरान विभिन्न पदाधिकारियों द्वारा रखी गई मांगों में बोनस एवं प्रोविडेंट फंड की अदायगी पर से सभी बाध्यता सीमा हटाई जाए। ग्रेजुएटी का भुगतान 45 दिन प्रतिवर्ष के हिसाब से किया जाए। सबके लिए पेंशन सुनिश्चित की जाए, ईपीएफओ द्वारा सभी को 1000 की जगह कम से कम 6000 रुपये प्रतिमाह दिया जाए। केंद्र और राज्य सरकार कर्मचारियों की पुरानी पेंशन नीति बहाल की जाये। राष्ट्रीय वेतन नीति बनाते हुए केंद्रीय कर्मचारियों को एक समान वेतन भत्ते दिए जाए। आउटसोर्सिंग/संविदा मजदूरों को नियमित किया जाए। महंगाई पर रोक लगाने के लिए योजना बनाई जाए। सार्वभौमि सार्वजानिक वितरण प्रणाली को मजबूत किया जाए एवं खाद्य पदार्थों पर वायदा कारोबार पर रोक लगाई जाए। श्रम कानूनों को शक्ति से लागू किया जाए। श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी किए गए सभी संशोधनों को वापस लिया जाए। असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए सर्वव्यापी सामाजिक सुरक्षा कानून बनाया जाए और एक राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा कोष का निर्माण किया जाए।रोजगार सृजन के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। केंद्र सरकार के रिक्त पदों पर तत्काल भर्ती किया जाए। स्थाई प्रकृति के कार्यों पर स्थाई कर्मचारियों की भर्ती की जाए। केंद्र एवं राज्य सरकार की सार्वजनिक इकाइयों-अंडरटेकिंग विनिवेश पर रोक लगाई जाए। ट्रेड यूनियनों का पंजीकरण 45 दिनों की सीमा के अंदर अनिवार्य किया जाए और आईएलओ कन्वेंशन के प्रस्ताव पर 87 व 98 का तुरंत रेक्टिफिकेशन किया जाए। केंद्र सरकार रेल, रक्षा, बीमा में विदेशी पूंजी निवेश पर रोक लगायें।इसके अलावा स्कीम वर्कर्स, आंगनवाड़ी, मिड-डे-मील, आशा, रोजगार सेवक, शिक्षा मित्र, ग्रामीण चौकीदार, पार्क में काम करने वाले कर्मचारियों को राज्य कर्मचारी घोषित किया जाए। उत्तर प्रदेश बिजली बोर्ड का पुनर्गठन किया जाए। उन्होनें कहा कि यह अभ्यास वर्ग 13 अक्टूबर को जारी रहेगा।


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