अप्रवासी घाट भारत और मॉरीशस के बीच अटूट बंधन का है एक स्मारक : राज्यपाल

मॉरीशस और भारत के लोग हमेशा रिश्तेदारी और दोस्ती के अपने मजबूत संबंधों को बनाए रखेंगे : आनंदीबेन पटेल
लखनऊ।


भारत से गिरमिटिया मजदूरों के मॉरीशस में प्रथम आगमन की 185वीं वर्षगांठ की स्मृति में मॉरीशस सरकार द्वारा कल पोर्ट लुई स्थित अप्रवासी घाट पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय समारोह के अवसर पर भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि हिन्द महासागर तट पर स्थित पोर्ट लुई में विश्व धरोहर स्थल 'अप्रवासी घाट' का विशेष महत्व है। यह घाट हमें अनकही पीड़ा और शोषण के उस उपनिवेशवाद के युग की याद दिलाता है, जब हमारे पूर्वजों ने यहाँ आकर कठिन जीवन बिताया और अपने खून-पसीने से इस धरती को सींचा और पल्लवित किया।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 1834 में 2 नवम्बर के ही दिन अंग्रेजों द्वारा भारत से गिरमिटिया मजदूरों को मॉरीशस में खेती के लिए भेजा गया था।
राज्यपाल ने भारतवंशियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि अप्रवासी घाट हमारे लोगों के बीच खून और पसीने के अटूट बंधन का एक स्मारक है। ज्वालामुखी की चट्टान से बने इस घाट की सीढ़ियों के जरिए हमारे लाखों पूर्वजों को हिंद महासागर पार कर यहां लाया गया और उनके प्रियजनों को कठोर और कष्टदायी जीवन जीने के लिए पीछे छोड़ दिया गया। उन्होंने कहा कि यूनेस्को द्वारा घोषित यह विश्व धरोहर स्थल अद्वितीय है। यह वास्तव में अदम्य मानवीय भावना और शाश्वत आशा के लिए एक समर्पण है। महात्मा गांधी को याद करते हुए उन्होंने कहा कि करीब 110 वर्ष पूर्व दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस आते समय गांधी जी ने भी दो सप्ताह तक मॉरीशस में प्रवास किया था।
श्रीमती पटेल ने कहा कि 19वीं सदी की शुरुआत में यहाँ से हजारों किलोमीटर दूर भारत से लाए गए गिरमिटिया मजदूरों के आगमन से औपनिवेशिक शोषण के वैश्विक इतिहास में एक ऐसा प्रकरण सामने आया, जिसने दुनिया भर के समाजों और अर्थव्यवस्थाओं पर अपनी छाप छोड़ी। इसने अंतरमहाद्वीपीय प्रवासन के एक युग को चिह्नित किया, जिसमें लोगों को एक औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था की सेवा करने हेतु अज्ञात भूमि में रखा गया। लेकिन उन महान लोगों ने अपने पूर्वजों की भूमि की यादों को जीवित रखते हुए, दृढ़ संकल्प, कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता से अपनी गोद ली हुई मातृभूमि के आर्थिक विकास में योगदान दिया और अपनी अगली पीढ़ियों के जीवन को बदल दिया।
राज्यपाल ने कहा कि मॉरीशस ने अपनी आजादी के बाद से न केवल अफ्रीका में बल्कि पूरी दुनिया में लोकतंत्र का उल्लेखनीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। हमारे लोगों की इच्छाशक्ति को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के माध्यम से नियमित रूप से नवीनीकृत किया जाता है। राज्यपाल ने कहा कि इस साल की शुरुआत में, दुनिया का सबसे बड़ा चुनावी कार्यक्रम भारत में संपन्न हुआ जिसमें लगभग 650 मिलियन से अधिक मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। यह एक विशाल चुनाव था और लोकतंत्र के समारोह का एक उल्लेखनीय उत्सव था। भारत और मॉरीशस दोनों राष्ट्रों को ही अपनी विशाल विविधता से सामर्थ्य प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी उल्लेखनीय विकास यात्रा में मॉरीशस के लोगों और सरकारों के साथ मिलकर काम करने पर गर्व है। यह साझेदारी आगे भी बढ़ती और पल्लवित होती रहेगी।
श्रीमती पटेल ने कहा कि अप्रवासी घाट पर मॉरीशस सरकार द्वारा जो स्मरणोत्सव आयोजित किया जा रहा है, वह हमारी सामूहिक स्मृति के लिए अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी अपने पूर्वजों के अतीत, समाज एवं अर्थव्यवस्था के विकास में उनकी भूमिका एवं योगदान को जानने में सक्षम हों और उनसे सबक हासिल करें। उन्होंने कहा कि मॉरीशस और भारत के लोग हमेशा रिश्तेदारी और दोस्ती के अपने मजबूत संबंधों को बनाए रखेंगे। भारत सरकार मॉरीशस सरकार के साथ अपनी साझेदारी को मजबूत करने और एक दूसरे की विकासात्मक चुनौतियों को दूर करने में मिलकर काम करना जारी रखेगी।
इस अवसर पर मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रवीण कुमार जगन्नाथ, उप प्रधानमंत्री इवान कोलेंडेवेलो, सेवानिवृत्त माननीय मंत्री मेंटर सर अनिरुद्ध जगन्नाथ, उप प्रधान मंत्री श्रीमती फाजिला ड्यूरेवो, कला और संस्कृति मंत्री पृथ्वीराज सिंह रूपन, नेता प्रतिपक्ष जेवियर डुवाल, अध्यक्ष अप्रवासी घाट ट्रस्ट फंड श्री धर्म यश देव धुनि, राजनयिक कोर के सदस्य सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
इससे पूर्व आनंदीबेन पटेल ने 'अप्रवासी घाट' पर श्रद्धासुमन अर्पित कर पूर्वजों को श्रद्धांजलि दी।


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