14 दिसंबर राष्‍ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस

'राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस' भारत में प्रतिवर्ष में मनाए जाने वाले राष्ट्रीय दिवसों में से एक है। इस दिन भारत में बहुत-सी ऊर्जा संरक्षण प्रतियोगिताओं का आयोजन कराया जाता है 'राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस' पर आयोजित प्रतियोगिता में भाग लेने और जीतने वाले छात्रों को भागीदारी प्रमाण पत्र, योग्यता प्रमाण-पत्र और या नकद पुरस्कार 33,000 रुपए प्रति राज्य दिया जाता है।भारत में 'पेट्रोलियम संरक्षण अनुसंधान एसोसिएशन' वर्ष 1977 में भारत सरकार द्वारा भारतीय लोगों के बीच ऊर्जा संरक्षण और कुशलता को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया था। राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस प्रतिवर्ष पूरे भारत में 14 दिसंबर, को मनाया जाता है। भारत में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, वर्ष 2001 में ऊर्जा दक्षता ब्यूरो बीईई द्वारा स्थापित किया गया था। ऊर्जा दक्षता ब्यूरो एक संवैधानिक निकाय है, जो भारत सरकार के अंतर्गत आता है और ऊर्जा का उपयोग कम करने के लिए नीतियों और रणनीतियों के विकास में मदद करता है। भारत में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम का उद्देश्य पेशेवर, योग्य और ऊर्जावान प्रबंधकों के साथ ही लेखा परीक्षकों को नियुक्त करना है।


क्या है ऊर्जा संरक्षण


भारत में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस लोगों को ऊर्जा के महत्त्व के साथ ही साथ बचत और ऊर्जा की बचत के माध्यम से संरक्षण बारे में जागरूक करना है। ऊर्जा संरक्षण का सही अर्थ है। ऊर्जा के अनावश्यक उपयोग को कम करके कम ऊर्जा का उपयोग कर ऊर्जा की बचत करना। कुशलता से ऊर्जा का उपयोग भविष्य में उपयोग के लिए इसे बचाने के लिए बहुत आवश्यक है। ऊर्जा संरक्षण की योजना की दिशा में अधिक प्रभावशाली परिणाम प्राप्त करने के लिए हर इनसान के व्यवहार में ऊर्जा संरक्षण निहित होना चाहिए। कोई भी ऊर्जा की बचत इसकी गंभीरता से देखभाल करके कर सकता है, दैनिक उपयोग के बहुत-से विद्युत उपकरणों को, जैसे ः बिना उपयोग के चलते हुए पंखों, बल्बों, समरसेविलों, हीटर को बंद करके आदि। यह अतिरिक्त उपयोग की ऊर्जा की बचत करने का सबसे कुशल तरीका है, जो ऊर्जा संरक्षण अभियान में सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। जीवाश्म ईंधन, कच्चे तेल, कोयला, प्राकृतिक गैस आदि दैनिक जीवन में उपयोग के लिए पर्याप्त ऊर्जा उत्पन्न करते हैं, लेकिन दिनों-दिन इनकी बढ़ती मांग प्राकृतिक संसाधनों के कम होने का भय पैदा करता है। ऊर्जा संरक्षण ही केवल एक ऐसा रास्ता है, जो ऊर्जा के गैर-नवीनीकृत साधनों के स्थान पर नवीनीकृत साधनों को प्रतिस्थापित करता है।


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