हनुमान जी की पूजा से खत्म होता है अकाल मृत्यु का भय


कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को हनुमान जयंती का मनायी जाती है। हनुमान जी अपने भक्तों को असीम कृपा करते हैं और उन्हें सभी प्रकार के संकट से बचाते हैं तो आइए हम आपको हनुमान जयंती के बारे में चर्चा करते हैं। 


हनुमान जयंती साल में दो बार मनायी जाती है 
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार साल में दो बार हनुमान जयंती मनाई जाती है। एक बार चैत्र मास में और दूसरी बार कार्तिक महीने में मनायी जाती है। कार्तिक मास की हनुमान जयंती पर हनुमान जी के साथ यमराज की भी पूजा होती है। इस साल 26 अक्टूबर को हनुमान जयंती मनायी जा रही है।
नरक चर्तुदशी के दिन हनुमान जी की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है इसलिए हनुमान जयंती के दिन पवित्र मन से हनुमान जी की अर्चना करें।
 हनुमान जयंती का शुभ मुहूर्त
इस साल की हनुमान जयंती बहुत शुभ है। हनुमान जयंती पर अभिजित मुहूर्त है सुबह 11 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक। इसके अलावा विजय मुहूर्त- दोपहर 1 बजकर 56 मिनट से 2 बजकर 40 मिनट तक है। इस दौरान आप अपनी पूजा सम्पन्न कर सकते हैं।
 हनुमान जयंती का महत्व
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार हनुमान जी का जन्म नरक चतुदर्शी को आधी रात के समय हुआ था। इसलिए इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से अकाल मृत्यु का डर खत्म हो जाता है। इस दिन शरीर पर तिल के तेल का उबटन लगाना अच्छा माना जाता है।
हनुमान जयंती से जुड़ी कथा 
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एक बार राजा दशरथ और उनकी तीनों पत्नियों ने अग्नि देव को प्रसन्न करने हेतु यज्ञ किया। उस यज्ञ के उपरांत अग्नि देव ने उनसे प्रसन्न होकर राजा दशरथ को खीर दी। राजा दशरथ ने वह खीर अपनी तीनों पत्नियों में बराबर बांट दी। लेकिन उसी समय एक चील ने उस खीर को झपट कर अपने मुंह में ले गई और उड़ गई। उसके बाद वह चील अंजना के आश्रम के ऊपर से उड़ रही थी तब अंजना का मुंह ऊपर की ओर ही था। ऊपर मुंह करने से अंजना का मुंह खुला हुआ था जिससे कुछ खीर उनके मुंह में आ गिरी और वह उस खीर को खा गयीं। इस खीर के प्रभाव से अंजना गर्भवती हो गयीं और उनके गर्भ से शिवजी के 11वें रूद्र अवतार हनुमान जी ने जन्म लिया था।
 
इसलिए हनुमान जंयती को हनुमान जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बजरंग बली के भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार उन्हें लाल वस्त्र, ध्वजा, चंदन, सिंदूर का चोला, अगरबती, फूलों में कनेर आदि के पीलोए फूल, धूप, गाय के शुद्ध घी का दीपक, आटे को घी में सेंककर गुड मिलाये हुए, लड्डू जिन्हें कसार के लड्ड आदि का भोग लगाते हैं। हनुमान जयंती के दिन हनुमान जी को नारियल और पेडों का भोग भी लगाया जाता है। नरक चतुदर्शी के दिन सुन्दर काण्ड, हनुमान चालीसा का पाठ करना भी शुभ होता है। भारत में कई स्थानों जैसे सालासर, मेंहदीपुर, चांदपोल जैसी जगहों पर इस दिन मेला भी लगता है।
 
हनुमान जयंती पर करें पूजा
हनुमान जयंती के दिन सूर्योदय से पहले उठ जाएं। उसके बाद स्नान कर साफ कपड़े पहनें और एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर राम, सीता और हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद बजरंग बली को लाल फूल, सिंदूर, गुड़ चने का प्रसाद, बेसन के लड्डू, गैंदा, गुलाब, कनेर, सूरजमुखी, धूप-अगरबती, केसरयुक्त चंदन, शुद्ध घी या चमेली के तेल का दीपक जलाकर पूजा करें। इस प्रकार हनुमान चालीसा पढ़ कर पूजा करें और अपनी अनजाने में हुई गलतियों हेतु क्षमा मांगें।


Popular posts from this blog

भारत विदेश नीति के कारण वैश्विक शक्ति बनेगा।

स्वरोजगारपरक योजनाओं के अंतर्गत ऑनलाइन ऋण वितरण मेले का किया गया आयोजन

बांसडीह में जाति प्रमाण पत्र बनाने को लेकर दर्जनों लोगों ने एसडीएम को सौपा ज्ञापन