उ.प्र. के विकास की दिशा में अभी और कड़ी मेहनत की जरुरत: वित्त आयोग

लखनऊ।


15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष नंदकिशोर सिंह ने उतर-प्रदेश की विकास दर पर संतोष जताते हुए कहा है कि पिछले दो वर्षों के दौरान राष्ट्रीय विकास दर और प्रदेश की विकास दर के बीच का अंतर कम हुआ है। प्रदेश के चार दिवसीय दौरे के आखिरी दिन मंगलवार को लखनऊ में पत्रकारों से बातचीत में श्री सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार ने विकास के जिस रोडमैप को प्रस्तुत किया है वह सराहनीय है लेकिन फिर भी अभी कड़ी मेहनत की जरुरत है। प्रदेश सरकार ने एफआरबीएन के तहत लक्ष्यों का पालन किया है।
अध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को पांच खरब वाली अर्थव्यवस्था बनाने का जो संकल्प  लिया है उसके लिए आवश्यक है उतर-प्रदेश एक खरब वाली अर्थव्यवस्था बनें। उतर-प्रदेश देश की 16.78 प्रतिशत आबादी वाला प्रदेश है और भौगोलिक दृष्टि से इसका क्षेत्रफल देश के कुल क्षेत्रफल का 7.35 प्रतिशत है। प्रदेश में जनसंख्या का घनत्व 829 है जबकि भारत में यह औसत 382 है। श्री सिंह ने कहा कि ऐसी स्थिति में उतर प्रदेश का विकास देश के विकास के लिए बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि सतत विकास की दिशा में प्रदेश के बुनियादी ढांचा क्षेत्र को और मजबूत करना होगा।
उर्जा क्षेत्र की चर्चा करते हुए श्री सिंह ने कहा कि प्रदेश ने उदय को स्वीकार किया है और कई बिंदुओं पर काम भी किया है लेकिन ट्रांसमिशन लास 11 प्रतिशत से बढ़कर  18 प्रतिशत है। लक्ष्य है कि ये अगले दो वर्षो में उदय के मापदंड के अनुकुल हो जाएगा।
श्री सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश में पर्यटन के क्षेत्र में अपार संभावनाए है। वाराणसी में इस दिशा में सराहनीय कार्य हुआ है। उन्होंने कहा कि पर्यटन क्षेत्र में सुधार कर प्रदेश के विकास की रफ्तार तेज की जा सकती है।
प्रदेश सरकार ने शिक्षा और चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में मदद मांगी है। जिला अस्पतालों को किस तरीके से चिकित्सा महाविद्यालयों  में बदला जाये इस पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस काम के लिए प्रदेश सरकार को 16 हजार करोड़ रुपए की दरकार होगी। अध्यक्ष ने कहा कि नर्सिंग जैसे पैरामेडिकल क्षेत्रों को भी आगे बढाना होगा। इससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि प्री प्राइमरी शिक्षा को मजबूत बनाने और इससे आंगनबाड़ी जैसी संस्था को जोड़ने पर विचार किया जाए।
एक सवाल के जवाब में श्री सिंह ने कहा कि बहुत से प्रदेश ऐसे हंै जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण की दिशा में काम करके जहां एक ओर अपनी आबादी को नियंत्रित किया है वहीं शिक्षा और चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में तरक्की की है। वित्त आयोग के सामने यह एक चुनौती है कि वित्तीय संसाधन के वितरण में किस तरह के मानक अपनाए जाएं। एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि किसी भी प्रदेश ने अभी तक विशेष पैकेज की मांग नहीं की है।


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